‘अग्गा दौड़ ते पिच्छा चौड़’


अभी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मुम्बई का दौरा किया है, इस दौरे से पूर्व इसकी काफी चर्चा भी करवाई गई है तथा विस्तारपूर्वक इसके उद्देश्यों को भी गिनाया गया है। मुख्यमंत्री ने वहां जाकर कई बड़ी कम्पनियों के प्रबन्धकों के साथ भी बातचीत की, जिनमें महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, गोदरेज तथा जिंदल स्टील के प्रतिनिधि शामिल हुए। मान ने उन्हें विस्तारपूर्वक यह बात समझायी कि पंजाब में इस समय उनके लिए अपने उद्योग लगाने या व्यापार करने हेतु साज़गार माहौल है, उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में ऐसे प्रबन्ध किये जाएंगे कि निवेशकों को वहां किसी प्रकार की समस्या न आये, उन्हें कृषि या फलों पर आधारित उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर अपने प्लांट लगाने की सलाह दी। पंजाब के लोग प्रकाशित हो रहे इन समाचारों को आश्चर्यजनक ढंग से ले रहे हैं। जहां तक नई औद्योगिक नीति का संबंध है, हमारी सूचना के अनुसार इसके सामने आने में अभी कई पड़ाव शेष हैं परन्तु मुख्यमंत्री अपनी सरकार के बनने से लेकर ही देश तथा विदेशों में ऐसा प्रचार करने हेतु दौरे कर रहे हैं। वह हैदराबाद भी गये तथा चेन्नई भी। इससे पूर्व उन्होंने जर्मन का दौरा भी किया था, जहां उन्होंने उद्योगपतियों को कृषि तथा फूड प्रोसैसिंग के क्षेत्र में निवेश करने के लिए कहा था तथा पंजाब सरकार द्वारा 23-24 फरवरी, 2023 को प्रगतिशील  पंजाब निवेशक सम्मेलन में शामिल होने के लिए भी निमंत्रण दिया था तथा यह भी कहा था कि प्रदेश में उद्योग लगाने हेतु उन्हें पूरा सहयोग दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री की इस यात्रा की कई अन्य कारणों से भी काफी चर्चा हुई थी तथा उनके इस ब्यान पर भी काफी विवाद उठा था कि जर्मन की कारों का निर्माण करने वाली बड़ी कम्पनी बी.एम.डब्ल्यू पंजाब में अपनी इकाई लगाने हेतु तैयार हो गई है। चाहे बाद में पता चला कि मुख्यमंत्री का यह बयान हवाईर् किला निर्माण करने जैसा ही था। इसके अलावा वह गत दिवस फ्रांस तथा कनाडा की कम्पनियों के साथ भी ऐसे विचार-विमर्श करते रहे हैं। मुख्यमंत्री की ऐसी गतिविधियों से आश्चर्य तथा परेशानी पैदा होना स्वाभाविक है। विगत लम्बी अवधि से प्रदेश में जो माहौल बना हुआ है उससे उद्योगपति तथा व्यापारी वर्ग किसी भी तरह संतुष्ट दिखाई नहीं दे रहा, अपितु उनके भीतर डर तथा सहम का माहौल पैदा हो गया प्रतीत होता है। 
प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति बुरी तरह बिगड़ी हुई है। धरनों तथा आन्दोलनों का दौर जारी है। लोगों के अलग-अलग वर्गों को फिरौतियों के लिए लगातार आ रहे फोन इस सहम को और भी बढ़ा रहे हैं क्योंकि इस दिशा में पहले ही कुछ ़खतरनाक घटनाएं भी घटित हो चुकी हैं। पूर्व सरकारों ने उद्योगों के लिए 5/- रुपये प्रति यूनिट बिजली देने की घोषणा की थी जो तब भी और अब भी व़फा नहीं हुई। पूर्व सरकारों ने भी देश तथा विदेशों के निवेशकों को बुला कर कई बार सम्मेलन करवाए थे परन्तु इन पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी कोई सार्थक परिणाम नहीं था निकला। ‘आप’ सरकार भी अब इसी रास्ते पर चल रही नज़र आ रही है। हर तरह के कारोबारियों को अब इस बात के भी लाले पड़े हुए हैं कि पॉवरकाम पर लगातार पड़ रहे सबसिडी के बोझ की पूर्ति के लिए उन्हें फिर निशाना बनाया जाएगा। इस संबंध में रैगूलेटरी आयोग के अधिकारियों ने कई बड़े शहरों में उद्योगपतियों तथा अन्य कारोबारियों के साथ बैठकें भी कीं, जिस में उन्होंने रैगुलेटरी कमिशन के अधिकारियों की बातों का कड़ा विरोध किया। आम आदमी पार्टी की सरकार का एक बड़ा एजैंडा भ्रष्टाचार को खत्म करना था। पिछले महीनों में उसकी यह कार्रवाई विपक्षी पार्टियों के नेताओं को निशाना बनाने में तो अब तक सफल रही है, लेकिन इसके साथ-साथ अफसरशाही में भी एक अदृश्य भय फैल गया प्रतीत होता है। किस को, किस के लिए, किस तरह निशाना बनाया जाना है इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता। अपनी ऐसी कार्रवाईयों के साथ क्या सरकार नीचे से लेकर ऊपर तक और भी  अधिक फैल चुके भ्रष्टाचार पर काबू डाल सकेगी? इस संबंध में अभी भी अनिश्चितता बनी दिखाई देती है। उद्योगपतियों को बिजली आज भी 8 से साढ़े 8 रुपये प्रति यूनिट दी जा रही है। आगामी गर्मियों में यह कितनी और कितनी देर के लिए आयेगी इस बारे में भी अनिश्चितता पैदा होती जा रही है।
इसका एक बड़ा कारण यह है कि गले तक कज़र् में फंस चुका पॉवरकाम और कितने समय के लिए सांस ले सकेगा तथा सरकार और उसके सरकारी विभागों की ओर फंसे अरबों रुपये की पूर्ति वह कैसे करने में समर्थ हो सकेगा, इस संबंध में भी कुछ कहा नहीं जा सकता। इसी कारण पंजाब के उद्योगपतियों और व्यापारियों ने दूसरे प्रदेशों की तरफ भागना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ कुछ समय पहले की गई पंजाब के उद्योगपतियों की बैठक से तो प्रदेश की सांस ही फूल गई थी। पूर्व मंत्री अनिल जोशी का यह ब्यान कि उद्योगपतियों और कारोबारियों द्वारा पंजाब से पलायन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि मान सरकार उनके अधिकारों की रक्षा करने में बुरी तरह असफल हो गई है। सरकार की गलत नीतियां, गैंगस्टरों द्वारा सरेआम गुंडागर्दी, प्रदेश में विफल कानून व्यवस्था के कारण यहां के उद्योगपति बाहर निवेश करने जा रहे हैं, उन प्रदेशों में जहां बेहतर कानून, अच्छी व्यवस्था, सस्ती बिजली की निर्विघ्न आपूर्ति मिल सकती हो। आज यही प्रभाव कारोबारियों में बन चुका है। हमारे लिए यह समझना कठिन है कि अपने चौड़ हुए पिच्छे को सम्भालने तथा उसकी सुध लेने के स्थान पर मुख्यमंत्री इस दिशा में आगे क्यों दौड़ने लगे हुए हैं। पहले अपना खस्ताहाल घर सम्भालना ज़रूरी होता है उसके बाद ही इस पर रंग-रोगन किया जा सकता है। मुख्यमंत्री की आगे दौड़ने की यह नीति शेष बचा पिच्छा भी चौड़ कर रही है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द