अथाह विभिन्नताओं से भरपूर है अफ्रीका महाद्वीप


विश्व भर के सात महाद्वीपों एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमरीका, दक्षिणी अमरीका, अंटार्कटिका और ओशियानिया (आस्ट्रेलिया) में से अफ्रीका महाद्वीप दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। करीब 30 मिलीयन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस महाद्वीप में धरती के कुल जमीन क्षेत्र का 20 प्रतिशत हिस्सा आता है। इसकी जमीन पर संसार की कुल मानवीय जनसंख्या का 18 प्रतिशत भाव 1.4 बिलीयन लोग रहते हैं। इसकी जनसंख्या की एक विशेषता यह है कि यहां के लोगों की औसत आयु विश्व के बाकी देशों की औसत आयु से सबसे कम है जिसका भाव है कि यहां नौजवानों की संख्या ज्यादा है। वर्णनीय है कि जहां विश्व के बाकी देश अपने इलाके में बढ़ रही वृद्ध लोगों की जनसंख्या की समस्या के साथ जुझ रहे हैं वहीं अफ्रीका की ज्यादा नौजवान जनसंख्या इलाके की आर्थिक तरक्की करने में अहम भूमिका निभा सकती है। इस महाद्वीप की एक विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि भरपूर प्राकृतिक स्त्रोत होने के बावजूद इसके देश विश्व भर में सबसे कम विकसित और पूंजी के तौर पर सबसे पिछड़े हुए हैं। इसके कारण हैं यहां लम्बे समय तक उपनिवेशवाद का होना, कबीलावाद, दूषित जलवायु और लोकतंत्र की कमी आदि। अफ्रीकी देशों का समूह ‘अफ्रीकी यूनियन’ अलग-अलग देशों में तालमेल बिठाने का काम करता है। उक्त महाद्वीप में 55 स्वतंत्र देश हैं जिनमें से अलजीरिया क्षेत्र के तौर पर सबसे बड़ा और नाइजीरिया जनसंख्या के तौर पर सबसे बड़ा देश है। सात महाद्वीपों में से अफ्रीका अकेला महाद्वीप है जो धरती के उत्तरी अर्धगोले से दक्षिणी अर्धगोले तक फैला हुआ है। समूह संसार के देशों को अफ्रीका से एक सबक भी सीखना चाहिए कि किसी समय विश्व के सबसे ज्यादा किस्मों के वृक्षों और जंतुओं की प्रजातियों के साथ भरपूर यह इलाका जंगलों की कटाई के कारण मरुस्थल का रूप धारण किए जा रहा है। बात करें यदि विश्व की समूची मानव जाति की तो वैज्ञानिकों की धारणा है कि धरती की ऐसी जाति का मानव सबसे पहले अफ्रीका में ही करीब तीन लाख साल पहले विकसित हुआ था। इसका सबूत मोराक्को, इथोपिया और दक्षिणी अफ्रीका में करीब तीन लाख साल पुराने मिले मानवीय अवशेशों से मिलता है। बात करें यदि पानी की उपलब्धता की तो अफ्रीका में पानी की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। यहां कृषि ज्यादाकर बारिश पर निर्भर है और समूचे अफ्रीका महाद्वीप के सिर्फ 10 प्रतिशत क्षेत्र पर ही कृषि की सिंचाई ट्यूबवैलों से की जाती है। 
अफ्रीका की इन परिस्थितियों से भारत के लोगों को भी सबक सीखने की जरूरत है। ज़रूरत है कि अपने प्राकृतिक स्त्रोतों और खासतौर पर पानी की देखभाल करते हुए इसका उचित प्रयोग किया जाए। पिछले कुछ सालों में संयुक्त राष्ट्र संघ की पर्यावरण संबंधी संस्था ‘पर्यावरण तबदीली संबंधी अंतर सरकारी पैनल’ द्वारा समूह अफ्रीकी देशों को सुचेत किया गया था कि यह इलाका विश्व के बाकी देशों से ज्यादा गर्म हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप आने वाले समय में यहां भोजन की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अफ्रीकी महाद्वीप की बात करते सहारा रेगिस्तान का नाम अपने आप हमारे मन में आ जाता है। यह मरूस्थल अफ्रीका के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें अलजीरिया, चाड, मिस्र, लीबिया, मोराक्को, नाइजर, सुडान और ट्यूनीशिया देश आते हैं। भूगोलिक स्थिति के तौर पर अफ्रीका महाद्वीप पश्चिम की ओर से अटलांटिक महासागर, उत्तर से मैडीटेरीयन सागर, पूर्व की तरफ से लाल सागर और दक्षिण की ओर से अटलांटिक और भारतीय महासागर के मिश्रित पानी से घिरा हुआ है। मिस्त्र देश में बहती स्वेज नहर अफ्रीका और एशिया महाद्वीपों को अलग-अलग करती है। यह नहर व्यापारिक तौर पर इलाके के लिए बेहद जरूरी है। अफ्रीका के जंगलों में गिद्दड़, चीते, शेर, हाथी, ऊंट, जिराफ, भैंसों के अलावा पानी में मिलने वाले मगरमच्छ जैसे जानवरों की प्रजातियां बड़ी संख्या में मिलती हैं। सलेटी रंग वाले हाथी सिर्फ अफ्रीका में ही मिलते हैं। इस महाद्वीप की समस्याएं दूर करने और आपसी तालमेल बनाने के लिए 55 देशों के ‘अफ्रीकी यूनियन’ नाम के संगठन की स्थापना सन् 2002 में की गई थी। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र की बड़ी जनसंख्या गरीबी, अनपढ़ता, कुपोषन, पीने वाले पानी की कमी और सफाई व्यवस्था के बुरे हालात के कारण बीमारियों से जूझ रही है। समूचे अफ्रीका की कुल जनसंख्या इस्लाम और इसाई धर्मों में तकरीबन एक समान बंटी हुई है। यहां के लोगों की चमड़ी का काला रंग गर्म जलवायु, ज्यादा धूप और चमड़ी में मौजूद गाढ़े रंग के मैलानिन कणों के जीन्स के कारण होता है। अफ्रीका में कोबालट, सोना, हीरे, बाकसाइट, एल्यूमीनियम, करोमीयम, मैगनीज़, यूरेनियम और प्लैटिनम जैसे स्त्रोतों के बड़े भंडार मौजूद हैं। सभी महाद्वीपों से पुराना होने के कारण अफ्रीका को ‘महाद्वीपों की मां ’ भी कहा जाता है। यहां के लोगों का जीवन मुश्किलों भरा होने के कारण लोगों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है जिसके कारण यहां के ज्यादातर लोगों का शरीर ज्यादा मजबूत होता है। अफ्रीका के भवन निर्माण की बात करते गीज़ा के पिरामिड याद आते हैं। मिस्र की राजधानी कायरो में स्थित ये पिरामिड अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘यूनैस्को’ की विरासती धरोहर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पिरामिड मिस्र के प्राचीन राजाओं के मृतक शरीरों के अवशेषों को सम्भालने के लिए बनाये गये हैं। अफ्रीकी कला भंडार में बड़ी विभिन्नता पाई जाती है। इसमें मिट्टी के बने बर्तन, धातुओं से बनी वस्तुएं, अलग-अलग किस्मों की मूर्तियां, बसतर कला जिसमें सिल्क के कपड़े पर सुनहरी छपाई-कड़ाई आदि शामिल हैं। इथोपिया में चर्च की चांदी के साथ चमकाई हुई चित्रकारियां पुरातन अफ्रीका का अमीर बिरसा है। एक अनुमान के अनुसार अफ्रीका में एक हजार से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। यहां के लोगों में भाषा के तौर पर बड़ी विभिन्नता पाई जाती है। भाव अफ्रीकी लोग एक से ज्यादा अफ्रीकी भाषाओं के अलावा यूरोपीय भाषाएं बोलने के भी समर्थ हैं।
-सेवा मुक्त लैक्चरार, चंद्र नगर, बटाला
मो- 62842-20595