राम नवमी की शोभा यात्रा निकालने में भाजपा पर भारी पड़ी तृणमूल

ऐसा नहीं है कि भाजपा को सिर्फ  दिल्ली में आम आदमी पार्टी के राम राज्य के प्रचार से दिक्कत है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने उसे अलग परेशानी में डाला है। भाजपा के शीर्ष नेता, यहां तक कि प्रधानमंत्री भी कह रहे थे कि पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार राम नवमी की शोभा यात्रा रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी ने 17 अप्रैल को यानी राम नवमी के दिन सारा सीन ही पलट दिया। राम नवमी की शोभा यात्रा निकालने में वह भाजपा पर भारी पड़ गईं। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ रह प्रत्याशियों ने अपने-अपने इलाके में राम नवमी की शोभा यात्रा निकाली और राम नाम का जाप किया। हावड़ा सीट से तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रसून बनर्जी ने अपने चुनाव क्षेत्र में राम नवमी की बहुत बड़ी शोभा यात्रा निकाली। इसी तरह बीरभूम की सांसद और तृणमूल की प्रत्याशी शताब्दी रॉय ने भी अपने क्षेत्र में बड़ी यात्रा निकाली। सो, तृणमूल कांग्रेस शोभा यात्रा निकालने से रोक रही है, यह प्रचार पंक्चर हो गया। हालांकि राम नवमी के दिन भी भाजपा के कुछ नेता इसका जाप कर रहे थे, लेकिन ज्यादातर नेताओं ने दूसरा राग शुरू कर दिया। अब वे कह रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने मजबूरी में श्री राम की पूजा की, राम नवमी मनाई और शोभा यात्रा निकाली है। अब मजबूरी में शोभा यात्रा निकाला या श्रद्धा से निकाला, यह बाद की बात है, लेकिन अभी तृणमूल कांग्रेस राम नवमी मनाने के मामले में भाजपा पर भारी पड़ी है।
दिलीप रे बने भाजपा के उम्मीदवार
भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत से सज़ा पाए होने के बावजूद भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से इंतज़ार हो रहा था कि दिलीप रे चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं और जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी तो इस बात का इंतजार हो रहा था कि भाजपा उन्हें टिकट देती है या नहीं। यह इंतज़ार इसलिए हो रहा था क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत जोर-शोर से भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे और कह रहे थे कि भ्रष्टाचारियों को वह छोड़ेंगे नहीं। अब इंतज़ार खत्म हो गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ फर्जी लड़ाई के बीच भाजपा ने दिलीप रे को ओडिशा की राउरकेला सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान मे उतार दिया है। ओडिशा के नेता और कारोबारी दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे और उसी समय उन पर झारखंड में कोल ब्लॉक के आबंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। दिसम्बर 2020 में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था और सज़ा दे दी थी। इसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गई थी। लेकिन कुछ समय पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी और उसके बाद भाजपा ने उनको राउरकेला सीट से उम्मीदवार बना दिया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी बिना झिजक भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने से लड़ने का दावा करते रहेंगे।
मोदी की बेमिसाल गलत बयानी 
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी झूठ बोलने या गलत बयानी करने के नए-नए कीर्तिमान बना रहे हैं। शायद उन्हें भी लगने लगा है कि इस चुनाव के बाद वह प्रधानमंत्री के रूप में झूठ नहीं बोल पाएंगे। उन्होंने टीवी न्यूज एजेंसी एएनआई को पहले तैयार सवाल-जवाब के आधार दिए इंटरव्यू में चुनावी बॉन्ड योजना का बचाव करते हुए कहा है कि इसे राजनीति में काला धन रोकने के लिए लाया गया था। हालांकि इसके जो आंकड़े सामने आए हैं, उनसे पता चला है कि कितनी ही कम्पनियां सिर्फ बॉन्ड खरीद कर चंदा देने के लिए ही बनी। कई कम्पनियों ने अपने मुनाफे के सौ गुना तक चंदा दिया। घाटे में चल रही कई कम्पनियों ने भी मोटा चंदा दिया। एक रिपोर्ट यह भी आई कि कुछ किसानों से मुआवज़े के कागज़ पर दस्तखत कराए गए और उनके नाम पर चुनावी बॉन्ड खरीद लिए गए। इन खबरों से चुनावी बॉन्ड में काले धन का खूब इस्तेमाल होने की पुष्टि होती है। इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरव्यू में दिलचस्प तर्क यह दिया कि इस कानून की वजह से लोग चंदा देने वालों को जान पा रहे हैं। हकीकत यह है कि जब इस योजना को चुनौती दी गई तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जनता को यह जानने का हक नहीं है कि किस पार्टी को किसने चंदा दिया, लेकिन जब अदालत के फैसले से सब कुछ सार्वजनिक हो गया तो प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि इस कानून की वजह से लोग चंदा देने वालों को जान पा रहे हैं। 
दिल्ली में गठबंधन है, परन्तु तालमेल नहीं!
राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच तालमेल का अभाव है। अभी आम आदमी पार्टी का फोकस अपने कोटे की चार सीटों—नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली पर है। कांग्रेस के कोटे में उत्तर-पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की सीट है, जिस पर छह दिन पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा हुई है। कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद लग रहा था कि दोनों पार्टियों का साझा प्रचार शुरू होगा लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि उसने दो ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं, जिनका कांग्रेस से पुराना नाता नहीं है और इसलिए कांग्रेस संगठन में उनकी पकड़ नहीं है। उदित राज 2014 में भाजपा की टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते थे और 2019 के बाद कांग्रेस में आए थे तो कन्हैया कुमार भी 2019 का चुनाव बिहार में सीपीआई की टिकट पर लड़े थे और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे। इन दोनों को कांग्रेस संगठन से मज़बूत समर्थन तो चाहिए ही साथ ही आम आदमी पार्टी की भी मदद चाहिए, तभी अच्छे से चुनाव लड़ पाएंगे। कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार जयप्रकाश अग्रवाल दिल्ली से सांसद और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसलिए उनके लिए ज्यादा समस्या नहीं है। उनकी चांदनी चौक लोकसभा सीट भी छोटी है, लेकिन अगर आम आदमी पार्टी अपनी सीटों पर ध्यान केंद्रित किए रहेगी तो कन्हैया कुमार और उदित राज के लिए मुश्किल होगी।
सभी का अपना-अपना राम राज्य
दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने एक वेबसाइट लॉन्च की है, जिसका नाम रखा है ‘आप का राम राज्य’। पार्टी इस वेबसाइट के जरिए बता रही है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार का सारा काम राम राज्य की तर्ज पर हो रहा है। पार्टी का कहना है कि उसने लोगों को जो स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई है, जिस तरह की शिक्षा की व्यवस्था की है, पानी और बिजली को मुफ्त किया है, उससे लोगों का जीवन बहुत आसान हो गया है और यही राम राज्य की अवधारणा है। हालांकि उसके सारे दावे बहस का विषय है। फिर भी आम आदमी पार्टी का प्रचार भाजपा की नींद उड़ाने के लिए पर्याप्त है। 
इसीलिए भाजपा की ओर से आम आदमी पार्टी को टारगेट किया गया है, लेकिन भाजपा का निशाना उसके दावों पर कम और राम राज्य का ज़िक्र करने पर ज्यादा है। भाजपा को यह चिंता सता रही है कि कहीं दिल्ली के लोग सचमुच केजरीवाल को राम राज्य लाने वाला न समझ लें। उसे अपना कोर हिंदुत्ववादी वोट टूटने की आशंका सता रही है। इसलिए भाजपा ने कहा है कि दिल्ली सरकार को राम राज्य कहना भगवान राम का अपमान है। सवाल है कि राम राज्य अगर एक बेहतर शासन की अवधारणा है तो कहीं की भी सरकार इसका दावा कर सकती है या उस रूपक का इस्तेमाल कर सकती है। भाजपा भी तो आखिर राम राज्य लाने की ही बात कर रही है। कुल मिलाकर भाजपा का मकसद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को किसी भी तरह सनातन विरोधी ठहराना है।