रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द समाप्त होने के आसार नहीं

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को इस माह के अंत में एक साल हो जायेगा, पर इसके जल्द ही समाप्त होने का कोई संकेत नहीं है। वास्तव में, दो पूर्वी यूरोपीय पड़ोसियों के बीच  युद्ध दिन-ब-दिन भीषण होता जा रहा है। इस वर्ष ख्- जनवरी तक संयुत राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के उच्चायुत कार्यालय ने कुल स्त्र,क्क् नागरिकों की मृत्यु की पुष्टि की। इनमें ब्फ्त्त् बच्चे थे। इसके अलावा क्क्,भ्ब्स्त्र लोगों के घायल होने की खबर है। हालांकि संयुत राष्ट्र की एजेंसी ने कहा है कि वास्तविक संया अधिक हो सकती है।
दुनिया के सबसे धनी देश यूक्रेन को अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं की कीमत पर भी अंतहीन सैन्य और आर्थिक सहायता की आपूर्ति कर रहे हैं। दाता देशों के आधिकारिक बयानों और मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पिछले साल ख्ब् फरवरी, जब युद्ध शुरू हुआ था, से यूक्रेन को मिली विदेशी सहायता क्भ् अरब डॉलर से अधिक है। यूक्रेन को पश्चिम से सैन्य सहायता में ब्त्त्.भ् अरब डालर से अधिक सहायता प्राप्त हुई, जो तास की गणना के अनुसार रूस के ख्ख्ख् के रक्षा बजट के लगभग बराबर है।
रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन के समर्थन में कुछ वैश्विक अमीर देशों की सैन्य और विाीय भागीदारी इसे नाटो और रूस के बीच युद्ध बता रही है। यूक्रेन का इस्तेमाल महज लॉन्च पैड या प्यादे के तौर पर किया जा रहा है। युद्ध ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया हुआ है। सऊदी अरब और भारत को छोड़कर लगभग सभी अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं ने ख्ख्ख् में खराब आर्थिक विकास देखा। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के एक अनुमान से पता चलता है कि ख्ख्ख् में सऊदी अरब की जीडीपी वृद्धि लगभग क् प्रतिशत और भारत की स्त्र प्रतिशत थी। तुर्की और इंडोनेशिया की जीडीपी लगभग पांच-पांच प्रतिशत थी। चीन की जीडीपी वृद्धि पांच प्रतिशत से कम थी। यूक्रेन के सबसे बड़े हथियार और फंड प्रदाता संयुत राज्य अमरीका की अर्थव्यवस्था और जर्मनी में लगभग ख्.भ् प्रतिशत की वृद्धि हुई। ख्ख्फ् में भारत सहित सभी प्रमुख देशों के लिए ओईसीडी आर्थिक पूर्वानुमान निराशाजनक लग रहा है।
प्रमुख देशों में केवल भारत ख्ख्फ् में छह प्रतिशत जीडीपी वृद्धि तक पहुंच सकता है। सऊदी अरब और चीन सहित अन्य सभी देशों में जीडीपी वृद्धि पांच प्रतिशत तक हो सकती है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के प्रभाव के तुरंत बाद दुनिया पर रूस-यूक्रेन युद्ध का विपरीत प्रभाव पड़ा है। नाटो देशों से यूक्रेन में सैन्य और विाीय सहायता लगातार आ रही है। कुल विदेशी सहायता देश के वार्षिक रक्षा बजट से तीन गुना अधिक होगी। ओईसीडी के हालिया आर्थिक आउटलुक के अनुसार युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर विपरीत परिस्थितियां पैदा कर रहा है।
इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के ख्ख्फ् और ख्ख्ब् में और धीमा होने की उमीद है। ओईसीडी ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ख्ख्ख् में मामूली फ्.क् प्रतिशत वृद्धि हुई थी जो ख्ख्फ् में ख्.ख् प्रतिशत तथा ख्ख्ब् में ख्.स्त्र प्रतिशत हो सकती है। लगातार मुद्रास्फीति, उच्च ऊर्जा की कीमतें, कमज़ोर वास्तविक घरेलू आय वृद्धि, गिरते आत्मविश्वास और कड़ी विाीय स्थितियों से विकास में कमी आने की उमीद है। उच्च याज दरें, जबकि मुद्रास्फीति को कम करने के लिए आवश्यक हैं, परिवारों और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं दोनों के लिए विाीय चुनौतियों को बढ़ायेगी।
इससे पहले इसी तरह की एक रिपोर्ट में यूरोप और मध्य एशिया क्षेत्र के लिए विश्व बैंक के आर्थिक अपडेट में कहा गया था कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महामारी के बाद के आर्थिक सुधार की संभावनाओं को मंद कर दिया है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियां ख्ख्फ् में काफी उदास रहेगी। इस वर्ष के दौरान न्यूनतम .फ् प्रतिशत की वृद्धि की उमीद है, योंकि ऊर्जा की कीमतों के झटके इस क्षेत्र को प्रभावित करेंगे।
ज़ाहिर है नाटो चाहता है कि रूस के पीछे हटने तक युद्ध जारी रहे। यह यूक्रेन के लिए नाटो सदस्य बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा जिससे रूसी सीमा के पास यूक्रेन में बड़े पैमाने पर नाटो का निर्माण हो सकेगा। केलव यूक्रेन से एक राजनयिक तटस्थता का आश्वासन ही युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकता है, लेकिन अमरीका के नेतृत्व वाला नाटो ऐसा नहीं होने देगा। (संवाद)