शेयर बाज़ार की तेज़ी से अर्थव्यवस्था की ऊंची उड़ान

शेयर बाजार के विश्लेषक इसकी उड़ान से हैरान हैं। उनका कहना है कि इस साल जनवरी में 50,000 का आंकड़ा पार करने से लेकर पहली बार 60,000 अंक से भी आगे निकलने वाला बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स लगातार चौंका रहा है।  विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि शेयर बाजार की मौजूदा तेजी में नये खुदरा निवेशकों की सक्रि यता बड़ी वजह है। यह इस वजह से भी चौंकाने वाला है कि मार्च 2020 में 30 शेयरों वाले बीएसई इंडेक्स 8,828.8 अंक या 23 प्रतिशत गिरा था। उसके बाद यह स्थिति बनी है। उस समय अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव से जुड़ी चिंताओं ने निवेशकों की भावना पर गहरा असर डाला था।  
गौरतलब है कि कोरोना के चलते देश की अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चल रहा है लेकिन शेयर बाजार नई उड़ान भर रहा है। यहां तक कि अति आशावादी भी इस तेज रफ्तार से हैरान हैं। इसके साथ ही शेयर बाजार में सूचीबद्ध कम्पनियों की मार्केट कैपीटल 261.73 लाख करोड़ के सर्वकालिक रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। निवेशकों को भी करोड़ों का फायदा हो रहा है। वैसे तो शेयर बाजार हमेशा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय धारणाओं के अनुसार बहता है। 
अमरीका के राष्ट्रीय बैंक फैडरल रिजर्व ने भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसकी वजह से दुनियाभर के शेयर बाजारों में मूड पाजिटिव है। इससे यह संकेत मिला है कि अभी अमरीकी सरकार राहत पैकेज को वापिस लेने का कदम नहीं उठा रही है। यही कारण है कि बीते कुछ महीनों में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पूंजी का प्रवाह उम्मीद से बढ़कर हुआ है। रिजर्व बैंक की पिछले माह प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार घरेलू यूनिकार्न उद्यमों के आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में उतरने से 2021 आईपीओ वर्ष बन सकता है। बाजार के बेहतर परिदृश्य के दृष्टिगत एफएमसीजी, रसायन, ऊर्जा, बीमा तथा बैंकिंग क्षेत्र की विभिन्न कम्पनियां भी आईपीओ के लिए तेजी से आगे बढ़ी हैं। इस वर्ष 50 से अधिक कम्पनियां भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास आईपीओ आवेदन जमा करा चुकी हैं। यह संख्या पिछले दो वर्षों के कुल आवेदनों से भी अधिक है। शेयर बाजार का यह चमकना परिदृश्य निवेशकों, उद्योग कारोबार और सरकार तीनों के लिए लाभप्रद है।
शेयर बाजार की छलांग से दशक में पहली बार भारत की लिस्टेड कम्पनियों का कुल बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) देश के सकल घरेलू उत्पादन से ज्यादा हो गया है। इस लिहाज से बाजार पूंजीकरण और जीडीपी का अनुपात सौ फीसदी को पार कर गया है। अमरीका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, हांगकांग, आस्ट्रेलिया, स्ट्विजरलैंड जैसे विकसित देशों में भी यह अनुपात सौ फीसदी से अधिक है। देशभर के विशेषज्ञ बाजार के अच्छे विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए निवेश का सुझाव दे रहे हैं। भारत समेत दुनिया भर के केन्द्रीय बैंकों ने बाजार में बड़ी मात्रा में पूंजी डाली है। इस समय ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से नीचे हैं। अमरीका के साथ भारत के अच्छे संबंध की सम्भावनाओं से भी निवेशकों की धारणा को बल मिला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीकी दौरे के दौरान वहां की टाप कम्पनियों के सीईओ से बातचीत की तथा उन्हें निवेश के लिए भारत आमंत्रित भी किया। उन्होंने कहा कि वे भारत आकर वैक्सीन बनाएं। 
कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं निर्मूल समझी जा रही हैं और विकास दर बढ़ती दिखाई दे रही है। शेयर बाजार कोई जुआ घर नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था की गति नापने का एक बैरोमीटर है। शेयर बाजार लम्बे समय से सुस्त था। अब कम्पनियों के शेयरों की बिक्र ी तेजी से बढ़ी है। उससे रिटेल निवेशकों का जोखिम भी बढ़ गया है, अत: रिटेल निवेशकों को बहुत सतर्क होकर चलना होगा। मोदी सरकार बीमा, बैंकिंग, बिजली और कर सुधारों की डगर पर तेजी बढ़ी है। 
हालांकि बाजार की यात्रा तेज उतार-चढ़ाव के साथ अल्पकालिक निवेशकों और कारोबारियों का परेशान करती रहती है लेकिन विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सेंसेक्स लार्ज कैप शेयरों और विशेष रूप से आईटी कम्पनियों में आमद के सहारे आगे भी नई ऊंचाइयों को छू सकता है। यह बात भी गौरतलब है कि 5-जी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग से भारतीय बाजार टाप गियर में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीर्ष अमीरीकी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से मुलाकात की। डिफैंस से लेकर डिजिटल इंडिया तक कई मुद्दों पर चर्चा हुई। ब्लैकस्टोन ग्रुप के सीईओ स्टीफन श्वार्जमैन ने कहा कि भारत में और 40 अरब डालर का निवेश करने की योजना बनाई है।  (युवराज)