भारत-कनाडा में बढ़ता तनाव आम लोगों की मुश्किलों में वृद्धि न की जाये
भारत और कनाडा के संबंधों में आई दरार इस समय बहुत ज्वलंत मुद्दा है। इन संबंधों को लेकर न केवल कनाडा और भारत की सरकारें परेशानी में हैं, बल्कि दोनों देशों के लोगों की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा भी बहुत प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा ‘फाईव आईज़’ देशों का ग्रुप जिसमें कनाडा के अलावा अमरीका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं, द्वारा भी इस पूरी स्थिति पर तीव्र नज़र रखी जा रही है। ‘फाईव आईज़’ उपरोक्त देशों का ऐसा ग्रुप है, जो आपस में खुफिया जानकारी साझी करता है।
भारत और कनाडा के संबंधों में टकराव का मुख्य कारण, कनाडा के शहर सरे में खालिस्तान टाईगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर का कुछ लोगों द्वारा 18 मई, 2023 को किया गया कत्ल बना है। यहां वर्णनीय है कि हरदीप सिंह निज्जर पर भारत में देश विरोधी कार्रवाइयों के अनेक केस दर्ज हैं और उस पर 10 लाख का ईनाम भी रखा गया था और उस संबंधी रैड कार्नर नोटिस भी जारी करवाया गया था। इस संबंधी पिछले दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में यह आरोप लगाया था कि हरदीप सिंह निज्जर के कत्ल के पीछे भारतीय एजेंटों का हाथ है। इस प्रकार कनाडा की धरती पर एक कैनेडियन नागरिक का कत्ल हुआ है और यह हमारी प्रभुता का उल्लंघन है। इसके बाद दोनों देशों की सरकारों के बीच तनाव बढ़ गया। कनाडा द्वारा यह कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जब जी-20 देशों के मुखियों की बैठक में शामिल होने के लिए भारत गये थे, तो उस समय भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास यह मामला उठाया था। कनाडा द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि कनाडा के सुरक्षा सलाहकार ने भी इस मुद्दे को लेकर भारत के कई चक्कर लगाए और भारतीय अधिकारियों के साथ इस संबंधी चर्चा की है। कनाडा ने यह भी कहा है कि पूरे घटनाक्रम के बारे में उसने अपने ‘फाईव आईज़’ ग्रुप में शामिल सभी देशों को भी जानकारी दी है। इस ताज़ा बयान के द्वारा कनाडा के रक्षा मंत्री बिल बलेयर ने हरदीप सिंह निज्जर के केस की जांच में भारत से सहयोग की मांग की है।
दूसरी तरफ भारत का पक्ष यह है कि कनाडा ने इस पूरे मामले के बारे में भारत को कोई ठोस सबूत नहीं दिए। यदि कनाडा उस संबंधी ठोस सबूत देता है, तभी कोई अगली कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा भारत ने यह भी कहा कि कनाडा की धरती पर लगातार भारत विरोधी गतिविधियां हो रही हैं। भारतीय दूतावास के अधिकारियों को धमकियां दी जा रही हैं। भारत के खिलाफ कनाडा की धरती पर गतिविधियां करने वाले तत्वों और गैंगस्टरों संबंधी समय-समय भारत कनाडा की सरकार को जानकारियां देता रहा है लेकिन ट्रूडो की सरकार ने कभी भी इन जानकारियों को गंभीरता के साथ लेकर आरोपियों के विरुद्ध ज़रूरी कार्रवाई नहीं की और न ही उनको दोनों देशों के बीच हुई संधि मुताबिक भारत के हवाले किया है।
दोनों देशों की सरकारों के इस संबंधी अपने-अपने पक्ष हैं। नि:संदेह ये मुद्दे बहुत गम्भीर और संवेदनशील हैं। इसके लिए दोनों देशों की सरकारों को आपस में सहयोग करके इनका कोई न कोई हल ढूंढना चाहिए, लेकिन बड़ी चिंता वाली बात यह है कि दोनों देशों की सरकारों के बीच इन मुद्दों को लेकर दिन-ब-दिन टकराव बढ़ता जा रहा है और दोनों सरकारें एक-दूसरे के खिलाफ कदम उठाती नज़र आ रही हैं। जस्टिन ट्रूडो द्वारा संसद में हरदीप सिंह निज्जर के कत्ल संबंधी बयान देने के बाद कनाडा ने भारत के सीनियर दूतावास अधिकारी पवन कुमार राय को देश छोड़ने का आदेश दिया था। इसी प्रकार इसकी प्रतिक्रिया के तौर पर भारत ने कार्रवाई करते हुए दिल्ली स्थित कनाडा के दूतावास में काम करते एक सीनियर डिप्लोमैट ओलीटीयर साईलविश्तरा को पांच दिनों में देश छोड़ने के आदेश दे दिए और दोनों देशों की सरकारों ने अपने-अपने नागरिकों को कनाडा और भारत में रहने के समय सुरक्षा के पक्ष में सचेत रहने संबंधी भी हिदायत जारी कर दी है। इसके साथ ही भारत ने कनाडियन नागरिकों के लिए कनाडा में वीज़ा सेवाएं भी बंद कर दी हैं। भारत सरकार ने कनाडा के दिल्ली दूतावास में कर्मचारियों की संख्या घटाने के लिए भी कनाडा को कहा है। भारत द्वारा कनाडा की नागरिकता प्राप्त प्रवासी भारतीयों के लिए वीज़ा सेवाएं बंद करने का भारत और खासतौर पर पंजाब पर गहरा प्रभाव पड़ा है। हर वर्ष के अंतिम माह में बड़े स्तर पर प्रवासी पंजाबी कनाडा से भारत आते हैं। यहां आकर वे विवाह-शादी करते हैं और अन्य अनेक तरह की खरीदो-फरोख्त करते हैं। इसके अलावा अपने घरों के नवीनीकरण सहित और अपनी जायदादों के संबंधी मामलों को भी निपटाते हैं। एक अंदाजे के मुताबिक यदि प्रवासी पंजाबियों के लिए वीज़ा सेवाओं पर लगी रोक आने वाले दिनों में नहीं हटाई जाती तो इससे अकेले पंजाब को 10 हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है क्योंकि इससे होटलों की बुकिंग रद्द होगी। विवाह शादियों के लिए बुक किए हुए मैरिज पैलेसों की बुकिंग रद्द होगी। हवाई जहाज़ों की टिकटों की ब्रिकी भी रुकेगी। बहुत-से केसों में टिकटें रद्द करवाने पर पूरे पैसे भी नहीं मिलेंगे। पंजाब में कपड़े का कारोबार करने वाले तथा अन्य वस्तुएं बेचने वाले दुकानदारों को भी भारी नुक्सान होगा और प्रवासी पंजाबी यहां आकर अपने पारिवारिक कामकाज भी नहीं कर सकेंगे और न ही अपने संबंधियों के मिल सकेंगे। वैसे भी कनाडा भारत का 10वां निवेशक है। भारत में कनाडा सरकार द्वारा भी तथा वहां की निजी कम्पनियों द्वारा भी अनेक प्रकार के निवेश तथा कारोबार यहां किये जा रहे हैं। इस पक्ष से कनाडा भारत का 18वां व्यापारिक भागीदार है। आज कल खाद्य पदार्थ तथा अन्य अनेक प्रकार की वस्तुएं भारत से कनाडा जाती हैं। यदि दोनों देशों के संबंध बिगड़ते हैं और जिस तरह की चर्चा चल रही है, दोनों देश यदि एक-दूसरे पर अपनी व्यापारिक निर्भरता कम कर देते हैं तो न सिर्फ दोनों देशों के व्यापारिक भाइचारों को नुकसान होगा, अपितु आम लोगों को भी इस प्रकार की खपतकारी वस्तुएं महंगी मिलेंगी। इस कारण दोनों देशों की सरकारों से लेकर आम लोगों तक बुरी तरह प्रभावित होंगे।
इस कारण कनाडा तथा भारत के लोगों के बड़े भाग यह चाहते हैं कि दोनों देशों की सरकारें हरदीप सिंह निज्जर तथा इस तरह के अन्य मामलों का समाधान आपसी बातचीत द्वारा ढूंढें तथा आपसी तनाव में और वृद्धि न की जाए। विशेषकर पंजाबी भाईचारा यह चाहता है कि भारत सरकार ने कनाडियन नागरिकों के लिए जो वीज़ा सेवाएं बंद की हैं, उन्हें तुरंत खोला जाना चाहिए, क्योंकि इससे विशेष तौर पर कनाडियन नागरिकता वाले प्रवासी पंजाबी ही अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने से जो पंजाब के साढ़े तीन लाख के लगभग विद्यार्थी कनाडा में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और शिक्षा हासिल करने के बाद वे वहीं स्थायी निवास के लिए पी.आर. की प्रक्रिया शुरू करने की फिराक में हैं, उनमें बेहद चिन्ता पाई जा रही है। इसी प्रकार जो विद्यार्थी पंजाब से वहां जाने की तैयारी कर रहे हैं और कज़र् उठा कर जिन्होंने कनाडा की यूनिवर्सिटियों तथा कालेजों में फीसें भर कर आफर लैटर प्राप्त किये हैं और इस कार्य के लिए लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं, वे भी बेहद चिन्तित हैं। एक प्रकार से पंजाब की बड़ी आबादी एस समय अनिश्चितता के घेरे में फंसी हुई है। कनाडा में रहते भारतीय विशेषकर पंजाबी भी इस बात से चिन्तित हैं कि दोनों देशों के मध्य बढ़ता तनाव किसी न किसी स्तर पर उनकी सुरक्षा तथा विकास को भी प्रभावित करेगा।
इस पूरे घटनाक्रम के संदर्भ में हमारी यह स्पष्ट राय है कि पंजाब तथा पंजाब के सभी लोगों तथा कनाडा में रह रहे समूह पंजाबियों और विशेषकर सिख भाइचारे को दोनों देशों के संबंधों में सुधार लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। कनाडा में रहते पंजाबी तथा सिख भाइचारे को वहां कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं करनी चाहिए, जिससे दोनों देशों के संबंध खराब हो सकते हैं। इसी प्रकार पंजाब में भी पंजाबियों और विशेषकर सिख भाइचारे द्वारा ऐसी कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए, जिससे द्विपक्षीय तनाव और बढ़ सकता हो। कनाडा में रहते समूह पंजाबियों को उस देश की एकता एवं अखंडता तथा उसकी सम्प्रभुत्ता को बनाए रखने में सहयोग देना चाहिए। समूह भारतीय भाईचारे के साथ तथा कनाडा के गैर-भारतीयों के साथ भी अपने संबंध बेहतर बना कर रखने चाहिएं। विशेषकर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विचरण करती ऐसी ताकतें जो कनाडा के सिख भाईचारे को अपने स्वार्थों के लिए भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती हैं, उन से चौकस रहना चाहिए। वे लोग जो कनाडा में भारत के खिलाफ गतिविधियां करते हैं, मंदिरों के बाहर भड़काऊ नारे लिखते हैं तथा वहां रहते हिन्दू भाइचारे को कनाडा छोड़ने की धमकियां देते हैं, उनसे बेहद चौकस रहने की आवश्यकता है। ऐसे लोगों का क्रिया-कलाप सिख सिद्धांतों के अनुसार नहीं है, अपितु ऐसे लोग सिख भाईचारे की देश-विदेश में छवि धूमिल करनी चाहते हैं और विदेशों में भी तथा भारत में भी सिख भाईचारे के लिए समस्याओं में बढ़ोतरी कर रहे हैं। ऐसे तत्वों से न सिर्फ सिख भाईचारे, अपितु समूह पंजाबियों को सावधान रहना चाहिए। इनसे जितनी संभव हो सके, दूरी बना कर रखनी चाहिए। दोनों देशों में रहते लोगों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं और उन्हें लेकर वे शांतिपूर्वक व लोकतांत्रिक ढंग से अपने-अपने मुद्दे उठा सकते हैं। दोनों देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं उन्हें ऐसी अनुमति भी देती हैं परन्तु हिंसा करना या ऐसी भड़काऊ कार्रवाइयां करना जिनसे दोनों देशों में भाईचारक साझ बिगड़ती हो, उसकी किसी भी रूप में इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए। इस प्रकार की गतिविधियों पर दोनों ही देशों की सरकारों को सख्ती से रोक लगानी ही पड़ेगी।
इसके साथ ही जिस प्रकार हमने ऊपर लिखा है, कि दोनों देशों की सरकारों को आपस में कूटनीतिक संवाद बना कर हरदीप सिंह निज्जर सहित सभी द्विपक्षीय मामले हल करने चाहिएं और प्रतिक्रिया दर प्रतिक्रिया की नीति पर चल कर तनाव एवं टकराव और बढ़ाने तथा आम लोगों पर तरह-तरह की पाबंदियां लगाने वाला रास्ता हरगिज़ नहीं अपनाना चाहिए। दोनों देशों के हित ऐसी ही मांग करते हैं।