वर्ष 2022 में उम्मीद से अधिक रफ्तार से बढ़ा डिजिटल भुगतान

 

साल 2016 में जब रातोंरात 500 और 1000 के नोट रद्द कर दिये गये थे, उस समय तक देश में लगभग 96 फीसदी तक लेन-देन कैश या पारम्परिक चैक, ड्राफ्ट्स, पे आर्डर आदि के रूप में हो रहा था। ऐसे में जब नोटबंदी के कुछ दिनों बाद केंद्र सरकार की तरफ  से इसका एक कारण यह भी बताया गया कि देश में ऑनलाइन लेन-देन को प्रोत्साहित करने के लिए नोटबंदी का जोखिम लिया गया है, तो शायद ही किसी ने तब कल्पना की थी कि अगले पांच सालों में ही ऑनलाइन लेन-देन में हम हैरान करने वाली ऊंचाई हासिल कर लेंगे, लेकिन ऐसा ही हुआ है। गत वर्ष 2022 के अक्तूबर माह में यूपीआई के जरिये 7.3 अरब भुगतान डिजिटल माध्यम से हुआ, जो कुल 12,11,582 करोड़ रुपये की धनराशि का था। इसके पहले साल 2021-22 में कुल 7,422 करोड़ डिजिटल भुगतान हुआ था और साल 2020-21 में इनकी संख्या 5,554 करोड़ थी। इससे पता चलता है कि देश में डिजिटल भुगतान की रफ्तार 33 फीसदी से भी ज्यादा की दर से बढ़ रही है। ऐसे में यह दावा अब बिल्कुल पहुंच में लग रहा है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक 1000 अरब डॉलर यानी 1 ट्रिलियन डॉलर का लेन-देन डिजिटल माध्यम से संभव हो सकेगा। 
वर्तमान में सब्जीवाला, पानवाला, चायवाला, मोची, रेहड़ी में चाट पकौड़ी बेचने वाला यानी ऐसा कौन सा शख्स है, जो ऑनलाइन लेन-देन नहीं कर रहा। आज लाखों ऐसे युवा आपको घूमते, खरीदारी करते हुए या रेस्टोरेंट बैठे खाना खाते हुए दिख जाएंगे और हैरान करने वाली बात यह होगी कि उनकी जेब में कैश के नाम पर एक रुपया भी नहीं होगा। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि देश में डिजिटल लेन-देन किस तेज़ रफ्तार से बढ़ रहा है। नई पीढ़ी के लेन-देन की तो यह पूरी तरह से संस्कृति ही बन चुकी है। वास्तव में यह ऑनलाइन लेन-देन समग्रता में उस ई-गवर्नेंस का ही एक हिस्सा है, जिसको बढ़ावा देने के लिए मौजूदा सरकार ही नहीं बल्कि इससे पीछे की सरकारें भी करती रही हैं।
साल 2022 में ई-गवर्नेंस उम्मीद से भी अधिक रफ्तार से बढ़ा है। दरअसल ई-गवर्नेंस का मतलब है देश के नागरिकों को सरकारी सूचनाओं और सेवाओं को पारदर्शी तरीके से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिये उन तक बिना सामने आये अर्थात फेसलेस तरीके से प्रदान करना। इस ई-गवर्नेंस का ही एक तरीका ऑनलाइन लेन-देन है जिसमें बैंक सामने नहीं आते या कहे फेसलेस स्थिति में मौजूद होते हैं। दो दशक पहले यूरोपीय परिषद ने दुनिया की सभी लोकतांत्रिक सरकारों के लिए ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए ज़रूरी बताया था। ई-गवर्नेंस में ई का मतलब है- इलेक्ट्रॉनिक। इसका बुनियादी सैद्धांतिक पहलू यह है कि इसके चलते सार्वजनिक प्राधिकरणों का समूचा कामकाज सभी चरणों वाला इलेक्ट्रॉनिक तौर तरीके से हो और यह सभी नागरिकों के लिए पारदर्शी तरीके से सहजता से उपलब्ध हो।
भारत में सुशासन के लिए जुलाई 2015 में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए देश में ई-गवर्नेंस के सफर के लिए एक रोड मैप दिया था। उन्होंने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा था कि वह आने वाले दिनों में एक ऐसे डिजिटल इंडिया का सपना देखते हैं, जहां तेज रफ्तार डिजिटल हाइवे देश को एक कर रहा हो और देश की 1.3 अरब से अधिक जनसंख्या इससे न सिर्फ  पूरी तरह से जुड़े बल्कि वह अपने अपने तरीके से इसमें नवाचार की संभावनाएं भी तलाश रही हो। उन्होंने तब डिजिटल इंडिया का एक लक्ष्य यह भी बताया था कि इसके जरिये टेक्नोलॉजी यह सुनिश्चित करे कि नागरिकों और सरकार के बीच जो संपर्क का माध्यम है, वह भ्रष्ट न हो।
आज अगर समग्रता में देखें तो यह बुनियादी उद्देश्य न सिर्फ सफल होता दिख रहा है बल्कि अब यह रफ्तार भी पकड़ चुका है। उम्मीद है कि साल 2023 में सरकार का शासन और प्रशासन दोनो ही ई-गवर्नेंस के मामले में पिछले सालों से कहीं ज्यादा दक्ष, तेज रफ्तार और ज्यादा डिलीवर कर रहे होंगे। भारत किस तरह डिजिटल इंडिया में तब्दील हो रहा है, आज इसे देखने और महसूस करने के लिए किसी विशेषज्ञ की टिप्पणी या उसके आंकलन अथवा शोध की ज़रूरत नहीं है। आज देश की करीब 92 फीसदी वयस्क आबादी पूरी तरह से सूचना, सम्पर्क माध्यम, खासकर मोबाइल फोन से जुड़ चुकी है। मोबाइल फोन महज दो लोगों के बीच सूचना लेने या देने का जरियाभर नहीं है बल्कि आज यह मोबाइल फोन इससे कहीं ज्यादा हमारे रोजमर्रा के कामकाज का हिस्सा है। मोबाइल के कारण आज 60 फीसदी से ज्यादा लोग बैंक नहीं जा रहे, जो आम तौर पर बैंकों से पैसा निकालने या अन्य सेवाएं हासिल करने के लिए जाया करते थे। अब लोगों का जीवन आसान हुआ है।
आज मोबाइल आपसी लेन-देन का ही एक पारदर्शी तरीका नहीं है बल्कि बाज़ार में चल रहे भावों की जानकारी पाने का जरिया भी है। आज मोबाइल रेलवे के टिकट खरीदने, यात्रा की अपनी पूरी व्यवस्था को देखने, पढ़ने, सीखने से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी के 90 फीसदी से ज्यादा कामों को आसान और तीव्र बनाने का जरिया है। आज देश का आम से आम व्यक्ति अनेक माध्यमों के जरिये बिना कहीं गये, बिना किसी से परेशान हुए, अपनी सुविधा से भुगतान करता और पाता है। ई-गवर्नेंस के लिए सरकार ने व्यापक स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया है। 
भारत सरकार ई-गवर्नेंस को जल्द से जल्द देश के सभी क्षेत्रों में लागू करने और इससे बेहतर नतीजा पाने के लिए विशेष तौर पर काम कर रही है। आज की तारीख में सरकार ब्रॉडबैंड हाइवेज का गंभीरता से विकास कर रही है, देश के हर नागरिक को मोबाइल कनेक्टिविटी तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है, जल्द ही इंटरनेट को व्यक्तिगत की बजाय सार्वजनिक किये जाने की भी दिशा में काम हो रहा है, देश के कई प्रांतों में 90 फीसदी तक सरकारी कामकाज पारदर्शी तरीके से ई-गवर्नेंस के दायरे में आ गया है। ई-गवर्नेंस या ई-प्रशासन के जरिये सरकारी क्षेत्र में शासन और प्रशासन दोनो का ही विस्तार हो रहा है। कुल मिलाकर साल 2022 में ई-गवर्नेंस की दिशा में सरकार ने जो तज़ी से काम किया है, उससे संभावनाएं जगी हैं कि साल 2023 में इसका विस्तार होगा, गति में भी और प्रगति में भी। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर