शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना

16 जुलाई से शुरू हो चुका सावन का महीना भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महीना है। सावन का महीना भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है, इसलिए यह महीना उन्हीं को समर्पित होता है। शिव भक्तों को पूरे साल सावन का इन्तजार रहता है। इसलिए सावन शुरू होते ही देशभर के शिवालयों में हर हर महादेव की स्वर लहरी गूंजने लगती है। पूरे महीने  सोमवार के दिन तो किसी शिवालय में तिल रखने की भी जगह नहीं बचती। भक्तजनों का तांता लगा रहता है। सावन में लोग पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस बार सावन का महीना दो शुभ योगों के साथ शुरू हो रहा है। ये शुभ योग हैं- विश्वकुंभ और प्रीति योग। इन शुभ योगों में पूजा का महत्व सामान्य दिनों के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। कई लोगों के मन में यह सहज जिज्ञासा उठती है कि आखिर भगवान शिव को दूसरे महीनों के मुकाबले सावन का महीना अत्यधिक प्रिय क्यों है? इसके पीछे एक कहानी है। इस पौराणिक कहानी के मुताबिक समुद्र का मंथन सावन के महीने में ही हुआ था। इस मंथन से जब हलाहल निकला तो भगवान शिव ने उसे सृष्टि की रक्षा के लिए खुद पी लिया। यह विष इतना मारक था कि जैसे ही उन्होंने इसे अपने गले के नीचे उतारा तो पूरा गला जलकर नीला हो गया। तभी से शिव का एक नाम नीलकंठ हो गया। इस भयानक तीव्रता वाले जहर की जलन और बेचैनी को कम करने के लिए तब देवताओं ने भगवान शिव को लगातार शीतल जल से जलाभिषेक किया था। देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें लगातार शीतल जल अर्पित किया, तभी से भोले भंडारी को सावन का महीना सबसे ज्यादा प्रिय है। इस महीने के दूसरे महीनों से ज़्यादा प्रिय होने का एक और कारण है। सावन में ही शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह हुआ था। पार्वती ने शिव जी को हर जन्म में अपने वर के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। जब उनकी तपस्या सफल हुई और सावन के महीने में ही शिव जी के साथ उनकी शादी हुई तो भगवान शिव के लिए सावन के प्रिय होने की एक और वजह बन गई। इस बार सावन का महीना 29 दिन का है यानी सामान्य से एक दिन कम है। जब कोई महीना तकनीकी रूप से एक या दो दिन छोटा या बड़ा हो जाता है तो वह और विशेष हो जाता है। इस बार चूंकि सावन 29 दिन है इसलिए इसके शुरू होने से लेकर इसके बंद होने की अवधि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से और भी सघन हो गई है। सावन के महीने में सोमवार के दिनों की अतिरिक्त महत्ता होती है। इस बार पहला सोमवार 18 जुलाई को, दूसरा 25 जुलाई, तीसरा एक अगस्त को और चौथा 8 अगस्त को है। सोमवार के दिन सावन में पूजा का विशिष्ट विधान है। इसके मुताबिक सुबह जल्दी उठें, स्नान आदि करने के बाद साफ  कपड़े पहनें, घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें और शिवलिंग में गंगा जल तथा दूध का अर्पण करके शिव को पुष्प अर्पित करें। सोमवार की पूजा में बेलपत्र होना बहुत ज़रूरी है। अगर इन बेलपत्रों पर चंदन से राम लिख दें तो और पुण्य फल मिलेगा। पूजा करने के बाद आरती उतारें, भोग लगाएं और ध्यान रखें कि भगवान शिव को सिर्फ  सात्विक चीजें ही भोग के रूप में पसंद होती हैं। सावन का महीना जहां एक तरफ  धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, वहीं इसका प्रकृति के लिए भी बहुत महत्व है।  कुल मिलाकर यह महीना न सिर्फ  धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सृष्टि के सृजन के लिए भी यह महीना बहुत फलदायक है। इसलिए भारतीय संस्कृति में सावन का महत्व बाकी महीनों से अधिक होता है।

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