खड़गे या राहुल : कौन होगा ‘इंडिया’ गठबंधन का प्रधानमंत्री उम्मीदवार ?

यदि कांग्रेस के नेतृत्व वाला ‘इंडिया’ गठबंधन लोकसभा चुनाव में 272 सीटों का आंकड़ा पार कर जाता है, तो ‘इंडिया’ गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, इस पर अभी भी फैसला नहीं हुआ है। 
राजनीतिक चर्चा यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, एन.सी.पी. (एस.पी.) प्रमुख शरद पवार तथा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी देश के सबसे बड़े तथा अहम पद के लिए दावेदार हो सकते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने स्वयं को अगला प्रधानमंत्री बनाने के कयास से दूर रखा, परन्तु उन्होंने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी बारे पूछे गए सवालों को भी टाल दिया था, उन्होंने कहा था कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई और चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ही ‘इंडिया’ गठबंधन किसी फैसले पर पहुंचेगा। 
खड़गे ने अधीर को डांटा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पश्चिम बंगाल के कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी को कुछ गर्म तथा कुछ नर्म बोल-बोले, जो टी.एम.सी. प्रमुख ममता बनर्जी पर अपने हमले को लेकर पार्टी के निशाने पर हैं। एक ओर खड़गे ने अधीर रंजन को पार्टी का लड़ाकू सिपाही बताया तो दूसरी ओर पार्टी ने बंगाल में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए जवाब मांगा। प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने खड़गे को निशाना बनाया और पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के सामने लगे उनके पोस्टर पर सियाही डाल दी। इसकी शुरुआत मुम्बई में एक प्रैस कांफ्रैंस में खड़गे की टिप्पणी से हुई, जिसमें उन्होंने चौधरी पर यह कहते हुए निशाना साधा कि तृणमूल कांग्रेस के साथ अपने संबंधों पर फैसला पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता नहीं, अपितु पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व लेता है। बंगाल में कांग्रेस तथा वामपंथियों का गठबंधन है तथा वह तृणमूल कांग्रेस पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले अधीर रंजन चौधरी ने ममता की विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रति वफादारी पर अंगुली उठाते हुए कहा था कि ममता वफादार नहीं हैं और उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता और वह भाजपा के साथ भी हाथ मिला सकती हैं। इस दौरान बनर्जी, जिन्होंने शुरू में कहा था कि यदि विपक्षी दलों का ‘इंडियन नैशनल डिवैल्पमैंटल एन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) सत्ता में आता है तो वह उसे बाहर से समर्थन देंगी, ने बाद में कहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा हैं तथा इसके साथ मिल कर केन्द्र में अगली सरकार बनाएंगी। 
जयन्त का प्रचार अभियान से किनारा
पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयन्त सिन्हा के बेटे आशिर सिन्हा ने हज़ारीबाग में ‘इंडिया’ गठबंधन की रैली में भाग लिया, जिसके बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने पोते आशिर के कांग्रेस में शामिल होने के समाचारों को खारिज कर दिया था। झारखंड भाजपा ने जयन्त सिन्हा को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था, क्योंकि उन्होंने मतदान के दिन मतदान नहीं किया और चुनाव प्रचार में लापरवाही बरती। यह नोटिस मनीष जायसवाल की हज़ारीबाग लोकसभा सीट पर उम्मीदवारी की घोषणा के बाद जारी किया गया, जहां 20 मई को मतदान हुआ था। मौजूदा सांसद जयन्त सिन्हा ने कहा कि वह भाजपा के ‘कारण बताओ नोटिस’ से हैरान हैं, जिसमें उनसे पूछा गया है कि उन्होंने मौजूदा लोकसभा चुनावों में मतदान क्यों नहीं किया और चुनाव प्रचार में भाग क्यों नहीं लिया? भाजपा के झारखंड से महासचिव आदित्य साहू के पत्र के जवाब में जयन्त सिन्हा ने यह कह कर अपना पक्ष स्पष्ट किया कि उन्होंने ‘निजी वचनबद्धता के लिए विदेश में होने के कारण डाक मतपत्र प्रक्रिया के माध्यम से मतदान किया है।’ चर्चा यह है कि भाजपा अब जिस प्रकार जयन्त पर अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रही है, वह अपने पिता के पदचिन्हों पर चल सकते हैं। 
चुनाव आयोग पर उठे सवाल 
कांग्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए असल समय के मतदान के आकंड़ों तथा अंतिम आंकड़ों के बीच बड़े अंतर पर गम्भीर प्रश्न उठाए हैं। कांग्रेस के मीडिया तथा प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा, जो अपने काम में माहिर हैं तथा टी.वी. बहसों तथा मीडिया के साथ बातचीत के दौरान पार्टी लाइन का ज़ोरदार बचाव करने के लिए जाने जाते हैं, ने एक्स पर कहा, ‘पहले तो चुनाव आयोग मतदाताओं के अंतिम आंकड़ों को सामने लाने में 10-11 दिन लगाता है और फिर असल समय के आंकड़ों तथा अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर 1.07 करोड़ वोट का निकलता है। यह वास्तव में बेमिसाल है।’
 ए.आई.सी.सी. महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘कुल मिला कर 1.07 करोड़ का यह अंतर प्रत्येक लोकसभा सीट पर 28000 मतों की वृद्धि को दर्शाता है। यह बहुत बड़ी बात है।’ दूसरी ओर टी.एम.सी. के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने कहा कि पार्टियां तथा उम्मीदवार फार्म 17सी डाटा इकट्ठा करेंगे, परन्तु यह ‘बहुत विलक्षण’ है कि चुनाव आयोग ने अचानक इस संबंधी स्वयं जानकारी देने से इन्कार क्यों कर दिया है। यह अशुभ है तथा कई सवाल खड़े करता है। (आई.पी.ए.)