जरूरी है वॉशरूम की उचित देखभाल

वॉशरूम का प्रयोग दिन में हम कई बार करते हैं। अगर वॉशरूम से बदबू आ रही हो या गंदा हो तो मजबूरी में हम प्रयोग तो करते हैं पर बड़ा बुरा लगता है। वॉशरूम को कीटाणुमुक्त ताजगी से भरा और सुगंधित रखना हम सबका कर्तव्य है। कुछ अतिरिक्त मेहनत और ध्यान रख हम इसे साफ सुथरा बना सकते हैं। 
जब भी वॉशबेसिन का नल खोलकर साबुन से हाथ धोएं, हाथ धोकर नल बंद करने से पूर्व नल पर लगे साबुन को साफ करें ताकि नल पर साबुन की झाग न जमी रहे। 
कमोड को गंदा न करें। कमोड प्रयोग करने से पूर्व कमोड की सीट को उठा दें। प्रयोग करने के बाद फ्लश करें। फ्लश करते समय ढक्कन बंद कर दें ताकि कमोड के सूक्ष्म छींटे और कीटाणु बाहर निकल कर वॉशरूम को प्रदूषित न कर सकें। 
खाना खाने के बाद जब वॉशबेसिन में कुल्ला करें तो ध्यान रखें कि मुंह से निकले खाने के कण पानी की सहायता से बह जाए। वाशबेसिन में न पड़े रहें।
जब भी शौच जाएं, अपने हाथ अवश्य धोएं और सुखाएं भी। गीले हाथ वॉशरूम के हैंडल और दरवाजे पर लग कर उन्हें खराब कर सकते हैं। 
सार्वजनिक शौचालयों का प्रयोग भी उसी प्रकार करें जैसे घर के शौचालय का करते हैं। विशेष कर जब भी पुरूष मूत्र त्यागें, ध्यान दें फर्श पर मूत्र की बूंदें न गिरें। गिरने से फर्श तो गंदा होगा ही, दुर्गन्ध भी बढ़ेगी।
नहाने के उपरांत साबुन, शैंपू, बॉडीवाश, जूना सब उचित स्थान पर वापिस रखें। बाल्टियों और मग को उलटा कर रखें ताकि बचे हुए पानी में संक्र मण पनपने न पाएं।
अगर स्टैंडिंग पोंछा है या वाइपर से पोंछा से लगाते हैं तो काम खत्म करने पर उसके हैंडल को खड़ा रखें। स्टैंडिंग पोंछे को धूप में सुखाएं, वाइपर वाले पोंछे को सुखा कर रखें। अगर धूप घर पर नहीं आती तो कीटाणुनाशक दवा से साफ कर सूखे स्थान पर रखें।
बाथरूम में अगर बाथटब है और नियमित प्रयोग कर रहे हैं तो उसका पानी निकाल कर उसे सुखा दें। प्लास्टिक के परदे को पोंछ दें ताकि उसका अतिरिक्त पानी बाथटब और फर्श को खराब न कर सके। (उर्वशी)