पाबंदी के बावजूद फल-फूल रहा है चीनी मांझे का कारोबार 

 

हमें केवल चीन से ही नहीं चीनी मांझे से भी दूर रहना होगा। मकर संक्रांति तिल गुड़ की मिठास के साथ पतंगबाजी के उत्साह से भरा पर्व है। इस पर्व पर पतंग उड़ाने की परम्परा है। मकर संक्रांति और बसंत के अवसर पर देश के कई भागों में पूरा आसमान विभिन्न आकारों की रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। पतंगबाजी का यह शौक आज इसलिए खतरनाक होता जा रहा है क्योंकि पतंगबाज अब चीनी मांझा का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह मांझा न सिर्फ  पतंगें बल्कि लोगों और पक्षियों के जीवन की डोर भी काट रहा है।
आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन चीन में प्रचीन काल से पतंगबाजी होती आ रही है। हान राजवंश के शासनकाल में पतंगों का सैन्य उपयोग भी होता था। वहां के सैन्य कमांडर दुश्मन सेना की स्थिति और दूरी का पता लगाने के लिए पतंगों का भी इस्तेमाल किया करते थे। कहा जाता है कि पतंगबाजी भी चीन के रास्ते भारत पहुंची है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंगबाजी को सांस्कृतिक गतिविधि बताते हुए पतंगबाजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पतंगबाजी एक सांस्कृतिक गतिविधि है और इसे रोका नहीं जा सकता।  इसकी बजाय प्रशासन को चीनी सिंथेटिक मांझा पर प्रतिबंध को ठीक से लागू करना होगा।
अब सवाल यह पैदा हो रहा है कि आखिर यह मांझा इतना खतरनाक क्यों है और एक पतला धागा लोगों की जान कैसे ले सकता है? इसका कारण यह है कि पतंगबाजी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सामान्य मांझा कपास का बना होता है, लेकिन चीनी मांझा नायलॉन और अन्य सिंथेटिक सामग्री से बना होता है। यह मांजा कांच, लोहे के पाउडर और कई अन्य रसायनों के साथ लेपित है। इस वजह से मांझा और भी तीखा और जानलेवा हो जाता है। चाइनीज मांझा साधारण मांझा की जगह स्ट्रेचेबल होता है यानी टूटने की बजाय खिंचता रहता है। इतना ही नहीं चीनी मांझा में धातु के चूर्ण के प्रयोग से यह विद्युत का सुचालक होता है अर्थात इसमें से करंट प्रवाहित हो सकता है। इसलिए बिजली के झटके का खतरा रहता है, लेकिन इसके खतरों से अवगत होने के बावजूद आज बाज़ार में इसकी काफी मांग है, क्योंकि जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो वे चाहते हैं कि उनकी पतंग न कट पाये और दूसरों की ज्यादा से ज्यादा पतंगें काट सकें।
साल 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मांझा पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। पर्यावरण विभाग के तहत 10 जनवरी, 2017 को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके अनुसार पतंगबाजी के लिए नायलॉन, प्लास्टिक तथा किसी भी तरह की सिंथेटिक सामग्री पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके अलावा कांच, धातु या अन्य नुकीली चीजों से बने धागों पर भी पतंग उड़ाने पर रोक लगा दी गई है। नियम के मुताबिक सूती धागे से बनी डोर से पतंग उड़ाई जा सकती है। इन नियमों का उल्लंघन कड़ी सज़ा के साथ दंडनीय है। अगर कोई ऐसा करते पाया जाता है तो उसे 5 साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है। 
प्रतिबंध होने के बावजूद आज देश भर मेें चीनी मांझा का कारोबार फलफूल रहा है। व्यवसायी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं और घातक चीनी मांझा लोगों को बेच रहे हैं, और खरीदने वालों की भी कोई कमी नहीं है। मांझा के व्यापारी पुलिस को चकमा देने के लिए हाईटेक तरीके अपना रहे हैं और इसके लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह मांजा इतना खतरनाक होता है कि अगर तेज रफ्तार से चलने वाला व्यक्ति इसकी चपेट में आ जाए तो यह न केवल त्वचा या नसों को बल्कि उसकी मांसपेशियों को भी काटकर हड्डियों तक पहुंच सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद चीनी मांझे के पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 
कई राज्य सरकारों ने चीची मांझे पर प्रतिबंध लगा रखा है और प्रशासन को कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
जानकारों की मानें तो ऐसा तेज़ धार मांझा भारत में भी बनने लगा है। यह मांझा प्लास्टिक का बना होता है। इसलिए काफी मज़बूत होता है। चीनी मांझे को मैटलिक कोटिंग से तैयार किया जाता है। चाइनीज मांझे की कई वैरायटी बन रही हैं। इसे बनाने में अधिकतर केमिकल और अन्य धातुओं का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें शीशा, वज्रम गोंद, मैदा, एल्युमीनियम ऑक्साइड और जिरकोनिया ऑक्साइड शामिल हैं। इन सभी चीजों के मिश्रण तेज़ धार वाला चीनी मांझा तैयार होता है। यह आसानी से टूटता नहीं है। इसमें ब्लेड जैसी धार होती है। वैसे बाजार में मिलने वाले सभी मांझे घातक होते हैंए लेकिन इनमें चाइनीज मांझा सबसे ज़्यादा खतरनाक है । 
  पुलिस हर साल समय-समय पर मांझे को लेकर हिदायतें जारी करती है। जहां भी बिक्री होती है, पुलिस कार्रवाई करती है। चूंकि पतंग कटने के बाद हवा में उड़ता हुआ मांझा हादसे की वजह बनता है। ऐसे में पुलिस के सामने पतंग उड़ाने वाले का पता करना बड़ी चुनौती होती है। आखिर यह पतंग कहां से कटकर आई है और कौन उड़ा रहा था। लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगा है।