जालन्धर की जीत 

 

जालन्धर के उप-चुनाव में आम आदमी पार्टी की हुई जीत पर हम उसे बधाई देते हैं, चाहे इस चुनाव के लिए समूचे तौर पर 16 लाख से अधिक मतदाताओं में से सिर्फ 54 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। अर्थात मतदाताओं ने अधिक उत्साह नहीं दिखाया था। परन्तु चुनाव में शामिल सभी पार्टियों ने यह चुनाव जीतने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगाया था। चौधरी संतोख सिंह के अचानक निधन के बाद यह सीट रिक्त हुई थी। वह कांग्रेस द्वारा यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। वैसे भी यह सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली मानी जाती रही है। लोकसभा के लिए हुए चुनावों में बहुत बार यहां से कांग्रेसी उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। श्री चौधरी के अच्छे प्रभाव को देखते हुए यह उम्मीद अवश्य की जाती थी कि इस बार भी यह सीट कांग्रेस के पाले में ही जाएगी परन्तु ऐसा नहीं हुआ। आम आदमी पार्टी की जीत के भिन्न-भिन्न कारणों को लेकर आगामी दिनों में विचार-विमर्श होता रहेगा। इस बार पिछले लम्बे समय से भागीदार रहीं अकाली दल तथा भाजपा ने अपने अलग-अलग उम्मीदवार खड़े किये थे। किसान आन्दोलन के दौरान दोनों पार्टियां अलग हो गई थीं। इसलिए ये दोनों ही पार्टियां अपना-अपना प्रभाव बनाने के लिए इस सीट पर लड़ रही थीं। 
आम आदमी पार्टी के लिए भी यह इस पक्ष से भी एक बड़ी परीक्षा की घड़ी थी, क्योंकि लगभग 14 मास पहले मार्च, 2022 को इसकी सरकार बनने से महज तीन महीने बाद इसे संगरूर की लोकसभा सीट पर निराशाजनक हार हुई थी। इस बार वह किसी भी स्थिति में यह सीट जीतना चाहती थी ताकि वह पिछली हार की नमोशी का प्रभाव दूर कर सके। जहां तक चुनावों का संबंध है, आम आदमी पार्टी की देश भर में चुनाव लड़ने की इच्छा रही है जिसे वह पूरा करने का यत्न भी करती रही है, परन्तु इस मोर्चे पर उसे बड़ी सीमा तक निराशा ही मिलती रही है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में यह बुरी तहर पिछड़ गई थी। उसके बाद 4 मई, 2023 को हिमाचल की राजधानी शिमला में हुए नगर निगम चुनावों में भी इस पार्टी ने शिमला के 24 वार्डों में से 21 वार्डों में अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। निगम के इस चुनाव में कुल 55385 वोट पड़े थे जिनमें से आम आदमी पार्टी को सिर्फ 373 वोट ही प्राप्त हुए थे। 21 वार्डों में खड़े इसके सभी उम्मीदवारों की ज़मानतें ज़ब्त हो गई थीं। किसी भी वार्ड में इसे 50 वोट भी नहीं मिल सके थे। इस हिसाब से यदि 21 वार्डों का अनुपात किया जाए तो प्रति वार्ड इसके हिस्से 18 वोट ही आए थे। इसी प्रकार ही अब कर्नाटक में हुए चुनावों में वहां की 224 सीटों में से आम आदमी पार्टी ने 209 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे, परन्तु इसे एक सीट भी प्राप्त नहीं हो सकी। लगभग सभी स्थानों पर ही इसके उम्मीदवारों की ज़मानतें ज़ब्त हो गई हैं। चाहे कि अब आम आदमी पार्टी ने जालन्धर का उप-चुनाव जीत लिया है, परन्तु लगभग 11 माह के बाद प्रदेश की अन्य लोकसभा सीटों के साथ-साथ जालन्धर लोकसभा की सीट के लिए भी मतदान पुन: होगा। उस समय इसे फिर इस परीक्षा से गुज़रना पड़ेगा।
इन चुनावों में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा घरेलू खपत के लिए बिजली बिल माफ करने की घोषणा का प्रभाव भी देखा जा सकता है। इसी प्रकार इसने चुनावों के दौरान प्रत्येक महिला को 1000 रुपए प्रति माह देने की घोषणा भी की थी जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी। हो सकता है कि इस उम्मीद में भी महिलाओं ने एक बार फिर इस पार्टी के उम्मीदवार को थोड़ी प्राथमिकता दी हो। कई अन्य घोषित योजनाओं को भी इसके द्वारा आगामी समय में पूरा करने की घोषणाएं की जा रही हैं। यह बात अलग है कि क्रियात्मक रूप में ये योजनाएं कब पूरी होती हैं और इनसे लोगों को कितने लाभ मिलेंगे, यह देखने वाली बात होगी। एक वर्ष की अवधि में इसकी ओर से मुफ्त योजनाएं लागू करने तथा अन्न बेहिसाब खर्च करने के कारण इसने पंजाब के सिर 40,000 करोड़ से भी अधिक ऋण और चढ़ा दिया है, जिसके प्रभावों को आगामी समय में ही देखा जा सकेगा। नि:संदेह जालन्धर की जीत ने सरकार की ज़िम्मेदारियों तथा उससे उम्मीदों में और वृद्धि कर दी है जिन्हें निश्चित समय में पूरा करना इसका बड़ा कर्त्तव्य होगा। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द