क्या पाकिस्तान की दुर्दशा का ज़िम्मेदार खुद पाकिस्तान है ?

 

पाकिस्तान में इमरान सरकार ने पिछले 3 सालों में स्थिति बद से बदतर कर दी थी। मुद्रास्फीति और महंगाई चरम सीमा पर है। चावल, गेहूं, आटा, शक्कर और फलों के दाम आम नागरिकों की पहुंच से बाहर हो चुके है। फलों के दामों में आग लगी हुई है। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी ने शाहबाज सरकार को आलोचना का बड़ा शिकार बना दिया है। इमरान सरकार के हटने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि शाहबाज शरीफ  की सरकार और उनके भानुमति के कुनबे को कुछ अक्ल आएगी, किंतु यह सरकार तो इमरान सरकार से भी गई गुजरी दिखाई देने लगी है। पाकिस्तान सरकार के पास रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए पैसे नहीं है उनका अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में बैलेंस कुछ अरब डॉलर का ही रह गया है। बलूची आतंकवादियों द्वारा कराची में बम विस्फोट के कारण चीनी नागरिकों की मौत से चीन सरकार पाकिस्तानी सरकार से काफी नाराज़ चल रही है और उसने अपनी सहायता रोक दी है, शहबाज शरीफ  चीनी नागरिकों की सुरक्षा को हर संभव प्राथमिकता देने के बाद भी चीनी सरकार का गुस्सा खत्म नहीं हो रहा है, उसने तत्काल प्रभाव से पाकिस्तान को सारी सहायता रोक दी और अपनी सारी परियोजनाओं पर काम करना बंद कर दिया है। इसके अलावा सऊदी अरब, तुर्की और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी सहायता वर्तमान में रोककर पाकिस्तान की समस्या को दुगना कर दिया है। इसके बाद भी इमरान खान की तरह प्रधानमंत्री शरीफ  भी कश्मीरी राग अलाप कर भारत का विरोध लगातार कर रहे हैं।
बड़बोले पन की हद तक जाकर उन्होंने ऐलान किया है कि वह अपनी कमीज बेचकर भी आवाम को आटा, शक्कर, चावल, गेहूं उपलब्ध कराएंगे। पर शायद पाकिस्तान की किस्मत में केवल फटे खाली ही लिखी है, वर्तमान में पाकिस्तान न सिर्फ बिजली संकट से जूझ रहा है बल्कि बिजली संकट के कारण पानी की भी अभूतपूर्व कमी हो गई है। इसके अलावा प्राकृतिक रूप से पाकिस्तान के अलग-अलग प्रांतों में गर्मी 50 डिग्री सेल्सियस होकर कहर ढा रही है, इस कारण अधिकांश क्षेत्रों में सूखा और भुखमरी की स्थिति निर्मित हो गई, सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री के सलाहकार मंजूर वासन ने बताया की सिंध में कपास की उपज पानी की कमी तथा गर्मी के कारण सूख चुकी है, इसके अलावा पाकिस्तान में आम काली मिर्च, कपास, चावल, गेहूं और गन्ना उगाया जाता है, जो इस इलाके में गर्मी 50 डिग्री सेल्सियस होने के कारण बर्बाद हो गए हैं वहां त्राहि-त्राहि मची हुई है, पूरे खेत सूख कर उत्पादन बर्बाद हो गया, बिजली योजनाएं ठप पड़ी हुई है जिसके कारण वहां के किसान आसमान की तरफ  देखकर रोने और कलपने का काम ही कर रहे हैं। पाकिस्तान को यदि अपनी स्थिति सुधारनी है, तो उसके पास एक ही विकल्प है कि वह भारत से दुश्मनी की जिद छोड़ कर व्यापारिक संबंधों के लिए भारत देश से निवेदन करें, भारत ने अनेक देशों की मदद की है और पूर्व में वह पाकिस्तान को कपास तथा गेहूं और चावल निर्यात किया करता था वह भी कम कीमत पर, अब पाकिस्तान श्रीलंका की तरह दिवालियेपन की कगार पर खड़ा है। पाकिस्तान में कृषि उत्पादन, उद्योग उत्पादन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन एकदम शून्य हो गए हैं। पाकिस्तान की स्थिति अ़फगानिस्तान से कमतर नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी के अनुसार पाकिस्तानी न्यूज़ मीडिया को इमरान खान के हटने और नई शहबाज शरीफ की सरकार से वैसे भी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं थी, पर वहां का मीडिया पूरी तरह से नाउम्मीद होकर शाहबाज शरीफ  के मंत्रिमंडल और मंत्रियों की बखिया उधेड़ने में लगा हुआ है। पाकिस्तान को इस गरीबी और भूखमरी की स्थिति से उबरने के लिए आत्मनिर्भर बनने के लिए कम से कम 5 से 6 साल लगने की आशंका है और इस दौरान यदि वह दिवालिया होता है तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। पाकिस्तान के संबंध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमरीका, ब्रिटेन, इसराइल, फ्रांस, कनाडा अन्य यूरोपीय देशों के साथ भारत से भी अच्छे नहीं रहे हैं, इन परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र संघ जो कि यूरोपीय देशों के इशारे पर संचालित होता है पाकिस्तान की मदद करने में रुचि लेता नहीं दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान की नई सरकार के सर मुड़ाते ही ओले पड़ने की स्थिति हो गई है। शाहवाज शरीफ को पाकिस्तान की प्रधानमंत्री की कुर्सी बहुत ही संकट के समय मिली है और पाकिस्तान की बीमारी तथा आराजकता की स्थिति को संभालने के लिए प्रधानमंत्री सहवाग शरीफ के पास पर्याप्त अनुभव भी नहीं है। इसके अलावा नवाज शरीफ की सलाह इस संकट की स्थिति में किसी काम की भी नहीं रह गई है।
ऐसे में पाकिस्तान के सिंध, पंजाब व लरकाना जैसे समृद्धि क्षेत्र में भुखमरी जैसी स्थिति से निपटने के लिए कोई उपाय भी शेष नहीं रह गये है। अब पाकिस्तान के पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, अपने एकमात्र आका चीन तथा हमेशा मदद करने वाला देश सऊदी अरेबिया के पास जाने के अलावा कोई रास्ता शेष नहीं बचा है। पाकिस्तान को अब अपना आतंकवादी दृष्टिकोण बदल कर एक सामान्य राष्ट्र की तरह अपना शासन प्रशासन चलाना चाहिए अन्यथा पाकिस्तान की अस्मिता को नष्ट होने से कोई नहीं रोक सकता है।
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