‘अजीत सम्मेलन’ की पंजाब को देन

अंग्रेज़ी बोली में कहावत है,  मुसीबत भी कई बार लाभदायक होती है। पंजाब की आवाज़ और सबसे ज्यादा छपने वाले पंजाबी अखबार ‘अजीत’ पर वर्तमान पंजाब सरकार कुपित है। सरकार ने पहले इसके सरकारी छपने वाले विज्ञापन बंद कर दिए ताकि  आर्थिक नुकसान से डर कर अखबार वाले सरकार के पक्ष में खबरें छापने लग जाएं। ‘अजीत’ के लिए ऐसे डरावने आदेश पहले भी कई सरकारों के मुख्यमंत्री जारी कर चुके हैं। जब इस तानाशाही आदेश का असर न हुआ तो सरकार ने पंजाब की आन और शान जंग-ए-आज़ादी मैमोरियल की पुलिस से जांच शुरू करवा दी। जालन्धर के निकट जी.टी. रोड पर करतारपुर में इस शानदार मैमोरियल की कमेटी के प्रधान रह चुके सरदार बरजिन्दर सिंह हमदर्द ‘अजीत’ अखबार के चीफ एडीटर हैं। पुलिस हर दिन छापे मार कर छानबीन करके यह साबित करने में लग गई कि इसमें बड़ा घोटाला हुआ है। इसकी जिम्मेदारी हमदर्द पर डाल कर इनको बदनाम करके ‘अजीत’ की बदनामी की जाए। पुलिस करतारपुर जाकर हर रोज़ स्टाफ को डराने लगी। पूरे पंजाब में चर्चा होने लगी। इस सरकारी अत्याचार के विरुद्ध और प्रैस की आज़ादी की रक्षा के लिए पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियों ने बयान दिए। जब सरकार टस से मस न हुई तो पंजाबियत जागी और सभी नेता राजनीति से ऊपर उठकर पहली बार 29 मई को अजीत भवन जालन्धर में पहुंच गये। मैंने शायद पहली बार देखा कि सभी राजनीतिक पार्टियां बड़ी-छोटी एक स्थान पर इकट्ठे होकर एक आवाज़ बुलंद करने के लिए एकजुट हुई हों। भाजपा व कांग्रेस की हमेशा से लिए दुश्मनी है। अकाली कांग्रेस के साथ बैठने से भी दौड़ते हैं। क्या कमाल है कि ‘अजीत’ अ़खबार ने यह करिश्मा पंजाब की राजनीति में कर दिखाया है। प्रत्येक पंजाबी सरदार बरजिन्दर सिंह का चुम्बकीय कमाल देखने लगा है। मुसीबत में उनकी मदद करने आए नेता एक नया मार्ग दिखा गए हैं। पंजाब कई कारणों से आर्थिक रूप से कमज़ोर हो गया है। बेरोज़गारी शिखर पर है। युवा वर्ग किसी भी ढंग से विदेश जाने के तरीके ढूंढ रहा है। नशे तथा गैंगवार आसमान पर हैं। किसान दुखी हैं। पढ़ाई का स्तर बहुत नीचे हो गया है। सरकार बेखबर है। इस ‘अजीत सम्मेलन’ ने रास्ता दिखा दिया है कि सभी पार्टियां राजनीति से ऊपर उठ कर ‘पंजाब बचाओ अभियान’ चला सकती हैं। आपसी साझ का संदेश इस बैठक में उभरा है। विरोधी नेता गले मिल रहे हैं ताकि पंजाब के हितों के लिए एक प्रयास कर सकें। भारत सरकार के पास इकट्ठे जाकर पंजाब की मांगों तथा आर्थिक सहायता बारे फैसला करवा सकते हैं। शायद परमात्मा को यही मंज़ूर था कि कोई बहाना बने और पंजाबियों को समझ आए। अब मेरी विनती है कि सरदार बरजिन्दर सिंह अग्रणी हो कर पंजाब के हित के लिए इस एकता को दिशा देकर पथ पर ले आएं। तुरंत एक संयुक्त चुनिंदा कमेटी स्थापित करवाएं। लोहा गर्म है। इसे ‘पंजाब बचाओ’ के लिए वचनबद्ध करें। पंजाबी ‘अजीत’ द्वारा लाहौर में की गई सेवा को नहीं भूले। सरदार साधु सिंह हमदर्द पूरी आयु पंजाब के पहरेदार रहे। कभी डरे नहीं। पंजाब की आवाज़ को अब ‘पंजाब बचाओ लहर’ बना दें।