वैश्विक निवेशक सम्मेलन से खुलेंगे रोज़गार के द्वार

 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों आयोजित तीन दिवसीय ‘उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन’ के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से विकास कर रही है। भारत की समृद्धि में दुनिया की समृद्धि निहित है। भारत के उज्ज्वल भविष्य में दुनिया के उज्ज्वल भविष्य की गांरटी पड़ी है। 
नए भारत के लिए उत्तर प्रदेश आशा का केंद्र बन गया है। बीते कुछ वर्षों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उत्तर प्रदेश की जो पहल है, उसके परिणाम नज़र आ रहे हैं। बिजली से लेकर कनेक्टिविटी तक हर क्षेत्र में सुधार आया है। बहुत जल्द उत्तर प्रदेश देश के उस इकलौते राज्य के तौर पर भी जाना जाएगा जहां पांच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे होंगे। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से उत्तर प्रदेश सीधे समुद्र से जुड़ रहा है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन से प्रदेश की छवि और आर्थिक गतिविधि में और भी तेज़ी देखने को मिलेगी। 
वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन में देश-दुनिया की दिग्गज कॉर्पोरेट हस्तियां उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने में साझीदार बन रही हैं। तीन दिवसीय निवेशक सम्मेलन के दौरान विदेश की 304 कम्पनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गये। इनमें अमरीक, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया, कनाडा, नीदरलैंड, स्वीडन, मॉरीशस, ब्राज़ील, मैक्सिको, इज़रायल व ऑस्ट्रेलिया की कम्पनियां शामिल हैं। इससे उत्तर प्रेदश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी। इस सम्मेलन में 41 देशों से 400 से अधिक प्रतिभागी शामिल रहे। 
इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से 10 हज़ार छोटे-निवेशक इस आयोजन का हिस्सा बनें। उम्मीद की जा सकती है कि निवेशक सम्मेलन से प्रदेश में समृद्धि बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश में विकास को नई उड़ान मिलेगी। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेल्पमेंट, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव दिखाई देंगे। लगभग 30 लाख करोड़ के भारी निवेश से विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम तीस लाख प्रतिभावान युवाओं को रोज़गार के नए अवसर प्राप्त होंगे और लोगों की आय भी बढ़ेगी।
वास्तव में देखा जाए तो उत्तर प्रदेश को नए भारत का ग्रोथ इंजन बनाने की कड़ी में राजधानी लखनऊ में आयोजित निवेशकों के तीन दिवसीय महाकुंभ में नया इतिहास लिखा जा चुका है। इस सम्मेलन के माध्यम से लगभग 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्तावित निवेश न सिर्फ  उत्तर प्रदेश की आर्थिक विकास दर को गति देगा बल्कि बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन का जरिया बन युवाओं के सपनों को भी साकार करेगा। रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी, टाटा संस के.के. चंद्रशेखरन, बिड़ला समूह के कुमार मंगलम बिड़ला, महिंद्रा ग्रुप के आनंद महिंद्रा जैसी हस्तियां सम्मेलन में निवेशकों का प्रतिनिधित्व करती नज़र आईं। देश-दुनिया के निवेशकों से मिले उत्साहजनक निवेश प्रस्तावों के दृष्टिगत सरकार को अपना लक्ष्य बढ़ाना पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि सम्मेलन के माध्यम से प्राप्त होने वाला निवेश उत्तर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े को पार करेगा। चालू वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश का जीडीपी 20.48 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। 
अब निवेश का आंकड़ा 30 लाख करोड़ रुपये के लगभग पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसमें करीब एक चौथाई हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों की होगी। अब तक हुए निवेश करार और निवेश सहमति रोज़गार के सुखद आंकड़ों की तस्वीर पेश कर रहे हैं। यदि मौजूदा निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतरते हैं तो इससे प्रदेश में दो करोड़ से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित होंगे। 
पचास करोड़ तक निवेश करने वाली छोटी इकाइयों से 1.37 करोड़ से अधिक रोज़गार सृजन का अनुमान लगाया गया है। जबकि 50-200 करोड़ का निवेश करने वाली कम्पनियां 20.07 लाख रोज़गार देंगी। 200-500 करोड़ का निवेश करने वाली कम्पनियों से 4.27 लाख से अधिक रोज़गार सृजन की संभावना आंकी गई है। वहीं 500-3000 करोड़ का निवेश करने वाली कम्पनियां 18.56 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार देंगी। 3000 करोड़ से अधिक का निवेश प्रस्ताव देने वाली मेगा कम्पनियों ने 15.48 लाख रोज़गार देने की सहमति अपने निवेश प्रस्तावों में दी है। इस सम्मेलन के माध्यम से उत्तर प्रदेश को 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। 
बहरहाल, इस भारी भरकम निवेश से उत्तर प्रदेश के बेरोज़गारों के सपने साकार होने की जो उम्मीद दिखाई दे रही है, उसी प्रकार यह निवेश भारत को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।