प्रेरक प्रसंग राई का घड़ा

 

कौशल नगर में एक व्यापारी सुखराम रहता था। एक रात को जब सब सोए हुए थे तो कुछ चोर उसके घर में घुस आए।
सुखराम ने चोरों को सुनाते हुए जोर से अपनी पत्नी से कहा, ‘अरे सुनती हो। मैंने आज जो राई से भरा हुआ घड़ा तुम्हें ला कर दिया था, उसे संभाल कर रख दिया है न। पता चला है कि राई के भाव बहुत ज्यादा बढ़ने वाले हैं। एक घड़े राई की कीमत लाखों रुपए होगी। इसलिए मैं इतनी सारी राई लाया और एक तुम हो कि उसे बाहर बरामदे में रख आई हो। कल इसे अवश्य तिजोरी में रख देना।’ 
पत्नी बोली, ‘ऐसा ही करूंगी। अगर पहले बताया होता तो पहले ही रख देती।’ चोरों ने सुना तो उस राई से भरे हुए घड़े को उठा कर चल दिए। 
दूसरे दिन चोर बाजार में गए। हर दुकान पर जा कर राई के भाव पूछने लगे लेकिन राई के दाम तो कल वाले ही थे।  आखिर में सुखराम की दुकान पर पहुंचे। वे सुखराम को पहचानते भी कैसे? उसे देखा तो था नहीं। चोराें ने उससे पूछा, ‘क्यों जी राई के भाव क्या हैं?’ 
सुखराम समझ गया कि ये वही चोर हैं। उसने हंस कर कहा, ‘भाई साहब, राई के भाव तो रात वाले गए, अब उससे क्या लेना-देना?’
चोरों को भी यह समझते देर नहीं लगी कि सुखराम ने उन्हें अपनी चतुराई से हरा दिया है।
वे सिर धुनते हुए अपने रास्ते चल दिए। फिर कभी सुखराम के घर तो क्या, उस गांव में भी नहीं आए। (उर्वशी)