बच्चों का ध्यान न भटके

आधुनिक जीवनशैली ने बड़ों को तो कई रास्तों से भटका दिया ह,ै बच्चों को भी भटकने से नहीं छोड़ा। आधुनिक बच्चे न तो दादी, नानी के पास बैठकर कोई कहानी सुनना पसंद करते हैं, न बाहर अन्य बच्चों के साथ खेलना। आधुनिक टेक्नोलॉजी ने उन्हें  इस कदर जकड़ रखा है कि वे उससे छूटना भी पसंद नहीं करते।  अगर आप चाहते हैं बच्चे अपने भविष्य में सफल हों, एकाग्रचित होकर काम करें तो उन्हें बचपन से ही कुछ बातों को सिखाना होगा।
माता-पिता की आशाओं का अहसास दिलाएं
बच्चों को बचपन से उनकी जिम्मेदारियों के बारे में समझाएं और अहसास दिलाएं कि माता-पिता की भी कुछ आशाएं हैं जो वे बच्चों से पूरी करने की आस रखते हैं। उन्हें अलग से भाषण मत दें कि उनकी क्या जिम्मेदारियां हैं। उन्हें अवसर आने पर बताते रहें ताकि उन्हें उनका ज्ञान साथ  साथ मिलता रहे और उसे रूटीन में वे लागू कर सकें। 
होमवर्क के लिए कुछ नियम बनाएं
बच्चों को होमवर्क करना बोझ लगता है। बच्चों को होमवर्क का महत्त्व बताएं। इससे उनका रिवीजन होता है और कुछ समझ न आने पर वे माता-पिता, बड़े बहन भाई की मदद साथ-साथ ले सकते हैं। 
पढ़ाते समय उदाहरण भी दें 
सीधा-सीधा बच्चोंको पढ़ाना बोरियत पैदा करता है। अगर उससे संबंधित कुछ उदाहरण साथ-साथ देते रहेंगे तो पढ़ाई का माहौल भी थोड़ा हल्का होगा और पढ़ाई भी आसानी से समझ आएगी।
बच्चाें को दें पढ़ाई का सही माहौल
बच्चों को किस कमरे में पढ़ाई करनी है, कौन से स्थान पर बैठकर पढ़ना है निश्चित स्थान तय करें। उन्हें पढ़ाई के लिए उचित मेज कुर्सी, उनकी आयु और लंबाई के अनुसार दें। कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था हो ताकि उनकी आंखों पर अधिक प्रभाव न पढ़े। 
नो फोन, नो मैसेज
बच्चों के पढ़ाई स्थल से फोन को दूर रखें ताकि बार-बार फोन से बजने वाली घंटी उनकी पढ़ाई में बाधा न डाल सके। अगर उनके साथ आप भी बैठे हैं जब वे पढ़ रहे हों तो अपने फोन से कोई मैसेज न करें, न मैसेज पढ़ें और न ही किसी मित्र, संबंधी से फोन पर बात करें। 
बच्चों को दें पुरस्कार
आत्मविश्वास को बढ़ाने हेतु हर कोई चाहता है उसके काम की तारीफ हो। इसी प्रकार बच्चों को भी तारीफ के बोल बोलते रहें, उनसे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।  (उर्वशी)