कोरोना के संग जीना सीखने की ज़रूरत

कोरोना महामारी के मामले एक बार फिर से प्रकाश में आ रहे हैं। इस महामारी से बचाव के लिए सरकार ने लगभग सवा दो अरब वैक्सीन डोज देशवासियों को लगा कर पूरे विश्व में एक मिसाल कायम की। कोरोना संक्रमण में तेजी की खबरें चिंतित तो करती हैं लेकिन अब घबराने जैसी स्थिति नहीं है। एक तो सवा दो अरब टीकों से हासिल रोग प्रतिरोधक क्षमता है, वहीं भारतीयों की प्राकृतिक इम्यूनिटी भी इसके मुकाबले भारी पड़ेगी। कोरोना वारयरस एक बार फिर से धीर-धीरे अपनी रफ्तार भारत में तेज करता दिख रहा है। हालांकि अभी नंबर इतने अधिक नहीं हैं लेकिन जिस तेज़ी से यह दोबारा बढ़ रहा है यह भारत के लिए चिंता का विषय है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में संक्रमण की दैनिक दर 6.78 प्रतिशत और साप्ताहिक दर 4.49 प्रतिशत है।
कई राज्यों में कोविड के दैनिक मामले हर दिन बढ़ रहे हैं। केरल, दिल्ली, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में वायरस के केस ज्यादा आ रहे हैं। इस बीच ये सवाल भी उठता है कि कोरोना का ये चढ़ता ग्राफ  कम कम होगा। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड केस बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें पहला ओमिक्रोन एक्सबीबी वीकेएस 1.16 वेरिएंट हैं। ये वेरिएंट भारत के अधिकतर राज्यों में फैल चुका है?। हर दिन इसके केस में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। ये वेरिएंट पिछले सभी ओमिक्रोन वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। चूंकि समय के साथ वायरस में म्यूटेशन होता है तो ये खुद को बदलता रहता है। इस वजह से लोग वायरस की चपेट में आ जाते हैं।
यह ठीक है कि नये संक्रमण से ग्रस्त रोगियों को बुखार, सिरदर्द, बेचैनी व गले में दिक्कत होती है, लेकिन दो-तीन दिन में ये ठीक भी हो जाते हैं। अस्पताल में लोगों को भर्ती कराने की जरूरत कम पड़ रही है। कमजोर इम्यूनिटी वालों में संक्रमण से गंभीर लक्षण भी हो रहे हैं। हालांकि वायरस की वजह से मौतें नहीं हो रही हैं। लेकिन इसका तेज़ी से फैलना चिंता पैदा करता है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार इसकी निगरानी की सलाह दे रहा है। चिंता इस बात को लेकर भी है कि कहीं ज्यादा फैलने पर यह वायरस रूप बदलकर घातक न होने लगे। जिसके मद्देनज़र केंद्र व राज्यों को अपने स्तर पर पूरी तैयारी रखनी चाहिए। यह ठीक है कि कोरोना का वायरस लगातार रूप बदल रहा है और इस बार नये वेरिएंट एक्सबीबी.1.16 का प्रकोप है। लेकिन हमारे पास पिछली लहरों से हासिल व्यापक अनुभव हैं। साथ ही इसके महामारी जैसा रूप लेने की संभावनाएं क्षीण हैं। लेकिन फिर भी यह नहीं मान लेना चाहिए कि यह संकट पूरी तरह टल गया है।  ऐसे में हमें लाइफ स्टाइल जनित रोगों से बचाव के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। हमें अपने खानपान, सोने-जागने और जीवन शैली की विसंगतियों के बारे में गंभीरता से विचार करना होगा, जो तमाम तरह के रोगों को पैदा करती हैं। दरअसल, यदि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो हम सभी प्रकार के संक्त्रमणों से बचे रह सकते हैं। कोरोना की दस्तक चिंता बढ़ाने वाली है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के हालात पर नजर रखने व टेस्टिंग के निर्देश दिए हैं। दरअसल, कोरोना का वायरस हमारे परिवेश में लगातार नये रूप बदल कर दस्तक देता ही रहेगा। अत: हमें उसके साथ जीने की आदत डालनी होगी। ऐसे में जरूरी है कि हम सजगता से कोविड से बचाव के उपयुक्त व्यवहार का पालन करें। सरकार को चाहिए कि वह कोरोना की जांच, उपचार और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे। टेस्ट ट्रैक, ट्रीट, टीकाकरण व कोविड नियंत्रक व्यवहार पर बल देना होगा।
कोरोना संक्रमण के नये मामले प्रकाश में आना दर्शाता है कि कोरोना का संकट अभी भी अस्तित्व में है। वहीं कुछ लोगों द्वारा बूस्टर डोज न लगवाने के कारण नये मामले सामने आये हैं। तीन साल पहले की ‘कोरोना’ महामारी से हमने निर्णायक लड़ाई लड़ी और कई एहतियात कदम भी उठाये। इन स्थितियों के मद्देनजर, अब जितना हो सके उतनी रोकथाम रणनीतियों का उपयोग करें। जैसे कि हाथ की स्वच्छता को आदत बनाना, उच्च गुणवत्ता वाला मास्क पहननाए वेंटिलेशन में सुधार करना और जब संभव हो तो बीमार व्यक्ति से सुरक्षित दूरी बनाए रखना। एहतियातन शारीरिक दूरी भी बनाये रखना बहुत जरूरी है। ऐसे में ये बहुत महत्वपूर्ण है कि सबसे पहले हम अपने घर से शुरुआत करें। दृढ़ता से संकल्प लेकर एक जागरूकता आएगी।
 कोरोना संक्रमित व्यक्ति को निर्धारित समय के लिए अलग रखना और रहना हमें सहज रूप से स्वीकार करना होगा। इस प्रकार हम कोरोना के संग ही निरापद जीवन जी सकेंगे। हम सब को कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। यह तभी संभव है जब हम बिना भय और बचाव के उपायों को अपनी आदतों में शुमार कर लें।