निरन्तर बढ़ रही है भारतीय वायुसेना की ताकत 

8अक्तूबर, 1932 में स्थापना के बाद धीरे-धीरे प्रगति करती हुई भारतीय वायुसेना अपने 90 वर्ष पूरे कर 91वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। स्थापना के समय इसका नाम रायल इंडियन एयरफोर्स था। 1950 में इसका नाम बदल कर इंडियन एयरफोर्स रखा गया था। प्रत्येक वर्ष वायुसेना का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन एयर शो के दौरान वायुसेना के विमान तथा हैलीकाप्टर आसमान में हैरतअंगेज़ करतब दिखाते हैं और अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। 90 वर्षों के इतिहास में ऐसे कई अवसर आए जब भारतीय वायुसेना के जांबाज़ों ने शत्रु के दांत खट्टे करके अपनी ताकत का एहसास करवाया। प्रत्येक चुनौती के समय भारतीय वायुसेना ने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया है। वायुसेना के विमान हमेशा ही दुश्मन पर आफत बनकर टूटे हैं। प्रत्येक युद्ध को जीतने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान चीन व पाक सीमा पर चुनौतियां काफी बढ़ी हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए वायुसेना की ज़िम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं। वर्तमान में भारतीय वायु सेना के पास 33 स्क्वॉड्रन लड़ाकू विमान हैं। चीन व पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियों के मद्देनज़र भारत के पास लगभग 45 स्क्वॉड्रन लड़ाकू विमान होने चाहिए। 
देश में विकसित हल्के लड़ाकू हैलीकॉप्टर प्रचण्ड की पहली खेप के वायु सेना के बेड़े में शामिल हो जाने से उसकी युद्ध कौशल क्षमता में काफी बढ़ोतरी हो गई है। प्रचण्ड अत्याधुनिक किस्म का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जो बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, किसी भी मौसम में किसी भी समय पर हमला करने में सक्षम तथा किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने में पारंगत है। यह बहुपयोगी हैलीकॉप्टर दुश्मनों के राडारों के चकमा देने में माहिर है। इसलिए अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पूरी क्षमता के साथ शत्रु के बंकरों को तबाह करने, आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने और बचाव कार्य करने में सक्षम है। ऐसे 15 हैलीकॉप्टरों पर 3887 करोड़ रुपये खर्च होंगे।                                            
राफेल विमानों के आ जाने से वायुसेना अत्यन्त मज़बूत हो गई है। जनवरी 2022 में इन विमानों की आखिरी खेप आ गई थी। 36 राफेल विमानों के होने से पूरी दो स्क्वाड्रन हो गई हैं। इन विमानों की तैनाती चीन सीमा पर कर दी गई है ताकि चीन की किसी भी हरकत से निपटा जा सके। लम्बी दूरी की मारक क्षमता वाली मिटियार मिसाइलों से लैस राफेल विमान चीन के लिए बेहद घातक सिद्ध होंगे। यह दो इंजनों वाला लड़ाकू विमान है और एक साथ कई हथियारों को ले जा सकने में सक्षम है। परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता वाला यह विमान अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस है। इसके अलावा यह विमान इज़राइली माऊंटेड डिस्प्ले, राडार वार्निंग  रिसीवर्स, लो बैंड जैमर्स, इन्फ्रारैड सर्च सिस्टम व 10 घण्टे की फ्लाइट डाटा की रिकार्डिंग जैसे सिस्टमों से लैस है। 2223 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से उड़ने वाले इस विमान का राडार 100 किलोमीटर के दायरे में 40 लक्ष्यों की जानकारी एक साथ देता है जिससे शत्रु के लक्ष्यों को निशाना बनाना आसान होगा। इसकी यही विषेशता गेम चेंजर वाली है। 
हल्के तेजस विमान मिग-21 विमानों की जगह ले रहे हैं क्योंकि ये काफी पुराने हो चुके हैं। राफेल और तेजस के अलावा सुखोई-30 एमकेआई विमान भी चीन से टक्कर लेने को तैयार हैं। ये विमान हवा से ज़मीन पर मार करने मेें बेहद खतरनाक माने जाते हैं। भारतीय वायु सेना के बेड़े में मिग-29 मल्टी रोल एयरक्राफ्ट और जगुआर जैसे हर मौसम में युद्ध के लिए तैयार रहने वाले लड़ाकू विमान भी हैं। 
राफेल का इस्तेमाल जब हम सुखोई-30 व अन्य विमानों के साथ करेंगे तो हम पाकिस्तान व चीन दोनों पर भारी पडें़गे। विदित हो कि बह्मोस मिसाइलों से लैस सुखोई विमान लद्दाख सीमा पर तैनात हैं। भारतीय वायुसेना मिराज-2000 और जगुआर विमानों का भी इस्तेमाल करती है। ये अत्यन्त तेज गति वाले विमान हैं। चीन से लगती सीमा के पास प्रमुख हवाई अड्डों पर दुनिया के सबसे हाईटेक मल्टीरोल हैलीकॉप्टर अपाचे एवं चिनूक हर मोर्चे से निपटने में सक्षम हैं। इस तरह किसी भी स्थिति में निपटने को वायु सेना तैयार है। 
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