अभी बेमानी हैं रूस-यूक्रेन युद्ध के खत्म होने की अटकलें 

कई शहरों पर ताबड़तोड़ रूसी हमलों का यूक्रेन द्वारा उतनी तत्परता और ज़ोरदार तरीके से जवाब नहीं देने, पिछले कुछ हफ्तों से उसके द्वारा सहयोगी देशों से हथियारों की आपूर्ति की मांग करने और मोर्चे से हाल में भेजी जाने वाली कुछ एजेंसियों की यह रिपोर्ट कि यूक्रेन के हथियारों की संख्या और विविधता सीमित होती जा रही है, उसका गोला बारूद खत्म हो चुक रहा है, इस सबसे यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि बहुत संभव है कि यह युद्ध जल्द समाप्त हो जाए। क्योंकि यूक्रेन का अब इस संघर्ष में लम्बा टिकना मुमकिन नहीं लगता। कुछ सूत्र इस बात का भी दावा करने लगे हैं कि बिना किसी वार्ता या समझौते की मेज़ तक गए भी यह युद्ध सर्दियों से पहले खत्म हो जायेगा। ऐसी सोच का आधार अमरीका के पेंटागन से लीक हुई रिपोर्ट, यूक्रेन के कुछ सैन्य कमांडरों से हुई बातचीत, यूक्रेनी सेना की मैदान में प्रतिक्रिया तथा कुछ सैन्य संस्थानों के विशेषज्ञों का आंकलन है। 
पर यह आंकलन कुछ कसौटियों पर भ्रामक या अधूरा लगता है तथा इसका दूसरा रुख सामने आता है, जो उपरोक्त निष्कर्षों से अलग है। यूक्रेन के पास हथियारों के टोटे की वजह से तो बिल्कुल नहीं। युद्ध जल्द और मैदान में खत्म होगा इसके आसार वाकई कम नज़र आते हैं, वार्ता, समझौता की क्या सूरत बनेगी, अभी कहना मुश्किल है, पर इस बात की संभावना अवश्य बनती दीखती है कि युद्ध भले ही मैदान में यूक्रेन के कमज़ोर पड़ने के साथ खत्म हो परन्तु ज्यादातर उम्मीद इसके वार्ता की मेज़ पर ही खत्म होने की बनती है। इसके अलावा इस युद्ध को यूक्रेन के हथियारों के खात्मे तथा अमरीका और यूक्रेन के सहायक देशों के भारी नुकसान के स्तर पर देखने वाले उन पक्षों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं जो अपने अलग पार्श्व प्रभाव रखते हैं। 
यदि उन कारकों को भी साथ रखा जाये तो रूस यूक्रेन युद्ध के नजदीकी भविष्य का एक अलग चित्र खिंचता है, जो फिलहाल के दावों से बनी तस्वीर से किंचित अलग नजर आता है। यूक्रेन के हरबे हथियार कम होते जाने की खबर गलत नहीं पर अतिरेकी और सुनियोजित है। पहले भी उसके पास रूस के मुकाबले यह क्षमता दशांश भी नहीं थी। दावा तो यह भी था कि रूस के हथियार चुक रहे हैं पर क्या हुआ, सबके सामने है? यूक्रेन के पास अधिकतर पुरानी तकनीक पर आधारित रूस निर्मित हथियार थे। जिन पुराने, प्रमुख रूसी हथियारों, प्रणालियों के परिचालन के लिए यूक्रेनी सैनिक अभ्यस्त थे वे युद्ध में काम आने के साथ साथ खराब होते जा रहे हैं और उनके कल पुर्जे चूंकि रूस में बनते हैं, सो इन परिस्थितियों में उनके बिगड़ने का मतलब नष्ट होना ही है। यूक्रेन के ये अपने रूसी हथियार कम हुए हैं, कुछ पश्चिमी देशों द्वारा निर्मित हथियार भी। 
मगर यूक्रेन को अमरीका और सहयोगी देशों ने अत्यंत आधुनिक तकनीक वाले तथा बहुत सटीक मार करने वाले उन्नत हथियारों का बड़ा जखीरा दिया था। यूक्रेन के सैनिकों द्वारा इनका भरपूर इस्तेमाल ही वह वजह है जिससे वे अपने से कई गुना ताकतवर हमलावर के खिलाफ  भारी पड़े। आज यूक्त्रेन अगर हथियारों का उस तरह अंधाधुंध प्रयोग न करके सीमित और रणनीतिक इस्तेमाल कर रहा है, तो इसकी एक वजह यह जरूर है कि हथियार और गोला बारूद पहले के मुकाबले कुछ कम हुआ है लेकिन जैसा प्रचारित किया जा रहा है यही इसकी सबसे बड़ी और मुख्य वजह नहीं है। यूक्रेन के अपने हथियार कम हो चुके हों पर मदद में मिले बहुत से हथियार न सिर्फ अभी भी बचे हैं बल्कि ‘रोमानिया और पाकिस्तान’ जैसे देशों से गोपनीय तरीके से खरीदे और मिले हथियार उसके पास सुरक्षित हैं। तिस पर जर्मनी में बैठक के बाद नाटो, जर्मनी, चेक रिपब्लिक और यूरोप के देशों ने भी उसे हाल ही में रूस के हाथों खोए अपने क्षेत्रों को वापस लाने के नाम पर बख्तरबंद गाड़ियां, तोपें दी हैं। 
जुलाई में होने वाली नाटो की बैठक से पहले यह योजना बन चुकी है कि यूक्रेन को अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिये हर प्रकार की युद्धक सहायता दी जाये, हथियार भी। पेंटागन के लीक दस्तावेज में यह खुलासा हुआ है कि अमरीका नहीं चाहता कि यह युद्ध इस साल खत्म हो, ऐसे में अमरीका हमेशा चाहेगा कि किसी न किसी तरह यूक्रेन को मिसाइलों, लड़ाकू विमानों तथा दूसरे हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित होती रहे। नेटो के सेक्रेटरी जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने तो पिछले दिनों साफ  कह दिया कि यूक्रेन एक बार फिर बहुत मज़बूत स्थिति में है, वह तगड़ा पलटवार करेगा। ऐसे में यूक्रेन के कमज़ोर होने का प्रचार बहुत उचित नहीं जान पड़ता। असल में यूक्रेन के पास नए हथियारों और युद्धक प्रणालियों के संचालन की क्षमता वाले पर्याप्त सैन्य अधिकारी और सैनिक नहीं हैं। ऐसे में हथियार होने के बावजूद उनका सीमित प्रयोग उनकी मजबूरी है। जो अत्याधुनिक प्रणाली वाले हथियार उनको मिले हैं उनको चलाने की विधियां, मैनुएल अंग्रेज़ी में हैं। 
उनके द्वारा एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा ऐसे हथियार भी देने की तैयारी है, जिनसे व्यापक स्तर पर बमबारी की जा सके। उधर यूक्रेन ने बहुत जमीन खोई है उस पर हमले बढ़े हैं, पश्चिमी देश नई मदद से  इस स्थिति में इसलिए बदलाव लाना चाहते हैं कि यूक्रेन हौसला बनाए रखे और युद्ध जारी रहे। जर्मनी की विदेश मंत्री बेयरबाक ने भले ही बेख्याली में यह कह दिया हो कि ‘हमारा रूस के साथ युद्ध चल रहा है।’ पर इस बात से यह साफ  संदेश गया है कि रूस के साथ असल युद्ध यूक्रेन नहीं बल्कि नाटो लड़ रहा है। यूक्रेन अपने ड्रोन के घरेलू उत्पादन में तेज़ी ला रहा है। ऐसे में यूक्रेन की हथियारों के बारे में विपन्नता एक छलावा मात्र है। उसे लगता है कि यह लड़ाई लंबी खिंच सकती है इसलिए वह अपने समर्थकों से समक्ष यह स्थिति दर्शा रहा है।  पश्चिमी देशों से यूक्रेन को मिले हथियार ‘डार्क वेब’ के जरिए तस्करों को बिके है। यूक्रेन इस प्रचार के साथ अपनी इस लापरवाही को भी दबाना चाहता है। जैसे-जैसे गर्मी यह तेज़ होती जा रही है, कीचड़ भरे रास्ते सख्त हो कर बख्तरबंद गाड़ियों की पहुंच बढ़ा सकते हैं, आगे चल कर दोनों तरफ  से जमीनी युद्ध तेज़ हो सकता है न कि यह समाप्ति की ओर बढ़ेगा।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर