प्रदेश के प्रति ज़िम्मेदारी

आज लोकसभा के चुनावों के लिए चल रही राजनीतिक गतिविधियों के सन्दर्भ में सबसे उभरता नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आता है। पिछले 10 वर्ष से वह देश के प्रधानमंत्री चले आ रहे हैं। अब तीसरी बार भी उनकी एक और पारी की सम्भावना प्रकट की जा रही है। उन्होंने पिछले शासन काल की जहां बड़ी उपलब्धियां गिनाई जा सकती हैं, वहीं कई अहम कार्यों में उनके संबंध में विवाद भी उठते रहे हैं। यदि उनके लोगों में लोकप्रिय होने की चर्चा रही है तो उसी समय कई वर्गों द्वारा उनकी कड़ी आलोचना भी होती रही है।
नि:संदेह इस समय में देश आर्थिक पक्ष से मज़बूत हुआ है। आगामी समय में इसके विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की सम्भावना प्रकट की जा रही है। इसी समय में उन पर कुछ बड़े धनाढ्यों का पक्ष-पोषण करने का आरोप भी लगता रहा है, परन्तु इसके साथ-साथ उनके प्रशासन की ओर से जन-साधारण के लिए ज़रूरी तथा उपयोगी योजनाओं को सफल बनाने का श्रेय भी उन्हें मिलता रहा है। इन योजनाओं में 4 करोड़ लोगों के लिए पक्के घर बनाना, 12 करोड़ घरों को पेयजल उपलब्ध करवाना, 20 करोड़ से अधिक परिवारों को रसोई गैस के कनैक्शन देना तथा 50 करोड़ से अधिक ज़रूरतमंदों को पांच लाख तक का मुफ्त इलाज करवाने की सुविधा देना आदि बड़ी उपलब्धियां मानी जा सकती हैं। कोरोना काल में भी श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने लोगों को राहत देने और कोरोना वैक्सीन लगा कर योजनाबद्ध ढंग से प्रभावशाली कार्य किये हैं। मोदी सरकार की ओर से यह दावा भी लगातार किया जाता रहा है कि उसने अपने कार्यकाल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है। हम सरकार की ओर से इन योजनाओं की सफलता के लिए सन्तोष प्रकट करते हैं परन्तु इसके साथ ही अभी कुछ अहम क्षेत्रों में बहुत कुछ और किया जाना ज़रूरी प्रतीत होता है।
आज विपक्षी दल जिन मुद्दों पर सरकार की कड़ी आलोचना कर रही हैं, वे हैं बढ़ती हुई बेरोज़गारी तथा महंगाई। चाहे समय-समय पर मोदी सरकार की ओर से लाखों ही नौकरियां देने की योजनाओं को पूरा किया गया है, परन्तु लगातार बेरोज़गारों की बढ़ती संख्या भयावह दृश्य पेश करती दिखाई दे रही है। विगत लम्बी अवधि से हम यह महसूस करते आ रहे हैं कि देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या इसके विकास के लिए घातक साबित हो सकती है, परन्तु विगत लम्बी अवधि से तथा मोदी सरकार के 10 वर्षों के दौरान भी बढ़ती जनसंख्या पर नियन्त्रण में रखने के लिए कोई भी गम्भीर योजनाबंदी नहीं की गई, जो आज के समय की मुख्य ज़रूरत मानी जानी चाहिए। जो देश अपने युवाओं को रोज़गार नहीं दे सकता, जिसके साधन असीमित नहीं, अपितु सीमित हैं, उस देश में बढ़ती जनसंख्या को अनुशासन में रखा जाना ज़रूरी है, परन्तु इसकी बजाय सरकार निरन्तर इस वृद्धि को कम करने के लिए लोगों को सुचेत कर पाने में असमर्थ रही है।
विगत दिवस पंजाब में होने जा रहे चुनावों के लिए की गई अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री ने कुछ ऐसे गम्भीर विषयों को छूआ है जो इस प्रदेश के लिए भी तथा देश के लिए भी वाजिब प्रतीत होते हैं। उन्होंने प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार की बात की है। यहां फैले भिन्न-भिन्न नशों की भरमार की बात की है तथा प्रदेश की लगातार गिरती आर्थिकता की बात की है। यहां के बीमार होते जा रहे व्यापार तथा उद्योग की बात की है। नि:संदेह आज प्रदेश ऐसी अलामतों में ग्रस्त है। इसे ऊपर उठाने के लिए बड़े यत्नों की ज़रूरत है। ऐसा तभी सम्भव हो सकता है यदि प्रदेश सरकार अपनी बनती ज़िम्मेदारी ईमानदारी से निभाये तथा इसके साथ ही केन्द्र सरकार हर पक्ष से उसे सहयोग दे, परन्तु यह दुख की बात है कि प्रदेश सरकार की नीतियों ने एक ऐसी रेखा खींच दी है, जिसे दोनों को पार करना बेहद कठिन हो चुका है।
श्री मोदी ने प्रदेश को हर तरह से स्वस्थ तथा मज़बूत रखने का वायदा किया है। यदि वह पुन: सत्ता में आते हैं तो आगामी समय में इसे निभाना उनका बड़ा फज़र् होना चाहिए। लोकसभा के चुनावों के बाद यही आशा की जा सकती है कि सभी पक्ष प्रदेश के विकास के लिए आपसी सहयोग से एकजुट होकर काम करेंगे। आज प्रधानमंत्री सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से प्रदेश के प्रति जिस तरह के वायदे तथा दावे किये जा रहे हैं, उन्हें आगामी समय में शिद्दत से निभा पाना ही उनकी बड़ी परीक्षा होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द