तीन सितारों का टी-20 को अलविदा कहना

अति दुर्लभ उपलब्धि अक्सर असाधारण खिलाड़ी ही हासिल करते हैं। भारत ने जब 2007 में पहला टी-20 विश्व कप जीता था तो रोहित शर्मा टीम में प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर शामिल थे और अब जब भारत ने 17 वर्ष बाद 2024 में अपना दूसरा टी-20 विश्व कप जीता है, तो रोहित शर्मा टीम के कप्तान थे। कहने का अर्थ यह है कि सभी 9 टी-20 विश्व कपों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले रोहित शर्मा ने यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है कि वह अपने पहले व अंतिम टी-20 विश्व कप में टीम के सदस्य रहे। बारबाडोस में ट्राफी उठाने के बाद रोहित शर्मा ने टी-20 इंटरनेशनल्स को अलविदा कह दिया है। इसी तरह भारत के दिगज्ज बैटर विराट कोहली ने अपने छठे टी-20 विश्व कप के बाद, फाइनल में बल्ले से महत्वपूर्ण योगदान (76 रन) से जीत दिलाने के बाद घोषणा की है कि अब वह टी-20 इंटरनेशनल्स का हिस्सा नहीं होंगे ताकि नये उभरते हुए खिलाड़ियों को अवसर मिल सके। अभी क्रिकेट प्रेमी रोहित व विराट की विदाई से उबरने का प्रयास कर ही रहे थे कि सात टी-20 विश्व कप में भारत के लिए गेंद, बल्ले व फील्डिंग से शानदार प्रदर्शन करने वाले हरफनमौला खिलाड़ी रविन्द्र जडेजा ने भी टी-20 इंटरनेशनल्स को अलविदा कह दिया और अब वह भारत के लिए केवल टेस्ट व ओडीआई खेलते हुए नज़र आयेंगे। 
रोहित, कोहली, जडेजा की तिकड़ी ने टी-20 इंटरनेशनल्स को खासे स्टाइल में अलविदा कहा है। वह भी एक ऐसी टीम संस्कृति विकसित करने के बाद, जो वर्षों तक भारतीय खेल प्रेमियों के चेहरे पर विजयी मुस्कान लाती रहेगी। मशाल को दूसरे के हाथ में देना तभी अर्थपूर्ण होता है जब लौ की चमक तेज़ हो और वह देर तक जलती रहे। रोहित ने यही सुनिश्चित किया है कि उनके बाद जिसके हाथ में भी टी-20 की मशाल जाये, वह उसे लेकर और ऊंचाइयों की ओर बढ़े। रोहित ने न केवल भारत के खिताबी सूखे पर विराम लगाया (कि अंतिम ओडीआई विश्व कप 2011 व अंतिम टी-20 विश्व कप 2007 में आया था) बल्कि उन्होंने कहा कि अब मशाल किसी अन्य को सौंपने का समय आ गया है। पेड़ से गिरते इस पत्ते से प्रेरित होकर कोहली ने भी ऐलान कर दिया कि इस फॉर्मेट का वह भी अपना अंतिम मैच खेल चुके हैं। 
रोहित जिस तरह से बल्लेबाज़ी करते हैं, अपने सीनियर्स को संबोधित करते हैं और अपनी टीम के सदस्यों को लताड़ते हैं, वह सब उनसे पहले के कप्तान विराट कोहली की स्वभाविक प्रवृत्ति नहीं थी। लेकिन ये दोनों ही असाधारण चैंपियन हैं और इनके साथ आये बिना विश्व खिताब संभव न हो पाता। इन्होंने जो संस्कृति विकसित की है, एक तरफ सिक्स-पैक्स और दूसरी तरफ एक-दूसरे की केयर करना व सबको साथ लेकर चलना, वह सराहनीय है, भले ही इस बारे में लोग कम जानते हों। यह हो सकता है कि यह दोनों एक-दूसरे को पसंद न करते हों, लेकिन इन दोनों के बीच में इस संस्कृति को जन्म लेते व विकसित होते हुए सभी ने देखा है। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत की जीत में पूरी टीम (प्रबंधकों व सपोर्ट स्टाफ सहित) का योगदान रहा है, जिसमें अतुलनीय जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप सिंह, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव आदि का नाम विशेषरूप से लिया जा सकता है, लेकिन दो वरिष्ठ बैटर्स का ओपनर्स के रूप में उतरना, जिनमें से एक फाइनल तक नहीं चला (जब चला तो अंतर बन गया), औसत स्कोर और प्रतिस्पर्धात्मक स्कोर के बीच का फर्क बन गये। अगर आप रोहित बनाम कोहली जैसी फिज़ूल बात में दिलचस्पी रखते हैं तो इस लेख को यहीं पढ़ना बंद कर दें क्योंकि यह दोनों मिलकर प्रतिद्वंदी टीमों को ध्वस्त करते हैं। 
इन दोनों का टॉप पर होने का अर्थ था कि आगे आने वाले बैटर्स इनके निर्देशों का सिर झुकाकर पालन करें। इसी रणनीति का पूरी प्रतियोगिता में पालन किया गया और भारत ने अप्रत्याशित रूप से बिना कोई मैच हारे प्रतियोगिता जीत ली। क्या रोहित व कोहली से इससे अधिक की मांग की जा सकती है? विश्व कप जीतकर रोहित ने दूसरों के लिए द्वार खोल दिए हैं कि वे नतीजे की परवाह किये बिना मैदान में जाकर अपने को व्यक्त करें। इस रणनीति से भारत के पास भविष्य में अन्य अनेक खिताब आ सकते हैं, विशेषकर इसलिए कि अब टी-20 की ऐसी मानसिकता स्विच ऑन हो गई है, जिसमें निडरता है, हौसला है। भारतीय क्रिकेट को रोहित व विराट का यही सबसे बड़ा योगदान है। भारत अब वहां है, जहां 1986-87 की विश्व कप जीत के बाद ऑस्ट्रेलिया थी, जिसे दशकों तक रोका न जा सका था। अगले कुछ दशक भारत के हैं, जिसकी नींव रखने का श्रेय निश्चितरूप से रोहित व कोहली को जाता है। 
यह आलोचना की जा सकती है कि कपिल देव व एमएस धोनी की तरह रोहित के पास ओडीआई खिताब नहीं है, जिसे हासिल करने में वह सात महीने पहले चूक गये थे, लेकिन यह आलोचक जल्द ही अल्पमत में होंगे; क्योंकि दुनिया अब बहुत तेज़ी से टी-20 की ओर बढ़ रही है। आईसीसी की सबसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिता जल्द ही टी-20 विश्व कप होगी, लेकिन तब रोहित व कोहली के जलवे केवल यादों में होंगे।-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर