धन-शोधन पर लगाम के लिए ज़रूरी था क्रिप्टो व्यापार पर शिकंजा

 

यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि क्रिप्टो बाज़ार पर सरकारी नियंत्रण इतना ढीला था कि इसमें बेईमानी व भ्रष्टाचार की आशंकाएं अपार थीं। इस पर शिकंजा कसने की आवश्यकता थी, इसलिए 7 मार्च, 2023 को वित्त मंत्रालय ने कहा कि सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट, 2002 (पीएमएलए) के दायरे में आयेंगे। सवाल यह है कि क्रिप्टो करंसी व्यापार में जो पैसा इधर से उधर होता है, उसे इंटेलिजेंस यूनिट्स ट्रैक किस तरह से करेंगी?
लेकिन पहले यह जान लेते हैं कि पीएमएलए क्या है? जैसा कि इस कानून के नाम से ही स्पष्ट है, यह मनी लॉन्डरिंग (अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाना) को रोकने का तरीका है। इस कानून का गठन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने 2002 में किया था और इसे एक जुलाई 2005 को डा. मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार ने लागू किया था। इस कानून का गठन विएना कन्वेंशन के प्रति भारत द्वारा प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए किया गया था, जिसका उद्देश्य धन-शोधन (मनी लॉन्डरिंग), ड्रग तस्करी को रोकना और काउंटरिंग द फइनेंसिंग आफ टेरर (सीएफटी) है यानी आतंक को फाइनांस करने के स्रोतों का भी मुकाबला या बंद करना है। साथ ही इस कानून का मकसद उस प्रक्रिया पर भी विराम लगाना है जिसके तहत अवैध रूप से अर्जित पैसे को वैध कैश में बदलना होता है। इस कानून के अंतर्गत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यह अधिकार प्राप्त है कि वह धन-शोधन को नियंत्रित करे, सम्पत्ति ज़ब्त करे और दोषियों को सज़ा दिलाये।
जुलाई 2022 में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने ईडी द्वारा पंजीकृत केसों के संदर्भ में उठे सवाल का जवाब देते हुए कहा था, ‘31 मार्च, 2022 तक ईडी ने 5,422 केस दर्ज किये थे, लगभग 1,04,702 करोड़ रुपये की आय अटैच की है, 992 मामलों में मुकद्दमे दर्ज किये हैं जिनमें 869.31 करोड़ रुपये ज़ब्त किये गये हैं और पीएमएलए के तहत 23 आरोपियों को अपराधी घोषित कराया है।’ अब इस सब का क्रिप्टो के लिए क्या अर्थ है? वित्त मंत्रालय का गज़ट नोटिफिकेशन क्रिप्टो करंसी लेन-देन को भी पीएमएलए के दायरे में ले आता है। इसके मायने यह हुए कि इंडियन क्रिप्टो एक्सचेंज अगर क्रिप्टो करंसी से संबंधित किसी खरीद-फरोख्त को संदिग्ध पाता है तो उसे उन्हें फइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट-इंडिया (एफआईयू-इंड) को रिपोर्ट करना होगा। इस केन्द्रीय एजेंसी की ज़िम्मेदारी है कि संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की सूचना को हासिल, प्रक्रिया, विश्वेषण और प्रसार करे, उसे कानून लागू करने वाली एजेंसीज़ व ओवरसीज एफयूआई तक पहुंचाये।
इस दौरान अपने विश्वेषण में अगर एफआईयू-इंड कुछ गड़बड़ पाती है तो वह ईडी को सतर्क करेगी। पीएमएलए की धाराओं 5 व 8(4) के तहत ईडी के पास यह विवेकाधीन अधिकार है कि वह बिना न्यायिक अनुमति के वह संदिग्ध सम्पत्ति की जांच व उसे ज़ब्त करे। 
क्रिप्टो करंसी प्राइस-ट्रैकिंग की साइट के अनुसार 3 जनवरी, 2023 तक सभी मौजूद क्रिप्टो करंसी का मूल्य लगभग 804 बिलियन डॉलर था। यह सिंगापुर की 2021 में जीडीपी से तकरीबन दुगनी रकम थी। भारत में, क्रिप्टो एक्सचेंज कूकॉइन द्वारा किये गये सर्वे से मालूम होता है कि दस करोड़ से अधिक भारतीयों ने क्रिप्टो करंसी में निवेश किया हुआ है। इस डाटा से अलग हटकर देखें तो ब्लाकचैन एनालिटिक्स फर्म चैनालिसिस की रिपोर्ट से मालूम होता है कि पिछले साल क्रिप्टो करंसी का अवैध इस्तेमाल रिकॉर्ड 20.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। स्वीकृत इकाइयों से संबंधित लेन-देन 1,00,000 गुणा से अधिक जम्प कर गया। कुल मिलाकर पिछले साल जो अवैध गतिविधियां पैसे को लेकर थीं, उनका 44 प्रतिशत हिस्सा क्रिप्टो करंसी से संबंधित था। कहने का अर्थ यह है कि डिजिटल एसेट्स मनी लॉन्डरिंग का बहुत बड़ा ज़रिया बन गये हैं। अब इस नई किस्म की काला बाज़ारी को रोकने के लिए सरकारों को तो हस्तक्षेप करना ही होगा। दरअसल, यह हस्तक्षेप बहुत पहले हो जाना चाहिए था। इसलिए भारत सरकार अब जो डिजिटल व्यापार पर कानूनी शिकंजा कस रही है, वह उचित है। अब देखना यह है कि क्रिप्टो व्यापार को पीएमएलए के दायरे में लाने के बाद इस डिजिटल कालाबाज़ारी पर विराम किस हद तक लगता है।
दरअसल, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्रिप्टो व्यापार के ज़रिये जो धन-शोधन होता है, उसे ट्रैक करने के लिए कौन से टूल्स प्रयोग में लाये जाते हैं। क्रिप्टो ट्रेड में धन-शोधन को ट्रैक करने (यानी पैसा कहां से कहां कैसे जाता है) के लिए संभवत: नये टूल्स व तरीकों की ज़रूरत पड़ेगी, क्योंकि इस प्रकार के ट्रांसफर बुनियादी तौर पर परम्परागत बैंकिंग चैनलों से काफी भिन्न होते हैं। एफ आईयू नो योर कस्टमर (केव्हाईसी) या कस्टमर डीयू डिलिजेंस (सीडीडी) से तो परिचित हैं, लेकिन वीडीए की तकनीकें सूचना एकत्र करने के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न करती हैं। इसके लिए ज़रूरी होगा कि इंटेलिजेंस यूनिट अपने इंटेलिजेंस फ्रेमवर्क का विस्तार करे। 
धन-शोधन को रोकने के लिए एग्मोंट ग्रुप विभिन्न एफआईयू के बीच सहयोग कराने की कड़ी बनता है, उसका सुझाव है कि क्रिप्टो वालेट्स, उसे जुड़े पते और ब्लाकचैन रिकार्ड्स की समीक्षा की जाये। इसके अतिरिक्त हार्डवेयर आइडेंटिफायर्स जैसे आईएमईआई (इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी), आईएमएसआई (इंटरनेशनल मोबाइल सब्सक्राइबर आइडेंटिटी) या एसईआईडी (सिक्योर एलिमेंट आइडेंटिफायर) नम्बरों और एमएसी पतों को भी देखा जाये।
सवाल यह भी है कि अन्य देशों में डिजिटल व्यापार को किस तरह नियंत्रित किया जा रहा है? पीडब्ल्यूसी की ‘ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन्स रिपोर्ट-2023’ के अनुसार, अधिकतर देश अभी क्रिप्टो से संबंधित नियमों को ड्राफ्ट करने के विभिन्न चरणों में हैं। ज्यादतर देशों ने डिजिटल एसेट्स को अपने धन-शोधन रोधी कानूनों के तहत कर दिया है। सिंगापुर, जापान, स्विट्ज़रलैंड व मलेशिया नियामक फ्रेमवर्क पर कानून हैं। अमरीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया व कनाडा ने डिजिटल व्यापार को नियंत्रित करने की योजना आरंभ कर दी है। अब तक सिर्फ चीन, कतर व सऊदी अरब ने क्रिप्टो करंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर