ओएस्टर क्या और कैसे खाता है?

 


दीदी, जब हम ओएस्टर या घोंघा को उसकी शेल या खोल में देखते हैं तो आश्चर्य होता है कि वह कुछ नहीं करता बस एक जगह ही पड़ा रहता है, तो ऐसे में वह सांस कैसे लेता होगा, कैसे खाता होगा या कैसे अपनी सुरक्षा करता होगा?’
‘घोंघा जीवित मैटर का मात्र गोला 2 नहीं है। वह जटिल प्राणी है जो अनेक जटिल गतिविधियों में लगा रहता है। उसके विभिन्न अंग होते हैं, रक्त, नर्वस सिस्टम आदि।’
‘लेकिन मैं सिर्फ  यह जानना चाहता हूं कि वह खाता कैसे है?’
‘इसके लिए हमें पहले यह जानना होगा कि वह खाता क्या है? वह अति सूक्ष्म एलगी व अन्य माइक्त्रो-ओर्गानिज्म खाता है।’
‘इसका अर्थ यह हुआ कि वह उन चीजों को खाता है जिन्हें सिर्फ माइक्रोस्कोप के जरिये ही देखा जा सकता है।’
‘हां। यह फूड के सूक्ष्म कण उसके शरीर में पानी के साथ प्रवेश करते हैं, जो निरंतर उसमें से बहता रहता है, जब उसकी शेल खुली हुई होती है।’
‘तो वह बहते पानी में से फूड को रोकता कैसे है?’
‘उसके गिल्स म्यूकस जारी करते हैं जिसमें फूड फंस जाता है। घोंघा वास्तव में कुछ फूड का चयन करता है और कुछ को ठुकरा देता है, जो उसके लिए उचित न हो या अधिक बड़ा हो या गलत आकार का हो, लेकिन वह यह कैसे करता है हमें मालूम नहीं है। हां, लेकिन एक बात पता है।’
‘वह क्या?’
‘घोंघा के एक पाचक नाल होती है जो उसके मुंह से शुरू होती है और चार फीलर्स होते हैं जो उसके मुंह की ओपनिंग को गार्ड करते हैं। यह फीलर्स फूड को स्वीकार करते व छांटते हैं।‘
‘फिर यह फूड हजम कैसे होता है?‘
‘पतला फूड पाइप होता है जो पेट में खुलता है, जो बड़ा, बोरी जैसा होता है। एक प्रकार का रॉड, लगभग एक सेंटीमीटर लम्बा, पेट में प्रोजेक्ट करता है। यह रॉड पेट में घूमता है जिससे छोटे फूड कण आपस में मिश्रित होते व पिसते हैं। इस रॉड में वह एंजाइम होते हैं जो फूड को हजम करते हैं। पेट को घेरे हुए एक बड़ा पाचन ग्लैंड भी होता है।’
‘वह क्या करता है?’
‘इस ग्लैंड में रक्त कोशिकाएं होती हैं जो फूड को घेरती हैं और अपने अंदर पचा लेती हैं।’ -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर