उपलब्धियों का लेखा-जोखा


बजट अधिवेशन की शुरुआत करते हुए संसद के दोनों सदनों को इकट्ठे रूप में सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा केन्द्र सरकार की नीतियों तथा योजनाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली तथा वर्तमान सरकार को शासन चलाते हुए 9 वर्ष के लगभग समय हो चुका है। नि:सन्देह इस समय के दौरान जहां भारत द्वारा प्राप्त की गई बड़ी उपलब्धियों को गिनाया जा सकता है, वहीं यह भी कहा जा सकता है कि सरकार की पहुंच आम लोगों तक भी हुई है, जिसमें गैस आपूर्ति से लेकर शौचालयों तक का विवरण दिया जा सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘आयुष्मान योजना’ तथा कोविड महामारी पर नियन्त्रण पाने के लिए टीकाकरण अभियान से लेकर ‘़गरीब कल्याण अन्न योजना’ तक सरकार की उपलब्धियों का ज़िक्र करना बनता है। अब तक इस योजना के तहत सरकार द्वारा साढ़े तीन लाख करोड़ की राशि खर्च की गई है।
इसके साथ ही पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा योजना को भी जारी रखा गया है, जिसमें सौ दिन के लिए गांवों में रहते परिवारों को काम का वायदा किया गया है। राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में, पुलवामा के घटनाक्रम की प्रतिक्रिया स्वरूप की गई सर्जीकल स्ट्राइक तथा पूर्वी लद्दाख में चीन के समक्ष डट कर खड़े होने का ज़िक्र भी अपने भाषण में किया है। देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने अपने हमलावर भेज कर जम्मू-कश्मीर के बड़े भाग पर कब्ज़ा कर लिया था परन्तु इसके बावजूद भारत इस क्षेत्र को पुन: हासिल करने में सफल नहीं हो सका। परन्तु कश्मीर में पाकिस्तान के अप्रत्यक्ष युद्ध के विरुद्ध मोदी सरकार ने दृढ़ता दिखाई है। धारा 370 को हटाये जाने का कदम भी इसकी एक कड़ी है।
प्राथमिक ढांचे की मज़बूती के साथ-साथ सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार रहित करके जन-साधारण तक पहुंचाना भी सरकार की बड़ी उपलब्धि रही है। ऐसी उपलब्धियों का ज़िक्र राष्ट्रपति ने अपने भाषण में विस्तारपूर्वक किया है। इस भाषण में ही समूचे देशवासियों को साथ लेकर आगे बढ़ने का सन्देश है परन्तु इस मुहाज़ पर सरकार पिछड़ गई दिखाई देती है। पिछले वर्षों में ज्यादातर ऐसे घटनाक्रम सामने आए हैं, जिनसे समाज में दरार पैदी हुई है। लगातार ऐसा सिलसिला चलता रहा है, जिसने बहुत-से वर्गों के बीच ऩफरत को जन्म दिया है । यदि समाज ने आगे बढ़ना है तो उसे आपसी मेल-मिलाप के साथ ही आगे कदम बढ़ाने होंगे। समाज में आई दरारें प्रत्येक पक्ष से नुकसान की धारणी होंगी। भारतीय संविधान भी सभी नागरिकों को सर्व-सांझी भावना के साथ आगे बढ़ने का सन्देश देता है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा की गई ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी ऐसे ही सन्देश पर लगातार ज़ोर दिया जाता रहा है।
आज देश, दुनिया का पांचवी बड़ी अर्थ-व्यवस्था बन चुका है परन्तु यह अभी तक फैली ़गरीबी तथा बढ़ती बेरोज़गारी पर काबू पाने में असमर्थ रहा है। इसके साथ-साथ समाज में व्यापक स्तर पर आर्थिक मंदी को दूर किये जाने की बेहद ज़रूरत होगी। इन क्षेत्रों में प्राप्त की गई बड़ी उपलब्धियों से ही सरकार की अच्छी कारगुज़ारी पर मुहर लग सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द