अभय चौटाला के नेतृत्व में इनेलो ने शुरू की परिवर्तन पदयात्रा

हरियाणा में इनेलो की ओर से विधायक अभय चौटाला के नेतृत्व में प्रदेशव्यापी परिवर्तन पदयात्रा शुरू की गई है। इस समय पदयात्रा का चौथा सप्ताह चल रहा है। इनेलो पदयात्रा का रूट ऐसा बनाया है ताकि पदयात्रा प्रदेश के सभी 90 हल्कों से होकर गुजर सके। यह पदयात्रा चौधरी देवीलाल के जन्मदिन 25 सितम्बर तक चलने का अनुमान है। पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इनेलो को हुए भारी राजनीतिक नुकसान की भरपाई करने और प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर चली गई इनेलो को फिर से मुख्यधारा में लाने और 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इनेलो को सत्ता का मुख्य दावेदार पेश करने के लिए यह पद-यात्रा की जा रही है। 2018 में इनेलो में विभाजन हो गया था जिसके चलते 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इनेलो को भारी हार का सामना करना पड़ा था। इस समय प्रदेश विधानसभा में अभय सिंह चौटाला इनेलो के एकमात्र विधायक हैं। इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला इस समय पूरी तरह से अभय चौटाला के साथ हैं। इनेलो को वापस खड़ी करने की जिम्मेदारी भी पूरी तरह से अभय चौटाला के सिर पर ही है। मेवात, पलवल व फरीदाबाद ज़िलों से होते हुए इनेलो की पदयात्रा इन दिनों गुरुग्राम ज़िले से होकर गुजर रही है। पदयात्रा प्रदेश में कितना असर डाल पाएगी, यह तो समय बताएगा फिलहाल यात्रा को लेकर इनेलो के सभी नेता व कार्यकर्त्ता बेहद सक्रिय है। 
ओम प्रकाश चौटाला की सक्रियता
इनेलो प्रमुख व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने अभय चौटाला के नेतृत्व में शुरू हुई परिवर्तन पदयात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। अब अभय चौटाला जब प्रदेश विधानसभा के सत्र में शामिल होने के लिए पदयात्रा को बीच में छोड़कर चंडीगढ़ आ गए हैं तो उनके पीछे से पदयात्रा को जारी रखने की जिम्मेदारी इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला व अभय चौटाला के बेटों करण चौटाला और अर्जुन चौटाला पर आ गई है। पिछले कुछ दिनों से ओम प्रकाश चौटाला के साथ उनके पौत्र करण चौटाला और अर्जुन चौटाला पदयात्रा में हिस्सा ले रहे हैं। इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला की उम्र इस समय 88 साल से ज्यादा हो चुकी है और वे पदयात्रा में चलने वाले यात्रियों के साथ गाड़ी में चलते हैं और जगह-जगह गांवों में लोगों को संबोधित करते हुए पदयात्रियों का हौंसला बढ़ाते हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी इनेलो प्रमुख की राजनीतिक सक्रियता को देखकर उनके विरोधी भी हैरान हैं। इनेलो प्रमुख जहां प्रदेश व केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर सरकार की तीखी आलोचना करते है वहीं इनेलो सरकार द्वारा लोगों के लिए किए गए अच्छे कार्यों का उल्लेख करते हुए लोगों को फिर से इनेलो का साथ देने का आग्रह करते हैं। इनेलो प्रमुख प्रदेश सरकार की आर्थिक हालत को लेकर भी तीखे हमले करते हैं और प्रदेश में बढ़ रही बेरोज़गारी को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाते हैं। 
अभय चौटाला हुए दो बार निलंबित
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र दौरान इनेलो के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला को दो बार विधानसभा से निलंबित किया गया। दोनों बार उनकी स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के साथ भी तीखी बहस हो गई थी। अभय चौटाला 2014 से 2019 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं और वे 5वीं बार विधानसभा में चुनकर आए हैं। हालांकि 5वीं बार वे अपनी ही सीट से किसान बिलों के विरोध में त्याग पत्र देने के बाद वहां हुए उपचुनाव में ही जीतें हैं। लेकिन वे विधानसभा में अक्सर स्पीकर से ही सीधे भिड़ जाते हैं, जिसके चलते उन्हें विधानसभा से निलंबन का सामना भी करना पड़ता है। 2010 के चुनाव में इनेलो को 31 सीटें मिली थी और 2014 में इनेलो को 20 सीटें हासिल हुई थी। लेकिन इस बार इनेलो के पास मात्र एक विधायक होने के कारण विधानसभा में इनेलो की संख्याबल के आधार पर ताकत पहले से कमजोर हुई है। अभय चौटाला अकसर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस नेताओं पर भी तीखे हमले करते रहते हैं इसलिए उन्हें विधानसभा में अन्य विपक्षी विधायकों का भी साथ नहीं मिल पाता और उन्हें अकेले ही सरकार के खिलाफ जुझना पड़ता है। 
एकजुट नहीं हो पाया चौटाला परिवार
2017 में इनेलो की गोहाना रैली के बाद इनेलो प्रमुख ने अपने बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला और अपने पौत्रों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को इनेलो से बाहर कर दिया था। अजय चौटाला और उनके बेटों ने जननायक जनता पार्टी के नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई और पहले जींद उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया और फिर विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई। जजपा की ओर से इस समय दुष्यंत चौटाला प्रदेश सरकार में उप-मुख्यमंत्री हैं। जजपा के कोटे से ही देवेंद्र बबली पंचायत व विकास मंत्री हैं जबकि अनूप धानक भी जजपा कोटे से श्रम एवं रोज़गार राज्यमंत्री हैं। इसके अलावा जजपा के कई विधायक और नेता भी प्रदेश स्तर के प्रमुख बोर्ड-निगमों के चेयरमैन भी बने हुए हैं। 2017 में चौटाला परिवार में जो आपसी फूट पड़ी वह अभी तक न सिर्फ बरकरार है बल्कि पारिवारिक रिश्तों में भी धीरे-धीरे खटास बढ़ती जा रही है। पार्टी की टूट और परिवार में बिखराव के बाद अभय चौटाला के बेटों करण और अर्जुन की जब शादी हुई थी तब डॉ. अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला का परिवार शादी में नज़र नहीं आया था। अब ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला की इसी महीने हुई शादी में दिग्विजय के दादा यानी ओम प्रकाश चौटाला व चाचा अभय चौटाला और अभय का परिवार नज़र नहीं आया। हालांकि शादी से पहले अखबारों में जो खबरें और फोटो छपी थी, उससे यह तो पता चला था कि डॉ. अजय चौटाला और दिग्विजय चौटाला शादी का निमंत्रण देने इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के पास गए थे और वहां क्या बात हुई और मामला क्यों नहीं सुलझा, यह अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाया है। 
संदीप के खिलाफ हमलावर रहा विपक्ष
हरियाणा विधानसभा में बजट पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री द्वारा विपक्षी विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देने के बाद वर्ष 2023-24 का बजट विधानसभा में पारित कर दिया गया। दो चरणों में हुए इस बजट सत्र के दौरान विपक्षी विधायकों विशेषकर कांग्रेस विधायकों ने राज्यमंत्री संदीप सिंह को लेकर सरकार पर तीखे हमले किए। पहले चरण के बजट सत्र दौरान राज्यमंत्री संदीप सिंह विधानसभा में नहीं आए थे। विपक्षी पहले दिन से ही संदीप सिंह को लेकर हमलावर रहा। बजट पेश होने के बाद विधानसभा में लंबे अवकाश के बाद जैसे ही बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ तो पहले ही दिन राज्यमंत्री संदीप सिंह को सदन में देखकर विपक्ष फिर हमलावर हो गया, जिसके चलते अगले दो दिन राज्यमंत्री संदीप सिंह फिर सदन में नज़र नहीं आए। संदीप सिंह पर एक महिला कोच ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे और चंडीगढ़ पुलिस ने संदीप सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर रखा है। संदीप सिंह के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद संदीप सिंह से खेल व युवा मामले विभाग वापस ले लिया गया था। अब उनके पास मात्र प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग है। विपक्ष मंत्री को बर्खास्त करने और उनके खिलाफ दर्ज मामले में उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करवाने और मंत्री को गिरफ्तार करनेकी मांग कर रहा है। इसी बीच कई महिला संगठन व खाप पंचायतें भी खुलकर मंत्री के खिलाफ सक्रिय हो गई हैं। जिसके चलते मंत्री संदीप सिंह के साथ प्रदेश सरकार को भी लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। -

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