फ्रांस में नस्लीय भेदभाव खत्म करने की आवश्यकता
पिछले दिनों फ्रांस हिंसा की आग में जल रहा था। वहां आगज़नी व तोड़-फोड़ हो रही थी। यहां यह जानने व समझने की ज़रूरत है कि आखिर फ्रांस में हिंसा के पीछे आखिर कारण क्या था। हाल ही में फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास 17 वर्षीय एक युवक नाहेल को ट्रैफिक पुलिस की ओर से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर गोली मार दी गई और इसके बाद वहां हिंसा भड़क उठी। मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने जिस 17 वर्षीय नाहेल को गोली मारी, वह अपनी मां की इकलौती संतान था। वह डिलीवरी ब्वॉय का काम करता था और रग्बी का लीग खिलाड़ी था।
वास्तव में, यह बहुत ही संवेदनशील और गंभीर मामला था कि फ्रांस में घटना के बाद जगह-जगह आगज़नी हुई। प्रदर्शनकारियों में इतना आक्रेश था कि उन्होंने शहर की अनेक इमारतों, यहां तक कि दुकानों और वाहनों तक को आग के हवाले कर दिया। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 1350 गाड़ियों और 234 इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया। सार्वजनिक जगहों पर आगज़नी की 2,560 घटनाएं हुईं। फ्रांस में अनेक स्थानों पर आज पथराव हो रहा था। स्थिति बहुत ही गंभीर थी। ट्रैफिक जांच के दौरान नाहेल की हत्या का एक वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में यह देखा गया कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस कर्मी 17 साल के नाबालिग नाहेल को गोली मार देता है, जिसके बाद नाहेल की मौत हो जाती है। इसके बाद भड़के दंगों में पुलिस ने हज़ारों लोगों को गिरफ्तार भी किया। हालांकि दोषी पुलिस अफसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही थी। इन दंगों में पुलिस के 70 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हिंसा की चौथी रात स्थिति पर काबू करने के लिए सरकार ने करीब 45 हज़ार पुलिस अफसरों को तैनात किया था। वास्तव में, फ्रांस के हालात इतने खराब हो चुके थे कि पांच दिनों में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों दो बार इस घटनाक्रम को लेकर आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी। स्थिति को संवेदनशील देखते हुए कई शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है। इस बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जर्मनी का अपना दौरा तक टाल दिया। जानकारी के अनुसार 23 साल में पहली बार फ्रांस के राष्ट्रपति जर्मनी का आधिकारिक दौरा करने वाले थे और वर्तमान में जर्मनी के दौरे के लिए अगली तारीख का अब तक एलान नहीं किया गया है। फ्रांस के गृह मंत्री ने यहां तक कह दिया था कि वह आपातकाल की आशंकाओं को भी खारिज नहीं कर रहे। दरअसल, फ्रांस में आज भी नस्लवाद की समस्या है। फ्रांसीसी समाज में कई लोग नस्लवाद को एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे के रूप में मानते हैं। फ्रांस में यहूदी-विरोधी, साथ ही ईसाई धर्म और इस्लाम से जुड़ी नस्लों के प्रति पूर्वाग्रह का एक लम्बा इतिहास रहा है और कुछ लोग इस घटना को नस्लवाद के चश्मे से देख रहे हैं, जिसे उचित नहीं कहा जा सकता। किशोर की मौत के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी यह बात कही कि फ्रांस को अपनी पुलिस में नस्लीय भेदभाव के गहरे मुद्दों का समाधान करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि अल्जीरियाई मूल के किशोर की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद पूरे देश में भड़की हिंसा की आग भड़की। सच तो यह है कि इस हिंसा ने पूरे फ्रांस को हिलाकर रख दिया। इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। वास्तव में हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं होती। समस्या का समाधान जोर जबरदस्ती या पुलिसिया कार्रवाई से भी नहीं हो सकता। इसलिए सरकार को सौहार्दपूर्ण तरीके अपनाकर फ्रांस में ऐसी हिंसा पर लगाम लगाने की जरुरत है। देश में नस्लीय भेदभाव खत्म करने की आवश्यकता है। यह अत्यंत गंभीर है कि उक्त किशोर की मौत के बाद फ्रांस में नस्लीय प्रोफाइलिंग के सवाल उठ रहे हैं। (युवराज)