युवा पहलवानों के लिए प्रेरणा-स्रोत साक्षी मलिक

साक्षी मलिक भारत की एक प्रसिद्ध फ्री स्टाइल महिला पहलवान हैं। ‘पदमश्री’ और ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित साक्षी मलिक प्रथम भारतीय महिला पहलवान हैं, जिन्होंने ओलम्पिक खेलों में पदक हासिल करके महिलाओं का सम्मान बढ़ाया और सिद्ध किया कि भारतीय नारी किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। साक्षी का जन्म 3 सितम्बर, 1992 को हरियाणा के रोहतक ज़िले के गांव मोखरा में पिता सुखबीर मलिक और माता सुदेश मलिक के घर हुआ। उनको कुश्ती में रुझान घर पर ही हुआ क्योंकि उनके दादा जी इलाके के एक मशहूर फ्री स्टाइल पहलवान रह चुके हैं। 12 वर्ष की छोटी आयु में ही साक्षी ने रोहतक के छोटू राम स्टेडियम के अखाड़े में कुश्ती की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी।
खेल की शुरुआत :16 वर्ष की छोटी आयु में ही साक्षी ने मनीला में 2009 में हुए जूनियर एशियाई कुश्ती मुकाबले में कांस्य पदक और अगले वर्ष विश्व जूनियर कुश्ती मुकाबले में रजत पदक हासिल किए। 
अन्तर्राष्ट्रीय  स्तर की उपलब्धियां : साक्षी ने वर्ष 2014 में ग्लास्गो में हुई राष्ट्रमंडल खेलों में कनाडा की पहलवान ब्रैकस्टन स्टोन को 3-1 के अन्तर से हरा कर रजत पदक हासिल किया और वर्ष 2015 में दोहा में एशियाई चैम्पियनशिप के 60 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने वर्ष 2016 में रियो में हुई ओलम्पिक खेलों में एक रोमांचक मुकाबले में किर्गिस्तान की टीनीबीकोणा को 8-5 प्वाइंटों से हरा कर कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। अगले ही वर्ष जोहनसनबर्ग में खेली गई राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में उन्होंने न्यूज़ीलैंड की टाइलाफोर्ड को 13-13 के अन्तर से हरा कर स्वर्ण पदक जीता और भारत का नाम विश्व में रोशन किया। यहीं बस नहीं, दिल्ली में हुई वर्ष 2017 की एशियाई चैम्पियनशिप में 60 किलो भार वर्ग में रजत पदक देश के नाम करके एक बार फिर कुश्ती प्रेमियों को नाचने पर मजबूर कर दिया।  साक्षी ने 2018 की गोल्ड कोस्ट में हुई कामनवैल्थ खेलों में  62 किलो भार वर्ग में एक बार फिर न्यूज़ीलैंड की फोर्ड को 3-1 के अन्तर से हरा कर कांस्य पदक भारत के नाम किया और खेल प्रेमियों के भीतर कुश्ती के प्रति प्रेरणा जगाई। 
खेलों को उत्साहित करना : शारीरिक शिक्षा के विषय में पोस्ट ग्रेजुएट साक्षी मलिक एक अच्छी पहलवान होने- के साथ नौजवान खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। वह जिंदल स्टील के सहयोग से देश भर में खेलों को प्रफुल्लित करने हेतु महत्त्वपूर्ण योगदान डाल रही हैं। एम.डी. यूनिवर्सिटी, रोहतक की ओर से सितम्बर, 2016 को उनको कुश्ती निदेशक के पद पर नियुक्त किया जा चुका है और वह भारतीय रेलवे में एक गजटिड अधिकारी के पद की शोभा भी बढ़ा रही हैं। 
अवार्ड्स : साक्षी द्वारा कुश्ती के क्षेत्र में डाले गये अहम योगदान से भारत सरकार उनको ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ (2016) और ‘पदमश्री’ (2017) पुरस्कारों से सम्मानित कर चुकी हैं। भारतीय महिला कुश्ती की शान साक्षी मलिक ने महिलाओं का नाम भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में रौशन किया और नारी संसार को कुश्ती के क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर आगे आने हेतु प्रेरित किया।

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