इंसान व जानवरों के लिए उपयोगी है महुआ का पेड़

भेड़, बकरियों के लिए यह भोजन का भंडार है। इंसान के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक गुणों से भरपूर फल का पेड़ है। सैकड़ों तरह के पक्षियों को आश्रय देता है और सदाबहार होने के कारण ग्लोबल वार्मिंग से मुकाबला करने के लिए हमेशा मोर्चे पर खड़ा रहता है। जी हां, महुआ का पेड़ बहुत उपयोगी है, जितना इंसान के लिए उससे कहीं ज्यादा जानवरों और पक्षियों के लिए भी। हिंदी में इसे महुआ, महवा, माहवा, लुप्तई जैसे कई नामों में जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे बटरनट ट्री कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम मधुका लोंगफोलिया है। यह स्पोटेसी कुल का पेड़ है और जहां तक हिंदुस्तान में इसके पाये जाने की बात है तो यूं तो यह पूरे हिंदुस्तान में पाया जाता है, मैदानों से लेकर पहाड़ों तक। लेकिन सबसे ज्यादा उार प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छाीसगढ़, उड़ीसा और बंगाल में पाया जाता है।
महुआ के पेड़ की ऊंचाई आमतौर पर क्म् से ख् मीटर होती है। इसके पाों का रंग हरा होता है। महुआ का पेड़ पाों से भरा रहता है। इस कारण यह अच्छी खासी तादाद में ऑसीजन बनाता है। पक्षियों को सुरक्षित घोंसला बनाने की जगह प्रदान करता है और भेड़ों, बकरियों के लिए इसके पो स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन होते हैं। महुआ के बहुत सारे औषधीय गुण हैं। महुआ के पेड़ की हर चीज काम की होती है। इसका फूल जिसे महुआ ही कहते हैं- खाने के काम आता है, इससे बहुत तरह की औषधियां बनती हैं, यह बहुत से पक्षियों का भी भोजन है और हां, जिस वजह से महुआ आमतौर पर बदनाम है, वह महुआ की शराब भी इसके इसी फूल से बनती है। महुआ के इस फूल से इंसानों के लिए सैकड़ों तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं। इसे कच्चा भी खाया जाता है, सुखाकर भी खाया जाता है, भूनकर भी खाया जाता है और पकाकर भी खाया जाता है।
महुआ के पेड़ की उम्र आमतौर पर स्त्र से त्त् साल तक होती है। अगर इसे ठीक ठाक देखरेख मिल जाए, संरक्षण मिल जाए तो महुआ का पेड़ सौ से सवा सौ साल तक भी ठीक रहता है। महुआ के फल, फूल, पाों और इसकी छाल तक में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। ज्यादातर महुआ के पेड़ जंगलों में खुद ही उगते हैं, लेकिन उार प्रदेश बिहार, मध्य प्रदेश तथा और भी कई जगहों पर महुआ के पेड़ बकायदा लगाये भी जाते हैं। महुआ काफी दिन में फल-फूल देने के लायक बनता है। इसमें कम से क् से क्भ् साल लग जाते हैं। लेकिन एक बार महुआ का पेड़ तैयार हो जाए तो फिर इसे लगभग न के बराबर देख-रेख की जरूरत पड़ती है। लेकिन यह नियमित रूप से फलता फूलता रहता है। महुआ के इतने ज्यादा उपयोग हैं कि अब यह मार्किट फ्रेंडली पेड़ हो गया है। अब यह जिन इलाकों में होता है, उन इलाकों में लोग इससे अच्छी खासी कमाई भी करने लगे हैं।
महुआ में इतने औषधीय गुण है कि इन सबको लिखें तो एक पूरी किताब बन जाती है। महुआ से बनने वाले तेल के कई दर्जन उपयोगी फायदे हैं। इसके फूल और फल में विटामिन सी का भंडार है। यह ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, मधुमेह, मिर्गी, बुखार, कैंसर और दांतों के तमाम रोगों में औषधि का काम करता है। जिनके मसूड़ों से खून निकलता हो, उन्हें महुआ की छाल के रस से कुल्ला करना चाहिए धीरे-धीरे देखेंगे कि मसूड़ों से खून निकलना बंद हो जाता है। आदिवासियों के दांत अकसर स्वस्थ और साफ  इसीलिए होते हैं, योंकि वह जीवन में अकसर महुआ का उपयोग नियमित रूप से करते हैं। महुआ से त्वचा की तमाम बीमारियां दूर होती हैं, खुजली, जलन आदि में महुआ का रस रामबाण की तरह उपयोगी साबित होता है। जिनको खुजली हो उन्हें महुआ के रस को तेल की तरह लगाना चाहिए जिससे खुजली से मुति मिल जाती है। महुआ से तेल बनता है, साबुन बनती है, शराब बनती है। इसकी लकड़ियां जलावन के रूप में भी इस्तेमाल की जाती हैं। इसके बीज से जब तेल निकला जाता है तो खली भी बनती है। खली का उपयोग खेतों में उर्वरक के रूप में किया जाता है और जानवरों के लिए यह स्वास्थ्यवर्धक सप्लीमेंट्स की तरह इस्तेमाल होती है। महुआ की लकड़ी फर्नीचर के लिए बेहद शानदार होती है। इससे मजबूत फर्नीचर बनता है।
इस तरह देखें तो महुआ बहुत उपयोगी पेड़ है। उार भारत में तो एक जमाने में यह कई शादी याहों के निपटाने में भी पैसों के रूप में भी भूमिका निभाता था। लोग इसे बेचकर शादियां करते रहे हैं। योंकि हमेशा से महुआ के पेड़ की लकड़ी की बहुत मांग रही है। हालांकि अपने बहुपयोगी होने के कारण इसका खात्मा भी बड़ी तेजी से हुआ है। लेकिन अब धीरे-धीरे लोग इसकी कीमत समझ रहे हैं और इसे एक कैश क्रॉफ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
-इमेज रिलेशन सेंटर