वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण भारत के विदेशी व्यापार में भारी गिरावट

इस वित्तीय वर्ष में भारत के निर्यात के साथ सबकुछ ठीक नहीं है और जब कोई इस वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के आंकड़ों को पढ़ता है तो स्पष्ट होता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं ने मामले को और भी बदतर बना दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि अगले एक या दो साल में वस्तुओं और सेवाओं का एक खरब डॉलर का निर्यात हासिल करने का भारत का सपना साकार होने में और अधिक समय लगेगा।
प्रथम दृष्टया भारत का कुल निर्यात (वस्तु एवं सेवाएं) इस कठिन वैश्विक परिस्थिति में भी अच्छा दिख रहा है क्योंकि 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में यह 14.76 प्रतिशत बढ़कर 776.38 अरब अमरीकी डॉलर हो गया, जिसमें 27.82 प्रतिशत सेवा निर्यात वृद्धि के साथ-साथ 6.89 प्रतिशत व्यापारिक निर्यात वृद्धि शामिल है। लेकिन जब कुछ संख्याओं की गणना की जाती है, तो सितम्बर 2023 में भारत का कुल निर्यात 63.84 अरब और 2023-24 की पहली छमाही (अप्रैल-सितम्बर) में 376.9 अरब होता है। यह क्रमश: (-) 1.20 प्रतिशत और (-) 2.97 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि है।
व्यापार विशेषज्ञ और वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार एच.ए.सी प्रसाद के अनुसार इसका मुख्य कारण सितम्बर 2023 में व्यापारिक निर्यात में (-) 3.1 प्रतिशत और अप्रैल-सितम्बर 2023 में (-) 8.77 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि है। सितम्बर 2023 में सेवा निर्यात में मामूली 0.51 प्रतिशत और अप्रैल-सितम्बर 2023 में 5.65 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई।
अप्रैल-सितम्बर 2023 में माल निर्यात में गिरावट और सेवा निर्यात में मध्यम वृद्धि आंशिक रूप से आधार मानदंड के प्रभाव के कारण है, क्योंकि माल निर्यात में उच्च वृद्धि (16.89 प्रतिशत) और सेवा निर्यात में उच्च वृद्धि (27.26 प्रतिशत) थी। श्री प्रसाद ने कहा कि अप्रैल-सितम्बर 2022 की तुलना में कोविड के बाद की तेज़ी के कारण हुई है।
यह गिरावट ऐसे समय में आयी है जब आई.एम.एफ. ने अनुमान लगाया है कि विश्व आर्थिक वृद्धि 2022 में 3.5 प्रतिशत से घटकर 2023 में 3 प्रतिशत हो जायेगी और 2024 में और कम होकर 2.9 प्रतिशत रह जायेगी। इसके अलावा मंदी विशेष रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में है, जो है अच्छा नहीं है क्योंकि उन्नत अर्थ-व्यवस्थाओं को भारत का निर्यात महत्वपूर्ण है।
प्रसाद ने उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के मामले में कहा, ‘लेकिन हमारे (भारत) लिए वास्तव में चिंता की बात यह है कि विश्व व्यापार की मात्रा (वस्तुओं और सेवाओं) की वृद्धि 2022 में 5.1 प्रतिशत से घटकर 2023 में 0.9 प्रतिशत होने का अनुमान है।’ आयात वृद्धि 2022 में 6.7 प्रतिशत से घटकर 2023 में 0.1 प्रतिशत और निर्यात वृद्धि 2022 में 5.3 प्रतिशत से घटकर 1.8 प्रतिशत 2023 होने का अनुमान है।
अन्य नकारात्मक जोखिम भी हैं कि मध्य-पूर्व में युद्ध की स्थिति में तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि के साथ-साथ सेवाओं की वृद्धि, विशेष रूप से पर्यटन में वृद्धि धीमी होने की उम्मीद है।
क्षेत्रवार आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए प्रसाद ने कहा कि 2023-24 की पहली छमाही में व्यापारिक निर्यात में महत्वपूर्ण वस्तुओं में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी। क्षेत्रों में इंजीनियरिंग सामान (-2.82 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (-17.61 प्रतिशत), रत्न और आभूषण (-24.31 प्रतिशत) और कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (-15.16 प्रतिशत) शामिल हैं।
अच्छी/मध्यम सकारात्मक वृद्धि वाली कुछ निर्यात वस्तुएं इलेक्ट्रॉनिक सामान (27.62 प्रतिशत) और ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (5.02 प्रतिशत) हैं। सूती धागे/कपड़े, मेड-अप, हथकरघा उत्पाद आदि श्रेणी में भी थोड़ी सकारात्मक वृद्धि (1.83 प्रतिशत) हुई।
प्रसाद ने कहा कि अप्रैल-सितम्बर 2023-24 के लिए क्षेत्रवार सेवा निर्यात डेटा अभी उपलब्ध नहीं है। लेकिन आरबीआई के भुगतान संतुलन के आंकड़ों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष की पहली दो तिमाहियों में सेवा निर्यात क्रमश: 5.89 प्रतिशत और 5.65 प्रतिशत पर मध्यम था। परिवहन में उच्च नकारात्मक वृद्धि (-24.77 प्रतिशत) दर्ज की गयी, जो व्यापारिक निर्यात में गिरावट का भी प्रतिबिंब है। संचार सेवाओं की गिरावट नकारात्मक 13.54 प्रतिशत रही।
निर्यात की तरह, कुल आयात (वस्तुएं और सेवाएं) की वृद्धि 2023-24 की पहली छमाही में (-) 10.14 प्रतिशत नकारात्मक थी। प्रसाद ने कहा कि ऐसा माल और सेवा आयात दोनों में क्रमश: 12.23 प्रतिशत और 1.50 प्रतिशत की गिरावट के कारण हुआ।
प्रसाद ने कहा कि भारत के निर्यात में आशा की किरण यह है कि हाल ही में भारत-अमरीका द्विपक्षीय व्यापार में व्यापार बाधाओं को हटाने सहित कुछ सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन लम्बे समय तक गाजा युद्ध और यूरोपीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने से मंदी हो सकती है। (संवाद)