ब्राज़ील में लोकतंत्र विरोधी हिंसक प्रयासों से वैश्विक नेता चिंतित 

 

ब्राजील में भड़की हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमरीकी राष्ट्रपति और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस समेत कई विदेशी नेताओं ने निंदा की है। पीएम मोदी ने ब्राजील में हुए दंगों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी को लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा- ‘ब्राजील में सरकारी संस्थानों के खिलाफ  दंगे और तोड़-फोड़ की खबरों से बेहद चिंतित हूं। सभी को अपने लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। हम ब्राजील के अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देते हैं।’ अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी ब्राजील में हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि जो ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन पर धावा बोलना सही नही। इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ कहा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी ब्राजील की हिंसा की निंदा की और कहा कि ब्राजील के लोगों और देश के संस्थानों की इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए। गुटेरेस ने ट्वीट किया- ‘ब्राजील के लोगों और देश के संस्थानों की इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि जल्द ही ऐसा होगा। ब्राजील एक महान लोकतांत्रिक देश है।’ अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि ब्राजील में हिंसा को तत्काल खत्म करने के लिए अमरीका राष्ट्रपति लूला के साथ है। दक्षिण अमरीकी देश में विरोध प्रदर्शनों की निंदा करते हुए ब्लिंकेन ने कहा, ‘लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल हमेशा अस्वीकार्य है। राष्ट्रपति जो बाइडनने ट्वीट कर कहा कि, ‘मैं लोकतंत्र पर हमले और ब्राजील में सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की निंदा करता हूं। ब्राजील के लोकतांत्रिक संस्थानों को हमारा पूरा समर्थन है और ब्राजील के लोगों की इच्छा को कम नहीं किया जाना चाहिएं। 
    गौरतलब है कि लगभग दो साल पहले जो घटना अमरीकी कैपिटल हिल में हुई थी उसी तरह की घटना अब ब्राजील अब ब्राजीलियन सुप्रीम कोर्ट और संसद में देखी गई है। पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने अपने विरोधी राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा के शपथ के हफ्ते भर बाद, रविवार को राजधानी में कांग्रेस (संसद) सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया। इस घटना को लेकर जहां ब्राजील में बोलसोनारो पर लोकतंत्र को ध्वस्त करने के आरोप लग रहे हैं, वहीं पूर्व राष्ट्रपति ने इस पूरे उपद्रव से खुद को अलग करते हुए समर्थकों की इस हरकत की निंदा की है।  
 ब्राजील हिंसा के बारे में बताया जाता है कि रविवार को लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के विरोध में प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ते हुए कांग्रेस संसद भवनद्ध ,राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट में घुस गए। इन प्रदर्शनकारियों ने हरे और पीले झंडे के कपड़े पहने थे। इनमें से एक समूह के लोग सदन अध्यक्ष की कुर्सी पर चढ़ गए और वहां उसके आसपास जमा हो गए। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी स्पीकर के डायस पर चढ़कर माइक से छेड़छाड़ कर रहे हैं। एक वीडियो में बाहर भीड़ को एक पुलिसकर्मी को उसके घोड़े से खींचकर जमीन पर गिराते हुए दिखाया गया है। प्रदर्शनकारियों से जुड़े कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें उपद्रवियों को कांग्रेस भवन में प्रवेश करने के साथ दरवाजे और खिड़कियां तोड़ते हुए दिखाया जा रहा। वीडियों में दिख रहा है वह एक साथ अंदर आते हैं और सांसदों के कार्यालयों को तोड़ते हैं। साथ ही उन्होंने एक बैनर को फहराने की कोशिश की। 
इस घटना को लेकर ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो पर लोकतंत्र को ध्वस्त करने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि, बोलसोनारो ने इस पूरे उपद्रव से खुद को अलग करते हुए समर्थकों की इस हरकत की निंदा की है। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को भी निराधार करार दिया है। बोलसोनारो ने सरकारी इमारतों पर हमले के लिए समर्थकों को भड़काने के ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा के आरोपों को भी खारिज कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति ने ट्वीट में लिखाए ‘मैं अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करता हूं, जो कि ब्राजील के मौजूदा प्रमुख ने मेरे ऊपर बिना किसी सबूत के लगा दिए हैं।’
ब्राजील में ताजा हिंसा का कारण पिछले साल अक्तूबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव हैं। दरअसल, ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने 30 अक्तूबर घोषित चुनाव नतीजों में निवर्तमान जायर बोल्सोनारो को हरा दिया। इसके साथ ही वामपंथी नेता ने  दशकों से देश की सत्ता में काबिज दक्षिणपंथी सरकार को उखाड़ फैंका। यह परिणाम बोल्सोनारो समर्थकों के लिए अप्रत्याशित था। इस चुनाव में लूला को बोलसोनारो के 49.2: की तुलना में 50.8: वोट मिले थे। सुप्रीम इलेक्टोरल कोर्ट ने लूला के जीत की औपचारिक घोषणा की। हालांकि, बोलसोनारो के समर्थकों को यह हार नहीं पची और उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। इसी विरोध के परिणाम स्वरूप प्रदर्शनकारी रविवार को और भी हिंसक हो गए और सरकारी इमारतों में घुसकर खूब उत्पात मचाया।
बताया जाता है कि ब्राजील राष्ट्रपति चुनाव में जापर बोल्सोनारो की हार के बाद उनके समर्थकों ने चुनाव जीतने वाले लेफ्ट नेता लूला का विरोध शुरू कर दिया। हालांकि, छुटपुट हिंसा की शुरुआत तो चुनाव से पहले ही हो गई थी। यही कारण है कि देश में चुनाव से पहले जुलाई अगस्त में सुरक्षा को बढ़ाया गया था। जुलाई में, ब्राजील की संघीय पुलिस ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए सुरक्षा दी थी जो आमतौर पर अगस्त के मध्य में चुनावी दौर के आधिकारिक शुरुआत से पहले नहीं किए जाते थे।  सितम्बर में एक 39 वर्षीय व्यक्ति को लूला के समर्थन की घोषणा करने के बाद पूर्वोत्तर राज्य सिएरा में एक बार में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। इन्ही घटनाओं को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था। 22 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने ब्राजील में अधिकारियों, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि आगामी आम चुनाव शांतिपूर्ण हों और चुनाव संबंधी हिंसा को रोका जाए।
दो अक्तूबर को यहां चुनाव हुए और 28 अक्तूबर को परिणाम आए। हालांकि, चुनाव बाद भी यहां हिंसा नहीं रुकी नवम्बर और दिसम्बर के महीनों में राजधानी ब्राजीलिया समेत देश के कई हिस्सों में घटनाएं सामने आईं। एक सर्वे के मुताबिक अक्तूबर से नवम्बर के बीच यहां 103 हिंसक घटनाएं हुईं ,जिनमें राजनीतिक प्रतिनिधि या उनके परिजनों के शामिल होने का आरोप था। हिंसा की एक झलक में राजधानी ब्रासीलिया में दिसम्बर के मध्य में भी देखी गई थी जब बोल्सनारो समर्थकों ने संघीय पुलिस मुख्यालय पर हमला करने का प्रयास किया था। इसी हिंसा का सिलसिला नए साल में भी नहीं रुका।  प्रदर्शनकारियों को शांत कराने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और संसद भवन के आस-पास के क्षेत्र को खाली कराया इस घटना में 1200   से ज्यादा लोगों को गिरफ्तारी हुई है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुम्ज़ ने राजधानी सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने 31 जनवरी तक ब्रासीलिया में एक संघीय सुरक्षा लगाने की घोषणा की है।