65 वर्षों से लम्बित मुद्दों का 9 सालों में मिला समाधान

हाल ही की आस्टे्रलिया यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने संयुक्त तौर पर सिडनी के हैरिस पार्क को ‘लिटल इंडिया’ घोषित किया, क्योंकि हैरिस पार्क बहुत-से भारतीय रैस्टोरैंटों, भारतीय मसालों तथा किराने का दुकानों, बुटीक तथा सांस्कृतिक केन्द्रों का घर है। मोदी की इस यात्रा का उद्देश्य आस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना है। प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी की यह दूसरी आस्टे्रलिया यात्रा है। यह यात्रा, विगत 9 वर्षों में प्रमुख देशों से भारत के बदले हुए संबंधों की एक झलक पेश करती है। मुख्य विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विकास ने भारत की छवि को विश्व स्तर पर ऊंचा उठाया है। सिडनी के कुडोस बैंक अरेना में सैंकड़ों की संख्या में मौजूद भारतीय प्रवासियों के मध्य, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘द बॉस’ कह कर संबोधित किया। यह बहुत हैरानी की बात नहीं है कि अमरीका स्थित सलाहकार फर्म, मार्निंग कंसल्ट द्वारा जारी किये गए सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के सबसे प्रसिद्ध प्रधानमंत्री का टैग अभी भी मोदी के नाम ही है। प्रधानमंत्री ने विदेश नीति को राष्ट्रीय महत्व का एक साधन माना है और पूरे विश्व के देशों के साथ संबंधों को बढ़ाया है। इसकी शांति तथा खुशहाली को तथा इसके केन्द्र में प्रभुसत्ता को सुनिश्चित बनाया है। भारत की नई विदेश नीति को मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि कहा जाता है, क्योंकि इसने भिन्न-भिन्न मोर्चों पर भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
सन् 2014 में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने स्वयं को ‘प्रधान सेवक’ कहा था और पिछले 9 वर्षों में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सही मायनों में देश के प्रधान सेवक की भूमिका निभाई है। यह कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भविष्य के नेताओं के लिए एक मिसाल बन गए हैं। जन-केन्द्रित शासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न सिर्फ समाज में बल्कि हर वर्ग के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाए हैं। उन्होंने शासन में नागरिकों की भागीदारी को अहमियत दी और नागरिकों ने उन्हें भरपूर सहयोग दिया। प्रधानमंत्री के 9 साल के सफल कार्यकाल के दौरान न सिर्फ 65 वर्षों से लम्बित कई मुद्दों को सरलता से सुलझाया गया अपितु आम जनता के जीवन स्तर में भी बेहतरीन सुधार हुआ।   


बदलाव

जब से मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने विश्वव्यापी कुलीन वर्ग के बीच देश के विकास के मुद्दे को बड़ी ही समझदारी से संभाला है, जिस कारण भारत एक नई विश्व शक्ति तथा मज़बूत अर्थ-व्यवस्था के रूप में उभरा है। द्विपक्षीय संबंधों का स्तर ऊंचा उठाना तथा बड़ी शक्तियों के साथ निपुणता से निपटना मोदी से सीखा जा सकता है। उन्होंने विश्व में कुछ महत्वपूर्ण देशों से संबंधों को पुन: जीवित किया और पहले से बेहतर बनाया। ये कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भारत पूर्व में आर्थिक तौर पर आगे बढ़ रहे चीन का सामना कर रहा है। 
हाल ही में भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया अधिक खतरनाक हुआ है, परन्तु दूसरी ओर भारत ने विश्व शक्तियों के साथ अपने कूटनीतिक संबंध अधिक मज़बूत बनाने में सफलता प्राप्त की है। भारत ने अमरीका, आस्ट्रेलिया तथा वियतनाम से अपने संबंधों को मज़बूत किया है। स्वहित को पहल देते हुए रूस-यूके्रन युद्ध के दौरान भी रूस के साथ अपनी रणनीतिक भागीदारी तथा व्यापार को जारी रखा है। मोदी के नेतृत्व में नई विदेश नीति का उद्देश्य भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाना है, जो आखिरकार इसे एक प्रमुख वैश्विक नेता बनने में मदद करेगी। इसलिए निवेश तथा तकनीक को आकर्षित करने के लिए उनकी द्विपक्षीय व्यस्तताएं तथा विदेश यात्राएं महत्वपूर्ण हैं। 
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं का परिणाम नि:संदेह सकारात्मक हो निपटा है। इससे विदेशी संबंध लगातार बेहतर हुए हैं तथा देश में लगातार निवेश में वृद्धि हुई है। आज भारत न सिर्फ विश्व की आर्थिक शक्ति बना है, अपितु विश्व के लिए आशा की किरण बन कर भी उभरा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) ने हाल ही में अपनी वैश्विक आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट ‘ए रौकी रिकवरी’ में भारत को विश्व अर्थ-व्यवस्था का एक ‘ब्राइट स्पॉट’ अर्थात चमकता सितारा कहा है और बताया है कि आने वाले वर्षों में वैश्विक विकास में भारत प्रमुख भूमिका अदा करेगा। सेवाओं तथा व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात सहित भारत का समूचा निर्यात पहले ही 750 बिलियन अमरीकी डालर को पार कर चुका है और इस वर्ष 760 बिलियन अमरीकी डालर को पार कर जाने की उम्मीद है। भारत ने हाल ही में 2030 तक भारत के निर्यात को 2 ट्रिलियन डालर तक ले जाने के उद्देश्य से विदेश व्यापार नीति 2023 की शुरुआत की है।


समस्याओं को हल करने में योगदान

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों को विश्व भर से समर्थन मिला है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) ने भी भारत को जलवायु बेहतरी के यत्नों में एक बुनियादी हिस्सेदार माना है। भारत ने इस वर्ष अपनी जी-20 प्रैज़ीडैंसी में हरित विकास, जलवायु, वित्त और स्थायी जीवन शैली को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया है। राष्ट्र-स्तरीय निर्धारित योगदान (एन.डी.सी.) के अनुसार, भारत ने कहा है कि वह 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी) के अनुपात के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों की निकासी तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम कर देगा। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कांफ्रैंस, 2022 के दौरान भारत ने 2070 तक शुद्ध ज़ीरो निकासी प्राप्त करने और देश की अनुकूलता ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 2030 तक लगभग 85.6 ट्रिलियन रुपये लगाने का वायदा किया। इसको पूरा करने के लिए भारत कार्बन फुटप्रिंटस की समूची कमी के लिए ऊर्जा के हरित स्रोतों का उपयोग कर रहा है।
महामारी के दौरान, भारत ने टीकों के निर्माण में तेज़ी से बढ़ौतरी करके अपने विदेश संबंधों को बढ़ाया और अपनी विदेश कूटनीति और मानवता के प्रति वचनबद्धता के हिस्से के तौर पर भारत ने 100 से ज्यादा देशों में कोविड-19 टीकों की 65 मिलियन खुराकों का निर्यात किया। भारत की अंतरिक्ष तकनीकी सामर्थ्य लम्बे समय से विदेश नीति के एक प्रभावशाली साधन के तौर पर उपयोग की जाती रही है। भारत को इस मोर्चे पर भी हमेशा फायदा हुआ है। अपनी तकनीकी सामर्थ्य और हुनर का प्रदर्शन करते हुए, पिछले 5 सालों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 19 अलग-अलग देशों जैसे कि फ्रांस, कनाडा, आस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कोलम्बिया, फिनलैंड, इज़राइल, इटली और जापान के 177 उपग्रह लांच किए हैं।


मध्य-पूर्व के साथ बढ़ रहे संबंध

सिर्फ अमरीका और पश्चिम के साथ ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य-पूर्व के देशों के साथ भी सुखद और रणनीतिक संबंध कायम रखे हैं जबकि अमरीका ने मध्य-पूर्व से अपनी नज़रें दूर कर ली हैं। ऐसे समय में प्रधानमंत्री मोदी ने रणनीतिक क्षेत्र से अपने संबंधों को पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत करने पर ध्यान केन्द्रित किया है। मध्य-पूर्व में भारत की भूमिका बढ़ी है और क्षेत्र में उसको बेमिसाल स्तर का सम्मान और महत्व दिया जा रहा है। मोदी ने कतर, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, बहरीन, जार्डन आदि देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं और इसने इज़राइल के साथ भी अपने संबंधों को प्रफुल्लित बनाये रखा है। सऊदी अरब और ईरान के खराब आपसी संबंधों के बावजूद, भारत ने दोनों देशों के साथ एक ही समय अपना व्यापार जारी रखा है। इसके दौरान भारत ने इज़राइल और फिलिस्तीन के साथ भी रणनीतिक संबंध बनाये रखे हैं। भारत फिलिस्तीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को कायम रखते हुए इज़राइल के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर रहा है। हाल ही में भारत और यू.ए.ई. ने 2022 में उद्योगों और उन्नत तकनीकों के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। आर्थिक हो या रणनीतिक, मोदी युग के दौरान भारत का विकास कई गुणा बढ़ा है। उनकी नीतियों और नेतृत्व ने देश के लिए कई वैश्विक द्वार खोले हैं और दुनिया को भारत की ताकत दिखाई है। उनकी नेतृत्व कला को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जाता है और भारत को वैश्विक धरातल पर ऊंचा उठाने के लिए उनकी पहलकदमियों की प्रशंसा की जाती है। इस कारण देश-विदेश में श्री मोदी को अनेक बार मान-सम्मान भी प्राप्त हुआ है। निश्चित रूप से 2047 तक एक विकसित भारत का सपना अब पूरा होने के कगार 
पर है।

-चांसलर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी
संस्थापक, एन.आई.डी. फाऊंडेशन कन्वीनर, भारतीय अल्पसंख्यक फाऊंडेशन।
मो-81464-34000