आठ राज्यों में मिली हार के बाद शीघ्र होगा कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल 

कांग्रेस में जल्द ही बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया जाएगा। पार्टी आल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) तथा राज्य इकाइयों, विशेषकर उन स्थानों पर जहां पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है, जैसे उत्तराखंड, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, जम्मू तथा गुजरात में नई नियुक्तियों की उम्मीद कर रही है। विशेष चिन्ता की बात है कि कर्नाटक तथा तेलंगाना में प्रदर्शन औसत से कम रहा है, जहां पार्टी ने हाल ही में विधानसभा चुनावों में तो अच्छा प्रदर्शन किया था तथा हिमाचल प्रदेश, जहां पार्टी ने विधानसभा चुनावों में तो बड़ी लीड प्राप्त की, परन्तु संसदीय चुनावों में चार में से कोई भी सीट नहीं जीत सकी। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहले ही फेरबदल के लिए ज़मीनी स्तर पर कार्य कर लिया है और इसे सही समय पर ध्यान में रखा जाएगा। पार्टी हरियाणा, महाराष्ट्र तथा झारखंड के लिए भी रणनीति को जल्द अंतिम रूप देना चाहती है, जहां इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। 
लालू ने उठाया राम मंदिर का मुद्दा
आर.जे.डी. के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर गम्भीरता से विचार करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि छत से बारिश का पानी टपक रहा है और रामपथ सहित आंगन में बहुत अधिक पानी भर रहा है। लालू ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि धार्मिक नेताओं की आपत्तियों के बावजूद, ‘एक व्यक्ति ने अपने प्रचार तथा चुनावी लाभ के लिए जल्दबाजी में अयोध्या में मंदिर का उद्घाटन कर दिया।’ उन्होंने मंदिर के मुख्य पुजारी का हवाला दिया, जिन्होंने कहा, ‘जहां रामलला विराजमान हैं, वहां पहली बारिश में ही छत से पानी टपकने लगा।’ लालू ने कहा कि वोटरों ने भाजपा को सबक सिखा दिया है, क्योंकि वह फैजाबाद सीट हार गई है। 
बी.जे.डी. ने दिया कांग्रेस का साथ
बीजू जनता दल (बी.जे.डी.), जिसने पहले कई अवसरों पर संसद में भाजपा को अपना समर्थन दिया था, 3 जुलाई को उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी सदस्यों में शामिल हो गया, जब उन्होंने राष्ट्रपति के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब के दौरान सदन से वाकआऊट किया। विपक्ष के सांसदों ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान नाराज़गी व्यक्त की और नारे लगाए, जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को संविधान पर मोदी की टिप्पणी पर हस्तक्षेप करने की इजाज़त नहीं दी गई। एक सप्ताह में यह दूसरी बार था, जब बी.जे.डी. सांसदों ने राज्यसभा में वाकआऊट किया, वह 28 जून को नीट तथा नैट पर चर्चा की मांग को लेकर सदन में ‘इंडिया’ गठबंधन के विरोध में भी शामिल हो गए थे। 
हालांकि भाजपा को वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी से समर्थन मिला, जिसने प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान रुकावट के लिए विपक्ष की निंदा की। ओडिशा में हाल ही में लोकसभा चुनावों के साथ हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के हाथों मिली हार के बाद बी.जे.डी. ने संसद के भीतर तथा बाहर अपना रुख बदल लिया है। लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 21 में से 20 सीटें जीती थीं। 245 संसदीय सदन में बी.जे.डी. के 9 सदस्य हैं, जबकि वाई.एस.आर.सी.पी. के 11 सदस्य हैं, जबकि एन.डी.ए. के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। 
संसद भवन में राहुल का कमरा
लोकसभा में विपक्ष ने नेता (एल.ओ.पी.) राहुल गांधी ने मीडिया से सम्पर्क करके हर तरह की इंटरव्यू तथा बातचीत के लिए निमंत्रण दिया है। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘बिना किसी बाधा के, बिना किसी फिल्टर के, बिना किसी भय के एक स्वतंत्र तथा निष्पक्ष बातचीत हमारे लोकतंत्र की ताकत है। मैं आपके साथ बात करने, आपकी बात सुनने तथा भारत के विचारों के सच्चे प्रकटावे को सुविधाजनक बनाने के लिए यहां हूं।’ दूसरी ओर राहुल गांधी का संसद में नया पता है और वह नये संसद भवन के कमरा नम्बर जी-41 में बैठते हैं। उनका कमरा विपक्ष की बैठकों तथा गतिविधियों का नया केन्द्र बन गया है। एन.सी.पी. (एस.पी.) प्रमुख शरद पवार तथा महाराष्ट्र के कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने मंगलवार को राहुल गांधी के साथ बातचीत की और ‘इंडिया’ गठबंधन को मज़बूत करने के ढंग पर चर्चा की। इस वर्ष के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें कांग्रेस-शिव सेना (यू.बी.टी.)-एन.सी.पी.(एस.पी.) भाजपा-शिव सेना गठबंधन को सत्ता से बाहर करने की कोशिश करेंगे। 
महाराष्ट्र चुनाव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले, महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ा (एम.वी.ए.) गठबंधन इस बात को लेकर दुविधा में है कि गठबंधन का मुख्यमंत्री कौन होगा? एक और एनसीपी (एस.पी.) प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि आगे का रास्ता तय करने वाला फार्मूला सामूहिक नेतृत्व है। पवार ने पत्रकारों को कहा था, ‘हमारा गठबंधन हमारा सामूहिक चेहरा है। एक व्यक्ति हमारा मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बन सकता। सामूहिक नेतृत्व हमारा फार्मूला है।’ जबकि दूसरी ओर शिवसेना (यू.बी.टी.) नेता संजय राऊत ने कहा कि एमवीए के लिए बिना मुख्यमंत्री चेहरे के विधानसभा चुनाव में जाना जोखिम भरा काम होगा। राऊत ने भी अप्रत्क्षय रूप में ऊद्धव ठाकरे को एमवीए गठबंधन के मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में समर्थन दिया। 
इसी दौरान कांग्रेस पार्टी तथा शिवसेना (यू.बी.टी.) में कुछ मदभेद भी उभरे हैं। इसका मुख्य कारण मुम्बई महानगर क्षेत्र (एम.एम.आर.) का चुनाव क्षेत्र है। उद्धव ठाकरे अब ज़ोर देकर कह रहे हैं कि उन्हें अधिक से अधिक इस क्षेत्र की सीटें मिलनी चाहिएं, जबकि कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उन्हें मुम्बई में अपनी मौजूदा स्थिति बनाए रखनी चाहिए। कांग्रेस उम्मीदवार ने लोकसभा चुनाव में मुम्बई नार्थ सैंट्रल सीट जीती था। (आई.पी.ए.)