दिलीप कुमार के 100वें जन्मदिन पर विशेष फिल्मोत्सव


‘मैं अति प्रसन्न हूं कि हम दिलीप कुमार की लिगेसी का जश्न मनाने के लिए थिएटरों में उनकी फिल्मों को प्रदर्शित कर रहे हैं। मैं प्रत्येक सिने प्रेमी और समकालीन एक्टर, जिसने दिलीप कुमार को लार्जर दैन लाइफ नहीं देखा है, इस अद्भुत अवसर को खोएं नहीं और बड़े पर्दे पर इस दिग्गज को देखें। यह अभिनय में मास्टरक्लास हैं। आज भी जब मैं उनकी फिल्में देखता हूं तो मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है। दिलीप कुमार मेरे आदर्श थे, और हैं। मुझे आज भी उस एक्टर की तलाश है जो उनकी त्रुटिहीन अदाकारी, उनके दोषरहित उच्चारण और अपनी कला में जो इंटेलीजेंस व समर्पण लेकर आये, उसका मुकाबला कर सके। उनके द्वारा बोला गया हर शब्द शायरी था और जब वह पर्दे पर आते थे तो हर चीज़ धुंधली पड़ जाती थी। मुझे एक बार उनके साथ स्क्रीन शेयर करने का अवसर मिला और मैं हमेशा उस अनुभव को याद रखूंगा।’
यह सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के शब्द हैं अपने आदर्श दिलीप कुमार के बारे में। अमिताभ इस बात को लेकर बहुत दुखी हैं कि दिलीप कुमार की अनेक फिल्में इस स्थिति में नहीं हैं कि उन्हें सिनेमाघरों में स्क्रीन किया जा सके। इसे वह त्रासदी बताते हुए कहते हैं, ‘फिल्म हेरिटेज फाऊंडेशन यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि दिलीप कुमार जैसे लीजेंड्स का कार्य सुरक्षित रखा व रीस्टोर किया जा सके ताकि आज के युवा दर्शकों को उसे दिखाया जा सके।’ दरअसल, दिलीप कुमार के 100वें जन्म दिवस पर फिल्म हेरिटेज फाऊंडेशन ने दो-दिन का फिल्मोत्सव क्यूरेट किया है, जिसका शीर्षक है ‘दिलीप कुमार- हीरो ऑफ हीरोज़’। इसके तहत 10 व 11 दिसम्बर को उनकी चार फिल्में- आन (1952), देवदास (1955), राम और श्याम (1967) व शक्ति (1982) देश के 20 शहरों में स्क्रीन की जाएंगी। इन स्क्रीनिंग का उद्देश्य दिलीप कुमार का जश्न मनाना है। यह बताते हुए फाऊंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने बताया, ‘दिलीप कुमार की शताब्दी वर्षगांठ अदभुत अवसर है, भारतीय सिनेमा के महानतम एक्टर को बड़े पर्दे पर लाने का। इतने वर्षों बाद भी उनकी फिल्मों में समकालीन आकर्षण है। वह वास्तव में ‘हीरो ऑफ़  हीरोज़’ हैं; क्योंकि बड़े-बड़े सितारे भी प्रेरणा के लिए उनकी ओर देखते हैं। हालांकि उनकी कुछ फिल्में 70 वर्ष पहले रिलीज़ हुई थीं, लेकिन उनकी अदाकारी के रूप में उनकी कला और उनका करिश्मा उन्हें ऐजलेस बना देता है।’
कमल हसन के अनुसार, ‘दिलीप कुमार ने भारतीय एक्टर्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय पैमाना स्थापित किया- वह अपने क्षेत्र में वैज्ञानिक, सुवक्ता व शानदार थे। सिनेमा लोगों को विश्वास दिला सकता है कि जो लोग जा चुके हैं वह अभी भी जिंदा हैं। दिलीप कुमार विश्व के सर्वश्रेष्ठ जीवित एक्टर हैं। यह स्क्रीनिंग उनकी हेरिटेज को जिंदा रखेगी।’ बहरहाल, जब फाऊंडेशन ने दिलीप कुमार की फिल्मों को स्क्रीन करने का निर्णय लिया तो आयोजकों ने पाया कि उनकी बहुत सी आइकोनिक फिल्में बड़े पर्दे पर दिखाए जाने की स्थिति में नहीं थीं। डूंगरपुर के अनुसार, ‘इस अवसर पर मैं उनकी अनेक फिल्मों को क्यूरेट करने के प्रति उत्साहित था। आख़िरकार जिस एक्टर का इतना शानदार व प्रभावी कार्य रहा हो उसकी चंद फिल्मों का कैसे चयन किया जा सकता था? लेकिन मुझे यह जानकर शॉक लगा व मेरा दिल टूट गया कि उनकी अधिकतर महान फिल्में लो-रेज़ोलुशन फॉर्मेट में हैं, जिन्हें बड़े पर्दे पर प्रोजेक्ट नहीं किया जा सकता। हम बड़ी मुश्किल से चार फिल्मों को ही ला पा रहे हैं।’
इसके बावजूद यह सवाल तो उठेगा ही कि सूची में दिलीप कुमार की कुछ श्रेष्ठ फिल्में जैसे मधुमति, गंगा जमुना, मुगले आज़म आदि क्यों शामिल नहीं हैं? डूंगरपुर के अनुसार, ‘सभी फिल्में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर तो उपलब्ध हैं, लेकिन उन सभी को बड़े पर्दे पर दिखाना सम्भव नहीं है। अब हमें मालूम है कि उनका कितना कार्य उपलब्ध है और उसे बचाना कितना महत्वपूर्ण है। यह उस दौर के एक्टर्स, क्रू मेंबर्स व फिल्मकारों के लिए भी ट्रिब्यूट है। फिल्मकारों व निर्माताओं को एहसास होना चाहिए कि समय निकलता जा रहा है और इन फिल्मों को बहुत देर होने से पहले बचाना ज़रूरी है।’ सवाल यह है कि क्या पुरानी फिल्मों को देखने के लिए दर्शक आयेंगे? डूंगरपुर के अनुसार क्लासिक फिल्मों के लिए हमेशा दर्शक मौजूद रहते हैं। लंदन जैसे शहरों में तो कुछ थिएटर केवल पुरानी फिल्में ही दिखाते हैं। इसलिए अगले वर्ष वह देवानंद व राज कपूर की फिल्मों का भी उत्सव लेकर आयेंगे। दिलीप कुमार पर फिल्मोत्सव को लेकर उनकी पत्नी सायरा बानो भी बहुत प्रसन्न हैं। वह बताती हैं, ‘भारत के महानतम एक्टर के 100वें जन्म दिवस पर मनाये जा रहे उत्सव का शीर्षक ‘दिलीप कुमार- हीरो ऑफ़ हीरोज़’ एकदम उचित है। मैं जब 12 साल की थी तभी से वह मेरे फेवरेट हीरो रहे हैं, तब मैंने उन्हें पहली बार फिल्म आन में टेकनीकलर में देखा था। उन्हें फिर से पड़े पर्दे पर, लार्जर देन लाइफ, जैसा कि वह मेरे जीवन में थे, देखना ख़ुशी की बात होगी।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर