प्रधानमंत्री का संदेश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 15 अगस्त को स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से दिये गये भाषण  पर कई पक्षों से विचार करने की आवश्यकता है। भारत के लिए यह दिन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन देश ने आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण कर लिये हैं। इससे पूर्व यह 200 वर्ष तक अंग्रेज़ों का गुलाम रहा था। पिछले हज़ार वर्ष से भी अधिक अवधि तक इसे विदेशी आक्रमणकारियों ने लूटा तथा बर्बाद किया एवं इसकी वर्षों पुरानी परम्पराओं को धूल-धूसरित करने हेतु कोई कमी नहीं छोड़ी। एक लम्बे संघर्ष के बाद देश को आज़ादी मिली तथा साथ ही इसे विभाजन का संताप भी सहना पड़ा। केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा भी इस दिवस को भारी उत्साह से मनाने के लिए प्रबंध किये गये थे।
इन पिछले दशकों के दौरान कई पक्षों से देश आगे बढ़ा है। इसकी उपलब्धियां उल्लेखनीय रही हैं। आगामी समय में इसके विकास की गति और तेज़ होने की सम्भावना बनी हुई है। इस गति के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किये जाने आवश्यक हैं जिनमें सभी नागरिकों की हिस्सेदारी होना भी ज़रूरी है। प्रधानमंत्री ने आगामी 25 वर्षों में उपलब्धियों के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किये हैं तथा इस काल खंड को ‘अमृत काल’ कहा है। उन्होंने अपने लम्बे भाषण में पांच महत्त्वपूर्ण मुद्दों का भी ज़िक्र किया है, जिनके आधार पर भारत के प्रत्येक पक्ष से विकास करने की बात कही गई है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने पराधीनता की प्रत्येक सोच से मुक्त होने का भी उल्लेख किया है तथा अपनी गौरवपूर्ण विरासत पर गर्व किये जाने की बात भी कही है। ऐसा देश-वासियों में एकता एवं  सामूहिकता का एहसास पैदा करके ही सम्भव हो सकता है तथा इसके साथ ही उन्होंने देश-वासियों को अपने कर्त्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा भी दी है। नरेन्द्र मोदी ने इस बात का अहसास करवाया है कि आज दुनिया भर की नज़रें भारत पर टिकी हुई हैं तथा यह केन्द्र बिन्दू बनता जा रहा है। इसका उदाहरण उन्होंने कोविड महामारी के विरुद्ध लड़ी गई जंग के रूप में दिया है तथा यह भी कि देश में जिस प्रकार एक निश्चित समय में नागरिकों को 200 करोड़ टीके लगाये गये हैं, उन्हें एक रिकार्ड माना जा सकता है। किसी अन्य देश की ओर से ऐसा सम्भव नहीं हो सका। उन्होंने नई शिक्षा नीति का भी उल्लेख किया एवं यह भी कहा कि हमें देश की प्रत्येक भाषा पर गर्व होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण बातों को भी केन्द्र बिन्दू बनाया है जिनमें पहली चुनौती भ्रष्टाचार एवं दूसरी परिवारवाद से निपटने की है। उन्होंने डिज़ीटल इंडिया पर ज़ोर दिया तथा इससे भी अधिक महिला-पुरुष की समानता की भावना को साकार करने के लिए नियोजना की आवश्यकता का अहसास करवाया है। आत्म-निर्भर भारत बनाने के लिए ऊर्जा क्षेत्र को प्रोत्साहित करने तथा सोलर शक्ति के साथ-साथ उच्च-स्तरीय तकनीक अपनाने के लिए भी कहा है। 
हम प्रधानमंत्री की इन भावनाओं के साथ सहमत होते हुये कुछ अन्य पक्षों की ओर उनका ध्यान आकर्षित करना भी आवश्यक समझते हैं। इनमें बेरोज़गारी एवं राष्ट्र की कमज़ोर होती अर्थ-व्यवस्था की ओर सरकार का ध्यान देना अत्यावश्यक है। राष्ट्रीय समरसता के लिए सभी जातियों-बिरादरियों एवं धर्मों की ओर से संतुलित दृष्टिकोण रखे जाने की भी बहुत ज़रूरत है। पिछले वर्षों में देश में जो कटुता एवं भिन्न-भिन्न वर्गों में तनाव बढ़ा है, उसे ईमानदारी एवं सही दृष्टिकोण अपना कर ही ठीक किया जाना चाहिए। ऐसी स्थितियों में ही लोकतंत्र की वास्तविक भावना उजागर हो सकती है। ऐसी संतुलित सोच ही देश को आगे बढ़ाने के समर्थ हो सकेगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द