लम्बी उपेक्षा का परिणाम है पाकिस्तान की आर्थिक गिरावट

पा किस्तान बाढ़ से तबाह, आर्थिक रूप से दिवालिया और राजनीतिक रूप से खोखला देश बन चुका है। इन मुसीबतों से बचने के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार को बलि का बकरा मिल गया है। सर्वशक्तिमान ईश्वर! डार ने अपना पीछा छुड़ाते हुए कहा, क्योकि अल्लाह ने पाकिस्तान बनाया है, अल्लाह को ही पाकिस्तान को इस गड्ढ़े से बाहर निकालना होगा, इसे समृद्ध बनाना होगा और इसे विकसित करने में मदद करनी होगी।
वाघा के पार यह एक आम धारणा है कि पाकिस्तान की ‘समृद्धि’ और ‘विकास’ अल्लाह की ज़िम्मेदारी है। फिर यह भी सोचने की बात है कि पाकिस्तान कुल मिलाकर नशा न करने वालों का देश कहा जाता है। फिर भी हर कोई इस तर्क को नहीं मानता। इशाक डार के इस तरह के बयान का आम जनमानस में कोई महत्व नहीं है।  इसके विपरीत इशाक डार के इस सुझाव की घोर आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान उस गड्ढे में है जिसे उसने ने खुद खोदा है। इशाक डार के लिए सब कुछ अल्लाह पर छोड़ देना उपहास और निंदा दोनों को आमंत्रित करना है। मनुष्य की मूर्खता और अयोग्यता के लिए अल्लाह को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। पाकिस्तान की बहुत-सी समस्याओं में से एक है उसका स्थायी पर ऋणग्रस्त होना। पाकिस्तान का वित्तीय व्यवस्था शाही गड़बड़ी में डूबी हुई है। ऐतिहासिक रूप से हर राजनीतिक रंग के पाकिस्तानी वित्त मंत्री बड़े पैमाने पर देश की अर्थव्यवस्था का सूक्ष्म कुप्रबंधन करने में सफल रहे हैं। लेकिन अल्लाह को ज़िम्मेदार ठहराते हुए डार और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ  क्रिकेटर इमरान खान की ‘नो बॉल और वाइड बॉल’ वाली सरकार को भी नहीं भूले हैं। जैसा कि कहा गया, ‘भगवान तो बहाना है, इमरान खान निशाना है।’
मीडिया द्वारा पेश किये जा रहे उल्लेख के अनुसार इमरान खान को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित करने वाली सभी बुराइयों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। शरीफ  ने ये आरोप उस दिन लगाये जब पाकिस्तानी रुपये ने एक नयी अधोगति को छुआ, जब एक डॉलर की कीमत पाकिस्तानी के 262 रुपये के समान पहुंच गई थी। सही मायने में शरीफ  और डार के पास अब बलि के बकरे भी खत्म हो रहे हैं। आर्थिक संकट गहराता ही जा रहा है। बदनाम सरकार के पास आर्थिक को पुन: पटरी पर लाने की कोई योजना नहीं है। प्रधानमंत्री द्वारा अब यह कहा जा रहा है कि पीटीआई सरकार के कुप्रबंधन और खान की अक्षमता के कारण पाइपलाइन में विभिन्न विकास परियोजनाएं रुकी हुई हैं।
सच तो यह है कि पाकिस्तान सरकार पूरी तरह अनजान नहींहै। ऐसे हालात कैसे बन गये, सरकार जानती है, परन्तु समस्या से कैसे बाहर निकलना शरीफ  एंड कंपनी के दिमाग से बाहर की बात है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ  हाल ही में सउदी अरब तथा अन्य देशों में आपातकालीन वित्तीय सहायता की मांग करने वाले नये बने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर के साथ गए थे, लेकिन वैसा नहीं हआ जैसा दोनों चाहते थे। फिर डार को जीवन बचाने वाली कहानी बनानी पड़ी ‘सर्वशक्तिमान अल्लाह पाकिस्तान की समृद्धि और विकास के लिए ज़िम्मेदार है।’ शरीफ  अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से अंतिम समय में मिलने वाली राहत पर निर्भर हैं। यदि आईएमएफ  उसकी सहायता के लिए आगे आता है तो अन्य ऋणदाता भी आगे बढ़ेंगे। आईएमएफ  की एक टीम के शीघ्र ही पाकिस्तान पहुंचने की उम्मीद है। विदेशी मुद्रा भंडार संकट खतरनाक स्थिति में आ गया है। जो कुछ बचा है वह, लगभग चार बिलियन है जो एक महीने तक नहीं चलेगा। आयात ठप हो जायेगा। लोगों के पास आटा नहीं है। एके-47 के पहरे में कुछेक बोरे गेहूं के आटे का वितरण किया जा रहा है। कीमतें आसमान पर हैं।  अभी पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात हैं। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ  की आर्थिक राहत के लिए एक नज़र जीसीसी (गल्फ कोआप्रेशन कौंसिल) देशों पर है और दूसरी नज़र आंतरिक राजनीतिक स्थिति पर है। सभी पक्षों से उनकी गठबंधन सरकार समस्याओं में घिरी है। इमरान खान के रुकी हुई परियोजनाओं को दोष देना ही एकमात्र सहारा बचा है। शरीफ  चीन से बिगड़ते संबंधों के लिए इमरान खान की पीटीआई को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। 
कुल मिलाकर समय पाकिस्तान के पक्ष में नहीं है। बाढ़ ने पाकिस्तान को कमजोर कर दिया है। बच्चे विशेष रूप से घोर कष्ट में हैं। पाकिस्तान को उम्मीद है कि अल्लाह एक मजबूत हस्तक्षेप करेगा और करना भी चाहिए। पाकिस्तान को अपने छोटे से जीवन में पहले से कहीं अधिक मदद की ज़रूरत है। तानाशाह ज़िया उल हक ने एक बार कहा था ‘हम घास खा लेंगे लेकिन परमाणु बम बनायेंगे।’ आज हालात यहां तक आ गये हैं कि पाकिस्तानियों के पास खाने के लिए घास ही रह जायेगी।
शायद भारत इस स्थिति का फायदा उठा सकता है और ईश्वर प्रमुख भूमिका निभा सकता है, कम से कम कोशिश तो करनी ही चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री विश्व गुरु बनना चाहते हैं और यह उनकी परीक्षा की घड़ी है। यह नहीं हो सकता कि आप अपना पेट पूरा भरें और पड़ोसी के बच्चे भूखे पेट रहें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सहायता करने की दैवी भूमिका निभाने का इससे बेहतर मौका कभी नहीं मिलेगा! (संवाद)