ज़रूरी है कठिन समय में स्वयं को मजबूत रखना

ज़िन्दगी के रास्तों में समस्याएं तो आना स्वाभाविक है। हर एक मनुष्य की ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। कई बार ऐसा समय भी आता है जब हम बिल्कुल अकेले रह जाते हैं। चाहे हमारे पास लाखों इन्सान हो। लेकिन फिर भी हम अपना अस्तित्व अकेले महसूस करते हैं। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि हम जिस चीज़ के साथ निकटता महसूस करते यदि वह हमारे से दूर हो जाती है तो हम ऐसी स्थिति का शिकार हो जाते हैं। अर्थात् हमारे पास सब कुछ होते हुये भी हम सिर्फ उसी चीज़ को ही ढूंढते हैं। जो हमसे छिन जाती है। बीते हुए समय को याद करते हैं और आने वाले हसीन पलों को गंवा बैठते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि यदि आज कठिन समय आया है, तो कल को भी ऐसा ही रहेगा। क्या पता ईश्वर ने हमारे लिए अच्छा सोच रखा हो। आपकी ज़िन्दगी के आने वाले पल अच्छे हों। हम यह नहीं कहते कि पुराने समय को भूल जाओ, लेकिन साथ लेकर ज़िन्दगी नहीं निकलती क्योंकि हम उतने समय अपनी ज़िन्दगी में कई चीज़ों के बदलावों को सहन नहीं कर सकते, अपना नहीं सकते जितना समय हम भूतकाल में से बाहर नहीं आते। इसलिए भूतकाल को हमेशा एक तरफ करके आगे के बारे में सोचें। बेहद ज़रूरी होता है कठिन समय में स्वयं को मजबूत बनाए रखना। यदि हमारे भीतर लड़ने की शक्ति खत्म हो जाएगी तो हम समस्याओं का सामना कैसे करेंगे। समस्याएं तो ज़िन्दगी में पानी के बहाव की तरह होती हैं, आती-जाती रहती हैं और साहसी, बहादुर लोग उनको पार कर जाते हैं। एक दिन मंज़िल प्राप्त कर लेते हैं। यदि आप समस्याओं को पार करते हो तो ज़िन्दगी में आने वाली हर चुनौती को स्वीकार कर सकते हो। समस्याएं ही मनुष्य को मजबूत बनाती हैं। समझदार लोग कहते हैं कि ठोकर खाकर ही अकल आती है। आओ, हम प्रण करें कि ईश्वर ने हमें बुद्धि प्रदान की है हम उसका उपयोग समस्याओं का सामना करने में करें। 
कहते हैं कि समय के बुरे हालातों को हौंसले और मेहनत से बदला जा सकता है। हम भी अपना समय मेहनत और हौंसले से बदलें। कभी समस्याओं के आगे दिल न हारे।