ऩफरत की खेती

भारतीय जनता पार्टी के नेता लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस एवं कुछ अन्य पार्टियों पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वे तुष्टिकरण, खास तौर पर देश के  अल्प-संख्यकों को भ्रमित करने की राजनीति करती रही हैं तथा यह भी कि इन पार्टियों की नीति लगातार एक विशेष वर्ग को खुश करने की रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस, वामपंथी पार्टियां एवं कुछ अन्य पार्टियां यह कहती रही हैं कि उनकी नीति देश के संविधान के अनुसार सभी को समान अधिकार देने की रही है। भाजपा ने लगातार यह यत्न किया है कि वह भिन्न-भिन्न मुद्दों पर बहुसंख्यक लोगों की धार्मिक भावनाओं को उभारती रहे। किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना अलग बात है परन्तु इन्हें सांप्रदायिक रंगत देना बिल्कुल एक अलग मुद्दा है। 
आज समूची राजनीतिक वोटों के इर्द-गिर्द घूमती है तथा किसी भी ढंग से अधिक वोट प्राप्त करके सत्ता की कुर्सी सम्भालना इसका मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए भाजपा की नीतियों में मूलभूत रूप में इन भावनाओं का प्रकटावा देखा जा सकता है। आज चुनावों के दौरान वह इस मामले पर स्पष्ट रूप में खुल कर सामने आ गई है। बात प्रांतीय या अन्य नेताओं की नहीं है। यह उस समय अधिक ध्यान आकर्षित करती है, जब प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी शख्सियत ऐसी भावनाओं को लगातार उभारना शुरू कर दे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह एवं पहली पंक्ति के भाजपा नेता ऐसे विचारों का प्रकटावा एक निर्धारित नीति के तहत करते प्रतीत होते हैं। इसी ही क्रम में विगत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में लोगों के जज़्बात को भड़काने वाले भाषण दिये हैं। यहां तक कि कांग्रेस के चुनाव घोषणा-पत्र को भाजपा नेताओं की ओर से मुस्लिम लीग के प्रभाव वाला घोषणा-पत्र तक कहा जा रहा है। राजस्थान में श्री मोदी ने भाषण देते हुए यहां तक भी कहा है कि कांग्रेसी नेताओं के अनुसार जब उनकी पार्टी सत्ता में आई तो देश के सभी साधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का होगा एवं कांग्रेस लोगों की धन सम्पत्ति उन्हें बांट देगी, जिनके अधिक बच्चे होते हैं तथा जो विदेशों से घुसपैठ करके यहां आये हैं। उन्होंने इस भाषण में यहां तक भी कहा कि हमारी माताओं-बहनों के पास जो स्वर्ण पड़ा है तथा यहां तक कि उनके मंगल सूत्र लेकर भी कांग्रेस एक विशेष वर्ग को बांट देगी।
इस संबंध में कांग्रेसी नेताओं ने कड़ा रोष प्रकट किया है। यह तथा पहली अन्य दर्जनों ही शिकायतें लेकर भारतीय चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज करवाई, कि प्रधानमंत्री लोगों के जज़्बात भड़का कर चुनावों में लाभ लेना चाहते हैं। इसके साथ कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल ने यह भी आरोप लगाया है कि चुनाव आयुक्त प्रधानमंत्री तथा उनके साथियों की ओर से दिये जाते ऐसे बयानों संबंधी की गई शिकायतों के बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं करते। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बहुत पुराने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बयान को भी अपने ढंग से तोड़-मरोड़ कर लोगों को गुमराह किया है। हम किसी भी पार्टी के सिद्धांतों एवं उसकी ओर से अपनाई जा रही नीतियों के संबंध में इस समय किसी भी तरह के टकराव में पड़े बिना यह ज़रूर कहना चाहते हैं कि चुनाव जीतने के लिए समाज में ऐसे बीज नहीं बोये जाने चाहिएं, जो भविष्य में बड़े होकर ऩफरत के फल पैदा करें, क्योंकि इससे पहले पिछले समय से जो देश में इस तरह की नफरत की फसल बोई जाती रही है, उसे आज की पीढ़ियां भी काट रही हैं तथा इसके आगामी समय में और भी दूरगामी प्रभाव पड़ने की सम्भावनाएं बनी दिखाई देती हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द