वैश्विक व्यापार के लिए चुनौती बने समुद्री लुटेरे

एक ऐसे दौर में, जब पलक झपकने भर की देरी में कोई खबर दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाती है, वैश्विक नेता एक ही दिन में धरती के एक छोर में नाश्ता करते हैं और डिनर के लिए धरती के दूसरे छोर में मौजूद होते हैं। उस दौर में अगर समुद्री लुटेरे मध्य युग की याद दिलाएं तो यह सब मज़ाक जैसा ही लगता है। मगर यह मज़ाक कतई नहीं है। हाल के सालों में लगातार समुद्री डकैतियाें की संख्या बढ़ी है। साल 2023 की पहली छमाही में समुद्री लुटेरों द्वारा समुद्र के बीचोंबीच मालवाहक जहाज़ों को अगवा करने की 65 घटनाएं घटीं, जिनमें 57 में ये बकायदा हमला करने में सफल रहे थे और चार जहाज़ों पर हमला करने का इनका प्रयास असफल गया था। दो का उन्होंने अपहरण कर लिया था और दो व्यापारिक जहाज़ों से लुटेराें के साथ जबरदस्त गोलीबारी हुई थी। 
हैरानी की बात यह है कि समुद्री लुटेरों ने जिन भी जहाज़ाें पर हमला किया, उसमें से 90 प्रतिशत जहाज़ों पर वे हमला करने में सफल रहे थे यानी इन पर वह चढ़ गये थे। 14 चालक दलों का उन्होंने अपहरण किया था, दो को उन्होंने गंभीर घायल कर दिया था और करोड़ों डॉलर की वसूली की थी। महज जनवरी से जून 2023 के बीच समुद्री लुटेरों के आतंक का यह ब्यौरा इसलिए डराता है, क्याेंकि हर गुज़रते साल के साथ समुद्री डकैती की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। 4 जनवरी, 2024 की शाम समुद्री लुटेरों की ऐसी ही एक हरकत की खबर भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा की निगरानी करने वाले संगठन ‘यूनाइटेड किंगडम मैरीन ट्रेड ऑपरेशन’ (यूकेएमटीओ) से मिली। वास्तव में इसने अपने ही पोटर्ल में एक संदेश फ्लैश किया कि हथियारों से लैस पांच छह अज्ञात हमलावरों ने दोपहर करीब सवा तीन बजे व्यापारिक जहाज़ एमवी लीला नॉरफ ॉक को अगवा कर लिया है।
इस जानकारी के बाद भारतीय नौसेना तुरंत हरकत में आयी और इसका जहाज़ आईएनएस चेन्नई से सोमालिया के करीब अगवा किये गये व्यापारिक जहाज़ की तरफ  बढ़ा। इस दौरान आईएनएस चेन्नई पर प्रीडेटर एमक्यू9बी ड्रोन और इंटीग्रल हीलोज के ज़रिये इस पर लगातार नज़र रखी गई। जैसे ही आईएनएस अगवा जहाज़ के पास पहुंचा, अपने हेलीकॉप्टर लांच कर दिए और आनन-फानन में नौसेना के मार्कोस कमांडो अगवा जहाज़ पर उतर गये। इसके पहले रास्ते में ही अपहरणकर्ताओं को संदेश जारी कर दिया गया था कि भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो रवाना हो चुके हैं, इसलिए भलाई इसी में है कि वे जहाज़ छोड़कर भाग जाएं। मार्कोस का समुद्री लुटेरों में बहुत खौफ  है। इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मार्कोस कमांडो अगवा जहाज़ के डेक पर हेलीकॉप्टर के ज़रिये उतरे, तब तक सोमालिया के हथियारबंद लुटेरे जहाज़ छोड़कर भाग चुके थे।
इस तरह सोमालिया के लुटेरों से भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो ने अगवा कार्गो शिप को बचा लिया, जिसके 21 सदस्यीय चालक दल में 15 भारतीय थे। भारतीय नौसेना ने इतनी तेज़ी से यह कार्रवाई की कि चार घंटों के भीतर ही समुद्री लुटेरे भाग खड़े हुए, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सबसे अहम समुद्री गलियारे पर इन दिनों समुद्री लुटेरों का आतंक है। एक दशक पहले बीबीसी ने समुद्री लुटेरों के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में होने वाले नुकसान से संबंधित एक व्यापक रिपोर्ट छापी थी, जिसके मुताबिक हर साल 12 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान समुद्री व्यापार को ये लुटेरे कर रहे हैं। ज़ाहिर है अब यह नुकसान और ज्यादा बढ़ चुका होगा, क्योंकि लगातार समुद्री डकैतियों में इजाफा हो रहा है। साल 2020 में समुद्री डकैतियों की 97 घटनाएं हुई थी, जो कि साल 2019 से करीब दो गुना थीं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ईसा से भी करीब तीन हज़ार साल पहले से विश्व व्यापार का आधार समुद्री रास्ते को किस तरह इस सूचना संचार के क्रांतिकारी युग में उठाईगीर आतंकियों ने अगवा कर लिया है।
समुद्री व्यापार हर गुज़रते साल के साथ जोखिमभरा होता जा रहा है। साल 2005 से 2008 के बीच ब्रिटेन के थिंक टैंक चैटम हाउस के मुताबिक फिरौती और लूट की सशस्त्र घटनाओं के कारण 54 से ज्यादा व्यापारिक जहाज़ों के चालक सदस्यओं ने अपनी जान गंवायी थीं और एक दशक में करीब 1600 लूटपाट की घटनाएं सामने आयी थीं। एक अनुमान के मुताबिक करीब 500 लोग आज भी दुनिया के अलग-अलग समुद्री लुटेरों के कैद में है। इस दौरान साल 2015 से 2021-22 के बीच को अगर देखा जाए तो दर्जनों व्यापारिक जहाज़ों ने समुद्री लुटेरों को एक-डेढ़ लाख से लेकर 50 लाख डॉलर तक की फिरौतियां अदा की हैं। 
सबसे बड़ी बात यह है कि इन लुटेरों पर नौसेनाओं द्वारा निगरानी रखने के कारण हर साल अरबों रुपये इस प्रक्रिया में खर्च हो रहे हैं और अगर खर्च का आंकलन किया जाए तो अफ्रीका के तटों को छोड़कर दूर के रास्तों से गुज़रने के कारण अरबों डॉलर का खर्च अलग से बढ़ गया है। लब्बोलुआब ये कि पूर्वोत्तर अफ्रीका, नाइजीरिया, गिनी की खाड़ी और मल्लका जलडमरू मध्य के आसपास जिस तरह से समुद्री लुटेरों ने अपना आतंक बनाया है, उससे वैश्विक व्यापार के लिए ये एक बड़े सिरदर्द के रूप में उभरे हैं। जितना जल्दी हो सके दुनिया को एकजुट होकर इनका सफाया करना चाहिए वरना ये आगे बढ़ती दुनिया को सदियों पीछे धकेल देंगे।


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