वॉशिंग मशीन में एजीटेटर क्या होता है ?

दीदी, वाशिंग मशीन हर घर का ज़रूरी हिस्सा है, लेकिन बहुत से घरों के लिए यह आज भी लग्ज़री है।’
‘हां, इन घरों में आज भी हाथों से कपड़े धोकर व निचोड़कर रस्सी पर सूखने के लिए डाल दिए जाते हैं।’
‘लेकिन वाशिंग मशीन का अविष्कार कब हुआ होगा?’
‘पहली वाशिंग मशीन 1858 में पिट्सबर्ग, पेनसिलवेनिया के हैमिलटन स्मिथ ने बनाई थी। इसके साइड में एक क्रैंक लगा हुआ था जिसे चलाने पर टब के अंदर के पैडल घुमते थे। इसी तरह की एक अन्य वाशिंग मशीन भी बनायी गई थी, लेकिन यह मशीनें कामयाब नहीं थीं।’
‘क्यों?’
‘अक्सर कपड़े आपस में उलझ जाते थे, गांठें लग जाती थीं या फट जाते थे। 1907 में जाकर ही प्रैक्टिकल वाशिंग मशीन विकसित हुई जो मोटर से चलती थी। 1912 तक लगभग सभी वाशिंग मशीन निर्माता बिजली से चलने वाली मशीनें बना रहे थे।’
‘जो शुरुआती वाशिंग मशीन थीं उनके टब किस चीज़ के बने होते थे?’
‘वह लकड़ी के बने होते थे, लेकिन धीरे-धीरे धातु का प्रयोग किया जाने लगा, जैसे कॉपर, गेलवानाईज्ड स्टील, एलुमिनियम व जिंक।’
‘लेकिन यह धातु तो वाशिंग पाउडर से रियेक्ट करते होंगे और तापमान का भी इन पर प्रभाव पड़ता होगा।’
‘हां यह समस्या तो थी, इसलिए 1961 तक सभी टब पोर्सिलेन एनेमल के बनने लगे क्योंकि ऐसी वाशिंग मशीन पर वाशिंग पाउडर और पानी के तापमान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन एजीटेटर 1922 में ही विकसित हो चुके थे।’
‘वह क्या होते हैं?’
‘इनमें कोन होता है और निचले हिस्से में अनेक फिन्स होते हैं। एजीटेटर कपड़ों को ऊपर नीचे व साइड से साइड हिलाता है। बहरहाल, पहली पूर्ण आटोमेटिक वाशिंग मशीन 1937 में बाज़ार में आयी। पहला सफल होम ड्रायर 1930 में बना और वॉशर-ड्रायर कॉम्बिनेशन बाज़ार में 1953 में आया।’
‘एक औसत मशीन में कितना वाश आ जाता होगा?’
‘लगभग 3 से 4 किलो और प्रति वाश 150 लीटर पानी खर्च होता है। पानी का तापमान आमतौर से 55 से 70 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है।’  
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर