कांग्रेस चुनाव से पहले किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करेगी

हरियाणा विधानसभा चुनाव-2024 

कांग्रेस पार्टी की सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा तथा राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला दोनों ने हरियाणा से विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी तीव्र इच्छा जताई है, परन्तु प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने रिकार्ड में कहा कि किसी भी सांसद को टिकट देने के लिए विचार नहीं किया जाएगा और उन्हें हरियाणा चुनाव लड़ने की ज़रूरत नहीं है। यदि वह अभी भी चाहते हैं तो वह पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अनुमति लेने के बाद ही ऐसा कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार रणदीप सिंह सुरजेवाला अब अपने बेटे के लिए विधानसभा टिकट मांग रहे हैं। 
दूसरी ओर कुमारी शैलजा के समर्थकों ने दृढ़ विश्वास जताया है और उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अपना समर्थन दिया है। हुड्डा गुट पहले ही भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर चुका है। कुमारी शैलजा गांधी परिवार की करीबी होने के साथ-साथ कांग्रेस में एक शक्तिशाली एवं प्रमुख दलित महिला चेहरा हैं। वह 9 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डाल सकती हैं। इस दौरान कांग्रेस द्वारा नतीजों से पहले किसी को भी मुख्यमंत्री घोषित करने की सम्भावना नहीं है, परन्तु हुड्डा वरिष्ठों से सबसे आगे होने के कारण, देश की सबसे पुरानी पार्टी को उम्मीद है कि प्रदेश में वह भाजपा को मिल रही नकारात्मक प्रतिक्रिया का लाभ उठा सकेगी। 
सिद्धारमैया के साथ खड़ी है कांग्रेस हाईकमान
कर्नाटक के गृहमंत्री एवं दलित समुदाय के प्रमुख नेता जी. परमेश्वर एवं राहुल गांधी के बीच 23 अगस्त को दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद कयास लग रहे हैं कि ज़मीन घोटाले मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कानूनी मुश्किलें बढ़ने की हालत में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि परमेश्वर ने इन कयासों को खारिज करते हुए कहा कि मेरे मुख्यमंत्री बनने का सवाल ही नहीं उठता। मैसूर शहरी विकास अथारिटी (एम.यू.डी.ए.) द्वारा अपनी पत्नी को ज़मीन अलॉट करने में अनियमितताओं के आरोपों पर कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बचाव किया है। इस दौरान पिछड़े वर्गों एवं पीड़ित वर्गों के संतों के संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले 10 संतों के समूह ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उन्हें बिना शर्त नैतिक समर्थन दिया। उन्होंने सरकार को अस्थिर करने के लिए राज भवन की बुरी मंशा के खिलाफ लड़ने का भी वादा किया। 
विपक्ष करेगा आन्दोलन
सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक पारा बढ़ता जा रहा है। महा विकास अघाड़ी (एम.वी.ए.) गठबंधन के नेताओं ने एक सितम्बर को विरोध मार्च की घोषणा की है। शिवसेना (यू.बी.टी.) प्रमुख उद्धव ठाकरे, नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.) प्रमुख शरद यादव तथा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले सहित कई नेता मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास हुतातमा चौक से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा तक मार्च करेंगे। इस दौरान 28 अगस्त को शिवसेना (यू.बी.टी.) के पार्टी कार्यकर्ताओं तथा भाजपा नेता नारायण राणे के समर्थकों के बीच झड़प हो गई, जब दोनों पक्ष सिंधुदुर्ग ज़िले में गिरी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा वाले स्थान पर पहुंचे। 
शिवसेना (यू.बी.टी.) नेता आदित्य ठाकरे ने प्रतिमा के निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने, जल्दबाज़ी करने तथा कार्य की गुणवत्ता से अधिक चुनावी लाभ को प्राथमिकता देने के लिए प्रशासन की कड़ी आलोचना की। फिलहाल शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस घटना पर माफी मांग कर इस मुद्दे को शांत करने की कोशिश की। 
मायावती के पक्ष में अखिलेश यादव 
उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप-चुनाव से पहले भाजपा विधायक राजेश चौधरी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को प्रदेश की सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री कहने वाली टिप्पणी ने उन्हें विवादों में ला दिया है। हालांकि, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती को बड़ा समर्थन देकर सबको हैरान कर दिया, यहां तक कि समाज के वंचित वर्ग से संबंध रखने वाली महिला मुख्यमंत्री का अपमान करने के लिए चौधरी के खिलाफ मानहानि का मुकद्दमा दर्ज करने की मांग भी की। मायावती ने भी उनका समर्थन करने के लिए अखिलेश का धन्यवाद किया, हालांकि सपा प्रमुख ने धन्यवाद करते हुए पोस्ट किया कि यह सहयोग पिछड़ा, दलित तथा अल्पसंख्यक (पी.डी.ए.) गठबंधन के लिए अच्छा संकेत है। अखिलेश ने कहा है कि पी.डी.ए. शोषित तथा वंचितों का भविष्य है। हम एकजुट हैं और रहेंगे। पी.डी.ए. पिछड़े वर्गों, दलितों तथा अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में सपा के पक्ष में मतदान किया था, जिससे पार्टी को यू.पी. में 37 सीटें हासिल करने में मदद मिली थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा के विजयी रथ को रोक कर अखिलेश राष्ट्रीय मंच पर प्रमुखता से उभरे हैं। भाजपा को उत्तर प्रदेश में उस समय बड़ा झटका लगा, जब 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 के संसदीय चुनाव में उसकी सीटों की संख्या 62 से कम होकर 33 रह गई। इसने भाजपा को लोकसभा में अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोक दिया। (आई.पी.ए.)