किसानों का मज़बूत आर्थिक सहारा - पॉपुलर का पेड़

पॉपुलर का पेड़ उन गिने चुने पेड़ों में से हैं, जो बहुत तेज़ी से बढ़ता है। हाल के सालों में इस पेड़ की सबसे बड़ी पहचान किसानों के आर्थिक मददगार के रूप में हुई है। क्योंकि पॉपुलर की लकड़ी की बाज़ार में बहुत से कामों के लिए काफी ज्यादा मांग है। पॉपुलर की लकड़ी प्लाईवुड, बोर्ड, माचिस की तीली, खेल के सामान और पेंसिल जैसी लिखने में मददगार चीजों के बनाने में इस्तेमाल होती है। इसलिए बाज़ार में पॉपुलर की लकड़ी की मांग 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल बनी ही रहती है। कई बार बेहतरीन क्वालिटी की पॉपुलर की लकड़ी विशेषकर इसका सतर लट्ठा 2000 रुपये प्रति क्विंटल या प्रति पीस तक में बिक जाता है। पॉपुलर चूंकि बहुत जल्दी तैयार होता है, इसलिए पिछले एक डेढ़ दशक से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा बिहार जैसे प्रांतों में इसकी कॉमर्शियल खेती हो रही है। 
पॉपुलर का बाजार में बिकने लायक ठीक ठाक पेड़ 4 से 5 सालों में तैयार हो जाता है और इसकी कीमत भी किसानों को 1600 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक के भाव से मिल जाती है। एक एकड़ जमीन में करीब 250 पॉपुलर के पेड़ लगाये जा सकते हैं, जो ठीक ठाक देखरेख करने पर 4 साल में तैयार हो जाते है। एक एकड़ पॉपुलर के पेड़ की यह फसल किसानों को खेत में से ही 20 लाख रुपये तक दे जाती है। इस तरह देखें तो पॉपुलर के पेड़ की खेती करीब 4 से 4.5 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से फायदा पहुंचाती है। पॉपुलर के पेड़ की किसानों के बीच अगर इन दिनों जबरदस्त मांग है तो इसलिए, क्योंकि इस पेड़ में हाल के दशकों में लाखों किसानों को लखपति बनाया है। हालांकि पॉपुलर के पेड़ की खेती सिर्फ भारत में ही नहीं होती, एशिया के अनेक देशों के अलावा उत्तरी अमरीका, यूरोप और अफ्रीका में भी पॉपुलर के पेड़ व्यावसायी फायदे के लिए लगाये जाते हैं। कागज बनाने की लुगदी से लेकर लकड़ी के फर्नीचर तक में पॉपुलर की लकड़ी की बहुत मांग है। 
साथ ही इस पेड़ को उगाना और देखरेख करना भी बहुत आसान है। इसलिए भी दुनियाभर के आर्थिक रूप से कमजोर किसान पॉपुलर की खेती करने के बारे में सोचते हैं। अगर जमीन उर्वर है और देखरेख सही से हुई है तो पॉपुलर के पेड़ों की ऊंचाई 80 फीट तक हो सकती है, वैसे सामान्यत: 30 से 35 फुट तक की ऊंचाई वाले ही ज्यादातर पॉपुलर के पेड़ देखे जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले में पॉपुलर के 80-85 फिट तक ऊंचे पेड़ देखे गये हैं। वैसे भारत के ज्यादातर हिस्सों में जी-48 किस्म वाला पॉपुलर का पेड़ उगाया जाता है। लेकिन पॉपुलर की करीब 25 से 35 प्रजातियां होती हैं। किसानों के लिए आर्थिक रूप से पॉपुलर का पेड़ काफी फायदेमंद है। भारत में पॉपुलर की करीब 10 किस्में काफी मशहूर हैं, जिसमें डब्ल्यू-32, डब्ल्यू 39, डब्ल्यू-26 और डब्ल्यू-22 भारत में पॉपुलर की सबसे पॉपुलर किस्में हैं। देश की कुछ अन्य पॉपुलर की पॉपुलर किस्मों में यूडीएआई ए-26, एस-7, सी-15, एस-7 हैं।
पॉपुलर का वैज्ञानिक नाम पॉपुलस है। भारत में पॉपुलर के पेड़ की सबसे अच्छी किस्म जी-48 समझी जाती है और इसी का सबसे ज्यादा उत्पादन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में होता है। पॉपुलर की लकड़ी से क्रिकेट का बल्ला, विकेट, कैरम बोर्ड, उसकी गोटियां आदि खेल के समान भी बनते हैं। पॉपुलर मूलत: उत्तरी गोलार्द्ध का पेड़ है। पॉपुलर के पेड़ों के बीच खाली जगहों में गेहूं, जई, बरसीम, सरसों और तमाम तरह की मौसमी सब्जियां उगायी जाती हैं। गन्ना, हल्दी और अदरक जैसी फसलें भी उन खेतों में धड़ल्ले से होती है, जहां कारोबारी लिहाज से पॉपुलर के पेड़ लगाये गये होते हैं। पॉपुलर के पेड़ की देखरेख बहुत नहीं करनी पड़ती। इसे साल में चार-पांच बार सिंचाई करनी पड़ती है और मुश्किल से दो या तीन बार खाद डालनी पड़ती है। लेकिन अगर इस पेड़ के इर्दगिर्द फसलें बोई जाती है तो इतनी बार भी इसे पाने की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि फसलों के पानी से पॉपुलर भी फायदा उठाते हैं। पंजाब और हरियाणा के किसानों के समृद्धि के पीछे एक कारण पॉपुलर की खेती भी है। 
पॉपुलर की पेड़ों की नर्सरी तैयार करने के लिए क्यारी ऐसी जगह बनानी चाहिए, जो थोड़ी ऊंची हो और मिट्टी में अच्छी तरह से सड़ी हुई कंपोस्ट मिलानी चाहिए। जब क्यारी की मिट्टी अच्छी तरह से तैयार हो जाए, तब उसमें पॉपुलर के पेड़ की बीज बोने चाहिए और फिर कंपोस्ट मिली मिट्टी के ऊपर एक पतली चादर उढ़ा देनी चाहिए। पॉपुलर की खेती के लिए खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 8.5 होना चाहिए। दो पॉपुलरों के पेड़ों के बीच की दूरी 10 से 15 फुट की होनी चाहिए, तभी पॉपुलर का पेड़ अच्छे से विकसित होता है। पॉपुलर का पेड़ वैसे कलम विधि से भी अच्छी तरह से तैयार हो जाता है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर