रुपए का डॉलर में मेकओवर


मेकओवर का बड़ा महत्व होता है। सोकर उठते ही मुंह धोकर कंघी कर लीजिए, कपड़े ठीक कीजिए, डियो स्प्रे कर लीजिए,  फ्रैश महसूस होने लगता है। महिलाओं के लिए फ्रैशनेस का मेकओवर  थोड़ी लंबी प्रक्रि या  होती है। लिपस्टिक, पाउडर, परफ्यूम आवश्यक तत्व हैं। 
ब्यूटी पार्लर में लड़की का मेकओवर कर उसे दुल्हन बना दिया जाता है। एक से एक भी बिलकुल बदली बदली सी लगने लगती हैं। दुल्हन के स्वागत समारोह के बाद  बारी आती है ससुराल में बहू के मेकओवर की। सास, ननदें  उसे गृहिणी में तब्दील करने में जुट जाती हैं। शनै: शनै:  गृहिणी से पूरी तरह पत्नी में मेकओवर होते ही, पत्नी पति पर भारी पड़ने लगती है। 
 हर मेकओवर की एक फीस होती है। ब्यूटी पार्लर वह फीस रुपयों में लेता है पर कहीं त्याग, समर्पण, अपनेपन, रिश्ते की किश्तों में फीस अदा होती है। 
एक राजनैतिक पार्टी से दूसरी में पदार्पण करते नेता जी गले का अंगोछा बदल कर नए राजनैतिक दल का मेक ओवर करते हैं। यहां गरज का सिद्धांत लागू होता है। यदि मेकओवर की जरूरत आने वाले को होती है तो उसे फीस अदा करनी होती है और अगर ज्यादा आवश्यकता बुलाने वाले की है तो इसके लिए उन्हें मंत्री पद से लेकर अन्य कई तरह से फीस अदा की जाती है। नया मेकओवर होते ही नेता जी के सिद्धांत, व्यापक जनहित में एकदम से बदल जाते हैं। विपक्ष नेता जी के पुराने भाषण सुनाता रह जाता है पर नेता जी वह सब अनसुना कर विकास के पथ पर आगे बढ़ जाते हैं। 
स्कूल कालेज कोरे मन के  बच्चों का मेकओवर कर उन्हें सुशिक्षित इंसान बनाने के लिए होते हैं किंतु हुआ यह कि वे उन्हें बेरोजगार बना कर छोड़ देते हैं इसलिए शिक्षा में आमूल परिवर्तन किए जा रहे हैं। अब केवल डिग्री नौकरी के मेकओवर के लिए अपर्याप्त है। स्किल, योग्यता और गुणवत्ता से मेकओवर नौकरी के लिए जरूरी हो चुके हैं। अब स्टार्ट अप के मेकओवर से एंजल इन्वेस्टर आप के आइडिये के लिए करोड़ों इन्वेस्ट करने को तैयार हैं।
पिछले दिनों हमारा अमरीका आना हुआ। टैक्सी से उतरते तक हम जैसे थे, थे पर एयरपोर्ट में प्रवेश करते हुए अपनी ट्राली धकेलते हम जैसे ही बिजनेस क्लास के गेट की तरफ बढ़े, हमारा मेकओवर अपने आप कुछ प्रभावी हो गया लगा क्योंकि हमसे टिकिट और पासपोर्ट मांगता वर्दी धारी गेट इंस्पेक्टर एकदम से अंग्रेजी में और बड़े अदब से बात करने लगा। 
बोर्डिंग पास इश्यू करते हुए भी हमें थोड़ी अधिक तवज्जो मिली। हमारा चेक इन लगेज तक कुछ अधिक साफिस्टीकेटेड तरीके से लगेज बेल्ट पर रखा गया। लाउंज में आराम से खाते पीते एन समय पर हैंड लगेज में एक छोटा सा लैपटाप बैग लेकर जैसे ही हम हवाई जहाज में अपनी फ्लैट बेड सीट की ओर बढ़े, सुंदर सी एयर होस्टेस ने अतिरिक्त पोलाइट होकर हमारे कर कमलों से वह हल्का सा बैग भी लेकर ऊपर  डेक में रख दिया। हमें दिखा कि इकानामी क्लास में बड़ा सा सूटकेस भी एक पैसेंजर स्वयं ऊपर  रखने की कोशिश कर रहा था। बिजनेस क्लास में मेकओवर का ये कमाल देख हमें रुपयों की ताकत समझ आ रही थी।
जब अठारह घंटे के आराम दायक सफर के बाद जान एफ केनेडी एयरपोर्ट पर हम बाहर निकले,  तब तक बिजनेस क्लास का यह मेकओवर मिट चुका था, क्योंकि ट्राली लेने के लिए भी हमें अपने एस बी आई कार्ड से छ: डालर अदा करने पड़े। रुपए के डालर में मेकओवर की फीस कटी हर डालर पर कोई 9 रुपए मात्र। हमारे मैथ्स में दक्ष दिमाग ने तुरंत भारतीय रुपयों में हिसाब लगाया लगभग पांच सौ रुपए मात्र ट्राली के उपयोग के लिए। हमें अपने प्यारे हिंदोस्तान के एयरपोर्ट याद आ गए। कहीं से भी कोई भी ट्राली उठाओ कहीं भी बेतरतीब छोड़ दो एकदम फ्री।  
एकबार तो सोचा कितना गरीब देश है ये अमरीका, भला कोई ट्राली के उपयोग करने के भी रुपए लेता है। जैकेट पहन सीटी बजाते रेस्ट रूम से निकलते हुए हम अमेरिकन मूड  में आ गए। तीखी ठंडी हवा ने हमारे चेहरे  को छुआ, मन तक मौसम का खुशनुमा मिजाज  दस्तक देने लगा। एयरपोर्ट के बाहर बेटा हमें लेने खड़ा था। हम हाथ हिलाते  उसकी तरफ  बढ़ गए। (अदिति)