बहते पानी की उलझनें

देश के विभाजन के दौरान भी तथा उसके बाद भी पंजाब को अनेक पक्षों से बेहद तथा असहनीय घाटा पड़ा है। अभी भी इसकी समस्याओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है। 1947 के विभाजन का संताप अभी तक भूला नहीं जबकि विशाल पंजाब की धरती पर रेखा खींच कर इसके दो टुकड़े कर दिए गए थे। पूर्वी पंजाब भारत में शामिल किया गया था तथा पश्चिमी पंजाब की विशाल धरती पाकिस्तान के हिस्से में आई थी। पांच पानियों की इस विशाल धरती पर कभी पांच नदियां बहती थीं परन्तु आज ये बुरी तरह सिकुड़ कर अढ़ाई के करीब रह गई हैं। इन नदियों के  पानी के संबंध में भी बड़े विवाद खड़े हो चुके हैं। 1966 में पंजाब का पुन: विभाजन हुआ। इसके तीन भाग हो गये, जिनमें एक बड़ा भाग हरियाणा तथा एक हिमाचल प्रदेश को सौंप दिया गया। बुरी तरह विभाजित किए जा चुके इस प्रदेश के समक्ष अनेक समस्याएं आ खड़ी हुई हैं।
बहुत-से पंजाबी भाषी क्षेत्र इसकी राजधानी चंडीगढ़ सहित अन्य प्रदेशों को दे दिए गए। इसके शेष पानी के लिए भी बड़े विवाद शुरू हो गए। पंजाब एक रिपेरियन प्रदेश है परन्तु इसमें बहती नदियों का अधिक मात्रा में पानी राजस्थान को जा रहा है। हरियाणा के साथ शुरू हुए पानी के विवाद का अभी तक समाधान नहीं हो सका। शानन बिजली घर जो हिमाचल के मंडी ज़िले के जोगिन्द्र नगर में स्थित है, पंजाब की शान माना जाता था। ब्रिटिश शासन में इसका निर्माण किया गया था। मार्च 1925 में भारत सरकार तथा मंडी के राजा जोगिन्द्र सैन बहादुर के मध्य इस संबंध में समझौता हुआ था। हिमाचल की धरती पर पड़ती इस पन-बिजली परियोजना पर नया हिमाचल अस्तित्व में आने के बाद उसने इस पर अपना अधिकार जताया था परन्तु इसके निर्माण के दौरान किए गए समझौते में उस समय पंजाब के साथ 99 वर्ष के लिए हुई लीज़ दर्ज थी जिस कारण 1965 तथा 1975 में सूचीबद्ध किए समझौतों के अन्तर्गत इस पर पंजाब बिजली बोर्ड का ही अधिकार माना गया था। चाहे सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में हिमाचल प्रदेश को इसमें से 7.19 बिजली का हिस्सा देने का निर्देश जारी कर दिया था परन्तु अब शानन पॉवर प्रोजैक्ट के लिए हुए समझौते की अवधि वर्ष 2024 तक रह गई है तथा इसके बाद इसे आधिकारिक रूप में हिमाचल को सौंप दिया जाएगा। चाहे अन्तर्राज्यीय नदियों के पानी संबंधी कानून 1956 को अस्तित्व में आया था परन्तु इसके बावजूद हिमाचल सरकार का यह पक्ष है कि कानून उसे टैक्स लगाने से नहीं रोकता। इसलिए इसकी धरती पर जो बिजली प्रोजैक्ट स्थापित हैं, उनमें बनती बिजली पर उसे टैक्स लगाने का अधिकार है। 
इस वर्ष 15 फरवरी, 2023 को हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की नई बनी सरकार ने चुपचाप ‘हिमाचल प्रदेश वाटर सैस ऑन हाइड्रो पावर जेनरेशन आर्डीनैंस 2023’ पारित कर दिया। इसके अनुसार हिमाचल प्रदेश में पड़ते सभी हाइड्रो पॉवर प्रोजैक्टों द्वारा पैदा की जा रही बिजली तथा पानी पर टैक्स लगा दिया गया है। भाखड़ा-ब्यास प्रबन्धन बोर्ड के अन्तर्गत हिमाचल में कई हाइड्रो पॉवर प्रोजैक्ट लगे हुए हैं, जिनसे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा दिल्ली को बिजली प्राप्त होती है। चाहे गत दिवस पंजाब तथा हरियाणा विधानसभाओं ने अपने अधिवेशनों में हिमाचल प्रदेश के इस अध्यादेश को क्रमवार रद्द करते हुये इसकी कड़ी आलोचना की तथा यह भी कहा कि इस प्रदेश द्वारा लगाये इस पानी कर की अदायगी नहीं की जाएगी परन्तु हिमाचल प्रदेश यह दलील दे रहा है कि यदि उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर में लगे पन-बिजली प्रोजैक्टों पर इन प्रदेशों द्वारा पानी कर लगाया जा रहा है तो ऐसा करने का हिमाचल प्रदेश को भी अधिकार है। पंजाब एक रिपेरियन प्रदेश होने के कारण ऐसे कर का विरोध कर रहा है। आगामी समय में इस मामले पर यदि इन प्रदेशों में विवाद बढ़ता है तो पहले ही बड़े घाटे में फंसे पंजाब को एक और बड़ी तथा पेचीदा चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द