अमृतसर का घटनाक्रम

पिछले कुछ दिनों के दौरान अमृतसर के विरासती गलियारे में तथा इसके आस-पास तीन बम धमाके हुए। पहला धमाका 6 मई को सारागढ़ी पार्किंग के निकट विरासती मार्ग में हुआ। इस स्थान के निकट 8 मई को एक और बम धमाका हुआ तथा इसके बाद 10 तथा 11 मई की मध्य रात्रि को तीसरा धमाका हुआ। इसने देश-विदेश में रहते पंजाबियों तथा विशेष रूप से सिख समुदाय में चिन्ता पैदा की थी, परन्तु बचाव वाली स्थिति यह रही कि ये धमाके ज्यादा घातक नहीं थे तथा इनके लिए इस्तेमाल किए गए बम पटाखे बनाने वाली सामग्री से तैयार किए गए थे, इसी कारण इन धमाकों से कोई ज्यादा जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
यह भी सन्तोषजनक बात रही कि आरोपियों के संबंध में सन्देह पैदा होने पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के कर्मचारियों ने अत्यंत सतर्कता अपनाई तथा पेशेवर ढंग से काम करते हुए श्री हरिमंदिर साहिब समूह के आस-पास तथा भीतर अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए अपने कैमरों के नैटवर्क की जांच-पड़ताल की तथा आरोपियों को ढूंढ कर पुलिस के हवाले कर दिया। जबकि पिछले कई दिनों से पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, यहां तक कि नैशनल जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बम धमाकों वाले स्थानों का दौरा किया था परन्तु पंजाब पुलिस तथा राष्ट्रीय जांच एजेंसी दोनों गहन जांच करके आरोपियों तक पहुंचने में असफल ही रही थीं। सम्भव है कि यदि ये बम धमाके करने वाले युवक शिरोमणि कमेटी के कर्मचारियों की नज़र में न आते या शिरोमणि कमेटी के कर्मचारी इस घटनाक्रम को गम्भीरता से न लेते तो ये इस प्रकार की अन्य घटनाओं को अंजाम देने में सफल हो सकते थे। इसलिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के संबंधित कर्मचारियों की सतर्कता की प्रशंसा करना बनता है तथा उन्हें आने वाले समय में भी श्री हरिमंदिर साहिब समूह के भीतर बुरी नीयत से दाखिल होने वाले या यहां पर ठहरने का प्रयास करने वाले ऐसे तत्वों पर कड़ी नज़र रखनी पड़ेगी तथा इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित बनाना होगा कि सुरक्षा कारणों के दृष्टिगत सही श्रद्धालुओं के लिए मुश्किलें पैदा न हों।
दूसरी तरफ हमारी पंजाब सरकार तथा विशेष रूप से पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को यह परामर्श है कि वह पंजाब में अमन-कानून की स्थिति को बनाए रखने तथा खास तौर पर श्री हरिमंदिर साहिब तथा अन्य धार्मिक स्थलों के आस-पास अमन-शांति बनाए रखने तथा आपराधिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने के लिए अपने खुफिया तन्त्र को प्राथमिकता के आधार पर सतर्क बनाने की ओर ध्यान दें।
पिछले लम्बे समय से यह देखा जा रहा है कि जबसे भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तभी से प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति पंजाब पुलिस के नियन्त्रण से बाहर होती जा रही है। सरकार बनते ही प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गैंगस्टरों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने प्रदेश को झिंजोड़ कर रख दिया था। इसके बाद अमृतसर में एक शिव सेना से संबंधित नेता की गोलियां मार कर हत्या कर दी गई तथा इसके शीघ्र बाद ही कोटकपूरा में प्रदीप सिंह नामक एक व्यक्ति को दिन-दहाड़े सरेआम उसकी दुकान में मार दिया गया। प्रदीप सिंह एक डेरे से संबंध रखता था तथा उस पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने संबंधी केस भी चल रहा था। अमृतपाल सिंह से संबंधित पूरे घटनाक्रम से निपटने में भी पुलिस ने बड़ी गलतियां की हैं। इन बड़ी घटनाओं के अलावा प्रतिदिन अनेक लूटपाट तथा निजी विवादों में गोलियां चलने की घटनाएं भी घटित हो रही हैं। बेअदबी की घटनाएं भी बार-बार घटित हो रही हैं। सीमा पार से ड्रोन द्वारा अवैध हथियारों तथा नशीले पदार्थों की हो रही तस्करी भी एक बड़ी चुनौती है, परन्तु इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि ज्यादातर बड़ी घटनाओं के आरोपियों को पकड़ने में पुलिस ने सफलता भी हासिल की है।
परन्तु अलग-अलग आरोपियों की योजनाबद्ध कार्रवाइयों की आगामी जानकारी लेकर उन्हें घटनाओं को अंजाम देने से पहले ही गिरफ्तार करने के सामर्थ्य की पंजाब पुलिस के पास अभी भी बेहद कमी दिखाई दे रही है। इसलिए हमारा यह कहना है कि पंजाब पुलिस को पूरे प्रदेश में बेहद सतर्क रहते हुए अमन-कानून की स्थिति को बनाए रखने के लिए अपने खुफिया तन्त्र को बेहद मज़बूत करना चाहिए। इस प्रकार के प्रयासों से ही हम प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति को बेहतर रख सकते हैं तथा अलग-अलग वर्गों के लोगों के बीच बेहतर संबंधों को भी बनाए रखने का काम कर सकते हैं।