बच्चों को कुपोषण से बचाता है दूध

यदि  इसके बदले बच्चे को पैदा होने के एवं घंटे के भीतर मां का गाढ़ा व पीला दूध पिलाया जाए तो बच्चों में बढ़ते कुपोषण को दूर किया जा सकता है। ऐसा करने से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जिससे बच्चा कुपोषण का शिकार नहीं बन पाता। ऐसा करने से भारत में करीब प्रतिवर्ष  2.5 लाख नवजात शिशुओं की जान बच सकती है। शिशु मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी को भी रोका जा सकता है। 6 माह तक सिर्फ मां के दूध का ही सेवन कराने से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है और इससे बच्चे स्वस्थ रहते हैं। साथ ही बच्चों में दस्त व निमोनिया जैसी बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे को 6 माह तक अन्न, दूसरा दूध और यहां तक कि पानी भी नहीं दिया जाए तो दस्त व निमोनिया से होने वाली मौतें आधी हो सकती हैं। भविष्य में स्तनपान ही एक ऐसा हथियार है जिससे बच्चों में बढ़ते कुपोषण को दूर करना सम्भव है। स्तनपान से बच्चों के भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और पोषण सुरक्षा मिलती है जो कवच का काम करता है। अब सवाल यह उठता है कि बिना जागरूक किए बच्चों को कुपोषण से बचाना अत्यन्त मुश्किल कार्य है। इसलिए नीति निर्माण कर्त्ताओं को चाहिए कि इस संबंध में गांवों तक पहुंच बनाकर भविष्य में खतरे से छुटकारा पाने की कोशिश करें क्योंकि आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। यदि बच्चे ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो देश कहां तक सुरक्षित रह पाएगा। (स्वास्थ्य दर्पण)