अधिक उत्पादन के लिए धान की ताज़ा पौध तैयार करके लगाएं

धान पंजाब की महत्वपूर्ण फसल बन गई है। इसके लगभग 31 लाख हैक्टेयर रकबे पर काश्त किये जाने की सम्भावना है। इस वर्ष भूमिगत पानी का स्तर कम होने की समस्या के दृष्टिगत पंजाब सरकार ने 12 लाख हैक्टेयर पर सीधी बिजाई करने का लक्ष्य रखा है। गत वर्ष सीधी बिजाई इससे आधे रकबे पर ही की गई थी। लगभग 6 लाख हैक्टेयर रकबे पर बासमती की काश्त किये जाने की सम्भावना है। 
इस वर्ष बासमती किस्मों के अधीन गत वर्ष से रकबा बढ़ने के आसार हैं क्योंकि किसानों को बासमती पहले के मुकाबले लाभकारी मूल्य मिला है। लगभग 12-13 लाख हैक्टेयर रकबे पर धान की काश्त कद्दू किये खेत में ट्रांसप्लांटिंग विधि से मज़दूरों द्वारा की जाएगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा बासमती के न्यूनतम समर्थम मूल्य तय किये जाने की जो घोषणा की गई है, उससे बासमती की काश्त के अधीन 7 लाख हैक्टेयर रकबा आ सकता है। बासमती की बिजाई से पानी की काफी बचत होती है। बासमती की कम समय में पकने वाली ऐसी लाभकारी किस्में जैसे पीबी-1509, पूसा बासमती-1847 आदि विकसित हो गईं है जो लगभग यदि उनकी ट्रांसप्लांटिंग जुलाई के दूसरे पखवाड़े में की जाए तो वह मॉनसून की बारिश के पानी से ही पक जाती हैं। इस तरह लगभग 12 लाख हैक्टेयर रकबे पर ट्रांसप्लांटिंग विधि से खेत मज़दूरों के माध्यम से धान एवं बासमती की फसल लगाए जाने का अनुमान है।
स्वस्थ, रोग रहित तथा नदीनमुक्त पौध अच्छी फसल की बुनियाद है और पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के अनुसार आजकल 5 जून तक किस्मों के अनुसार धान की पौध की बिजाई का उचित समय है। पीआर-126 कम समय में पकने वाली धान की किस्म एवं बासमती की किस्म पूसा बासमती-1509 की पौध की तो देरी से भी बिजाई की जा सकती है। सही किस्मों एवं खेत का चयन, सही पौध बीजने का समय, सही ट्रांसप्लांटिंग विधि तथा पौध की आयु एवं सिफारिश के अनुसार खादों का डालना तथा नदीनों पर प्रभावशाली काबू पाना मुख्य तौर पर पौध स्वस्थ रखने के लिए अहम योगदान डालते हैं। पौध की उस खेत में बिजाई की जानी चाहिए जहां गत वर्ष धान न झाड़ा गया हो। झुलस रोग से मुक्त रखने के लिए पौध की काश्त तूड़ी के कूप तथा छाया में नहीं की जानी चाहिए। खेत कंकर, पत्थरों से रहित हो और जहां तक हो सके पौध वाला स्थान पानी के निकट होना चाहिए। पीएयू के अनुसार एकड़ में धान लगाने हेतु पौध की बिजाई के लिए 8 किलो बीच का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। चाहे किसान 5 किलो तक बीज इस्तेमाल करके भी एकड़ की पौध तैयार कर लेते हैं। 
ताज़ा पौध तैयार करने के लिए बीज को किसी टब या बाल्टी में डाल कर अच्छी तरह डंडे से हिलाना चाहिए ताकि हल्का बीज पानी के ऊपर आ जाए। इसे बाहर फेंक देना चाहिए। ताज़ा बीज को बिजाई के लिए रख लेना चाहिए। इस ढंग से पौध के पौधे एकसार तथा ताज़ा होंगे। खेत में गली-सड़ी रूड़ी या कम्पोस्ट खाद डाल कर बहाई के बाद पानी लगा देना चाहिए। पौध के लिए प्रति एकड़ 26 किलो यूरिया, 60 किलो सिंगल सुपरफास्फेट तथा 25.5 किलो ज़िंक सल्फेट मोनोहाईड्रेट बिजाई के समय डाल देने चाहिएं। बीज को 10 लिटर पानी में बाविस्टन एवं स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या प्रोवैक्स से संशोधित करके 8-10 घंटे भिगो कर रखना चाहिए। संशोधित भीगे बीज को गीली बोरियों पर 7-8 सैंटीमीटर मोटी सतह पर बिछा देना चाहिए और इसे ऊपर से गीली बोरियों से ढक देना चाहिए। ढके हुए बीज पर समय-समय पर पानी छिड़क कर लगातार गीला रखना चाहिए। इस प्रकार 24 से 36 घंटे में बीज अंकुरित हो जाएगा। 
एकड़ पौध तैयार करने के लिए बीज को 160 वर्ग मीटर (6.5 मरले) में बीज का एकसार छिड़काव करना पड़ता है। पक्षियों से बीज को बचाने के लिए अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी की पतली स्तह पौध की बिजाई के बाद एक दिन बाद बिखेर देनी चाहिए। ज़मीन को बार-बार पानी लगा कर गीली रखने की आवश्यकता है परन्तु बीज के अंकुरित होने तक खेत में अधिक पानी खड़ा नहीं होना चाहिए। खेत में बीज डालने के बाद दो-तीन के भीतर ‘साथी’ का इस्तेमाल कर लेना चाहिए ताकि पौध में नदीन न उगे। पौध को लगातार पानी देते रहना चाहिए। जब पौध 20-25 सैंटीमीटर ऊंची या 6-7 पत्तों वाली हो जाए तो पौध लगाने के लिए तैयार हो जाती है। यदि पौध के नये पत्ते पीले पड़ जाएं तो फैरस सल्फेट का 3 छिड़काव सप्ताह-सप्ताह के अंतराल पर करना चाहिए। यदि पौध में ज़िंक की कमी लगे, जब पुराने पत्तों को जंग लग जाए तो 0.5 प्रतिशत ज़िंक सल्फेट हैप्टाहाईड्रेट 100 लिटर पानी में या 0.3 प्रतिशत ज़िंक सल्फेट मोनोहाईड्रेट का प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर देना चाहिए। धान लगाने वाले खेत में सब्ज़ खाद, ढैंचा या सण या रवांह, यंत्र आदि का इस्तेमाल करना चाहिए।