जैविक युद्ध की तरफ बढ़ रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध

यूक्रेन कि अमरीकी राष्ट्रपति की यात्रा के बाद अब वैश्विक परिदृश्य बदल गया है अमरीका ने यूक्रेन को अरबों डॉलर की मदद की पेशकश के साथ रूस ने अमरीका को सीधे चेतावनी दी है यदि इसी तरह युद्ध में हस्तक्षेप किया जाएगा तो परमाणु बम के साथ जैविक बम का इस्तेमाल भी किए जाने की संभावना होगी। रूस ने अपनी बौखलाहट यूक्रेन में फिर से बम वर्षक विमानों से कीव पर बड़ा हमला किया है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजैंसी के अनुसार अमरीकी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरस ने सचेत किया है कि रूस और चीन का सीमा विहीन गठबंधन वैश्विक शांति एवं सभ्यता के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि पुतिन और शी जिनपिंग के बीच का गठजोड़ रूस यूक्रेन युद्ध में कारगर साबित होता है तो विश्वयुद्ध की संभावनाएं बढ़ जाएंगी और विश्वयुद्ध वर्तमान की मानवीय सभ्यता के लिए एक गतिहीन अवरोध होगा। इस अरबपति अमरीकी निवेशक जॉर्ज सोरस ने दावोस में अपने वार्षिक प्रतिवेदन में कहा है कि दुनिया को इस युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए और इसमें पूरे संसाधन झोंक देने चाहिए। वैश्विक सभ्यता को संरक्षित, पल्लवित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ और संभवत एकमात्र तरीका पुतिन को जल्द से जल्द हराना होगा। यह हमला तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत कर सकता है और हमारी सभ्यता इसे झेल नहीं पाएगी और तहस-नहस हो जाएगी। शाहरुख ने दावा किया है कि पुतिन ने शी जिनपिंग को पहले से ही बता दिया था और दोनों नेताओं की बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में 4 फरवरी को मुलाकात भी हुई थी दोनों ने एक लंबा बयान जारी कर घोषणा की थी कि उन दोनों के बीच संबंधों की और सहयोग की कोई सीमा नहीं है। पुतिन ने शी जिनपिंग को यूक्रेन के विरुद्ध विशेष सैन्य अभियान की जानकारी भी दे दी थी। तब शी जिनपिंग ने पुतिन से ओलंपिक खेलों के होते तक सैन्य अभियान रोकने की बात कही थी। इसी बीच रूस के एक राजदूत ने इस्तीफा देकर पुतिन की इस कार्रवाई का खुलकर विरोध किया था और युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिवार ने भी रूस में अपना विरोध दर्ज किया है। पुतिन को अपनी गलतियों का अब धीरे-धीरे एहसास हो रहा है जब यूक्रेन में रहने वाले रूसी भाषा के नागरिकों ने यूक्रेन पर हमले की घोर निंदा की है जबकि पुतिन को उनके समर्थन की आशा थी जबकि ऐसा कुछ हुआ नहीं। पुतिन को अब यह एहसास हो गया है कि उन्होंने यूक्रेन पर आक्रमण करके एक बड़ी गलती की है। अब वह संघर्ष विराम के लिए पृष्ठभूमि तैयार करने में लगे हैं जो वर्तमान संदर्भों में संभव नहीं है। क्योंकि विश्व समुदाय का रूस पर भरोसा खत्म हो चुका है। अब या तो पुतिन अपनी हार छुपाने के लिए चाइना की मदद विश्व युद्ध लेंगे या फिर अपनी हार स्वीकार कर अपने पद से इस्तीफा देकर पलायन कर जाएंगे। 
रूस-यूक्रेन युद्ध में आज तक कुल मिलाकर 30 लाख करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं और युद्ध खत्म होने की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही है। अमरीका सहित नाटो देश के सदस्य और अन्य यूरोपीय सदस्य लगातार यूक्रेन की आर्थिक तथा सामरिक मदद करते आ रहे हैं और इस स्थिति में रूस ही कमजोर नज़र आ रहा है क्योंकि रूस के तमाम कमांडर और सैनिकों का मनोबल अब लगातार गिरता जा रहा है, इसके पश्चात् रूस के नागरिक भी इस युद्ध के अंदरूनी खिलाफ है जबकि यूक्रेन के नागरिक उसी हौसले और उत्साह के साथ अपने नेता जेलेंस्की के साथ खड़े हुए हैं। अब स्थिति यह है कि यूक्रेन के पास न तो पैसे की कमी है न ही हथियारों की, वह लगातार रूसी सैनिकों तथा कमांडरों का जमकर विरोध कर रहा है। ये अलग बात है कि मारियोपोल में इमारतों के मलबे के निकालने के पश्चात् अलग-अलग जगह से चार पांच सौ दबे हुए शव को निकाला गया है। जिससे वहां जनता के बीच हाहाकार मच गया है। इस युद्ध की विभीषिका से यूक्रेन के लगभग एक करोड़ नागरिक यूक्रेन छोड़कर पोलैंड एवं अन्य देशों में शरण लेकर शरणार्थियों की तरह जीवन यापन कर रहे हैं। यूरोपीय देश इन शरणार्थियों को अच्छी सुविधाएं देने के लिए कृत संकल्प हैं और उन्हें किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ रहा है। वैश्विक राजनीति में चीन और रूस सर्वथा अलग-थलग पड़ गए हैं। ताज़ा स्थिति के अनुसार अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत में टोक्यो सम्मेलन में चीन के बढ़ते औपनिवेशिक बाद के खतरे को भांपते हुए प्रशांत महासागर एवं तीन पेसिफिक क्षेत्र में सैन्य अभ्यास के लिए गठजोड़ कर लिया है। इसी तरह चीन के व्यापारिक लाभ को नुकसान पहुंचाने हेतु अमरीका ने 13 देशों का एक आर्थिक समूह तैयार कर चीन को वैश्विक राजनीति और आर्थिक योजनाओं से अलग-थलग कर दिया है। 
चीन अब क्वाड सम्मेलन को अपना विरोधी बताकर लद्दाख में अपनी सैन्य तैयारियां भारत के विरुद्ध बढ़ाने में लग गया है। 13 देशों के आर्थिक समुदाय ने भी चीन को एक खुला संदेश देकर चुनौती दे दी है। उल्लेखनीय है कि अमरीका तथा चीन के विरुद्ध आर्थिक क्षेत्र तथा सामरिक क्षेत्र में खुली प्रतिस्पर्धा मैदान में आ गई है। अमरीका वैसे भी पूर्व से ही रूस का विरोधी रहा है अब अमरीका चीन तथा रूसी गठबंधन को आने वाले समय के लिए एक बड़ा खतरा मानते पूरे विश्व को इन दोनों के खिलाफ खड़ा करने का प्रयास कर रहा है। वैश्विक शांति और सभ्यता को नष्ट होने से बचाने के लिए इन दोनों देशों पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक भी है। 
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