विद्यार्थियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का ज्ञान ज़रूरी

आधुनिक सभ्यता के विकास में विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जो समाज या देश तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। विज्ञान ने हमारा जीवन आसान बना दिया है और हमें इतनी सुख-सुविधाएं दीं है, जिसके बारे में हम इससे पहले कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। इससे हमारा जीवन स्तर तो सुधरा ही है साथ ही साथ देश-दुनिया के विकास के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं, हालांकि, बढ़ती टैक्नोलॉजी का बुरा प्रभाव पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। प्रौद्योगिकी और आर्थिक विकास एक-दूसरे के पूरक हैं। आर्थिक विकास की दर को टैक्नोलॉजी की मदद से बढ़ाया जा सकता है। विकसित देश इसलिए सम्पन्न हैं, क्योंकि वहां की उन्नत प्रौद्योगिकी ने उन्हें विकास के नए आयाम प्रदान किए हैं और आर्थिक दर को बढ़ाने में भी मदद की है।
आज का युग विज्ञान और तकनीकी का युग है। आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां प्रौद्योगिकी और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। टैक्नोलॉजी ने स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, व्यापार, पर्यटन, यातायात, कृषि आदि क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी वजह से कई ऐसे उपकरण और साधनों को बनाया गया है, जिससे हमारा जीवन बेहद आसान हो गया है, आजकल इंटरनेट का जमाना है इसी के कारण हम घर पर बैठे-बैठे ही देश दुनिया के किसी भी कोने का हाल कुछ ही सैकेंड्स में जान सकते हैं। चंद्रशेखर वेंकटरमन ने सन् 1928 में कोलकाता में इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जो श्रमन प्रभाव के रूप में प्रसिद्ध है। यह खोज 28 फरवरी 1930 को प्रकाश में आई थी। इस दिन को एक यादगार बनाने के लिए 28 फरवरी को हर वर्ष विज्ञान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई, और तब से लेकर अब तक 28 फरवरी को हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। इस कार्य के लिए उनको 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस महान अवसर को मनाने के लिए तकनीकी संस्थानों और इंजीनियरिंग कॉलेजों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
विद्यार्थियों को विज्ञान मेलों, विज्ञान क्विज और वैज्ञानिक संस्थाओं में आयोजित की गई प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विद्यार्थियों को राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संग्रहालयों की यात्रा करनी चाहिए, जिससे उन्हें कई नई रोचक तथ्य और जानकारियां हासिल होंगी।
आइये जाने अपने देश के कुछ महान वैज्ञानिकों और उनके योगदान के बारे में, शुरुआत करते हैं, होमी जहांगीर भाभा जी से, होमी जहांगीर भाभा को भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। एस.एस. भटनागर ने देश भर में वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की थी। जगदीश चंद्र बसु ने बताया कि पौधों में जीवन होता है, वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्त्ता थे। चंद्रशेखर वेंकट रमन ने स्पैक्ट्रम से संबंधित रमन प्रभाव का आविष्कार के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को 1983 में तारों पर की गई खोज के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हरगोविंद खुराना को 1968 में प्रोटीन संश्लेषण में न्यूक्लिटाइड की भूमिका का प्रदर्शन करने के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है, इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेप अस्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है, इस दिशा में कई नए कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने को केन्द्रीय साइंस एंड टैक्नोलॉजी विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर इंस्पायर अवार्ड मानक योजना चलाई है जिसमें स्कूली बच्चों को मॉडल और अन्य वैज्ञानिक आविष्कारों के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। 
समाचार चैनलों और समाचार पत्रों को वैज्ञानिकों के साक्षात्कार के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को प्रस्तुत करना चाहिए कि ताकि देश की जनता और बच्चों को वैज्ञानिकों के महान योगदान का पता चले।
बच्चों को विज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं जैसे ‘विज्ञान प्रगति’ पत्रिका आदि को पढ़ना चाहिए और कृषि, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
हमारे देश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है पर देश में वैज्ञानिकों की संख्या बहुत कम है। देश को वैश्विकरण रूप से सशक्त बनाने के लिए भारत में तकनीकी उद्योग को और बेहतर बनाने की ज़रूरत है। आगामी भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिकों की आवश्यकता है।
अभिभावकों को अपने बच्चों को उनकी रुचि के साथ-साथ भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। इस तरह के ज्ञान से बच्चों में विज्ञान को और अधिक जानने की ललक पैदा होगी और उन्हें अपने करियर के लिए सही रास्ता चुनने में सहायता मिलेगी और आज के विद्यार्थी ही भविष्य में वैज्ञानिक बन कर भारतीय प्रौद्योगिकी को और अधिक सशक्त और सक्षम बना सकेंगे।

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