चुनावों के लिए उत्साह
जम्मू-कश्मीर के लिए यह एक ऐतिहासिक समय है कि यहां विधानसभा के लिए 10 वर्ष के बाद मतदान हो रहा है। इससे पहले वर्ष 2014 में मतदान हुआ था। यहां के हालात के दृष्टिगत चुनाव तीन चरणों में करवाये जा रहे हैं। पहला चरण 18 सितम्बर को पूर्ण हो गया है। दूसरे चरण में 25 सितम्बर तथा तीसरे चरण में एक अक्तूबर को मतदान होगा। यहां के चुनाव कई पक्षों से अन्य राज्यों से भिन्न हैं, क्योंकि अगस्त 2019 को केन्द्र सरकार की ओर से इस राज्य को विशेष अधिकार देने वाली संविधान की धारा 370 को खत्म करने की घोषणा कर दी गई थी। चाहे उस समय इसकी देश एवं विश्व में व्यापक चर्चा हुई थी परन्तु आज यह अध्याय कल की बात बन गया प्रतीत होता है। इसके साथ ही लद्दाख तथा जम्मू-कश्मीर को दो केन्द्र-शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है। उसके बाद घटित घटनाक्रम के उपरांत चाहे पाकिस्तान एवं कश्मीर के उग्रवादी अभी भी कश्मीर की आज़ादी का राग अलाप रहे हों परन्तु अब धारा 370 को पुन: बहाल करने की मांग धीमी पड़ गई है। उसके स्थान पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग बढ़ गई है।
मोदी सरकार की ओर से ऐसा बड़ा कदम उठाने पर उस समय आश्चर्य ज़रूर हुआ था, परन्तु अब हालात बड़ी सीमा तक बदल गये प्रतीत होते हैं। चाहे आज भी पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकवादी यहां गोलियों से दहशत फैलाने का यत्न कर रहे हैं परन्तु वे अपने मनसूबों में सफल नहीं हो रहे। विगत लम्बी अवधि से यहां का जीवन सामान्य होने लगा है। हर वर्ष लाखों ही पर्यटक यहां की चहल-पहल में वृद्धि कर रहे हैं। यह भी अच्छी बात है कि बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ-साथ यहां की स्थानीय पार्टियां भी पूरी भावना एवं दिलचस्पी से इन चुनावों में भाग ले रही हैं। भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र में अब तक अपना अच्छा स्थान बनाने में सफल हुई है। कांग्रेस ने फारुख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नैशनल कान्फ्रैंस के साथ चुनाव हेतु समझौता किया है। पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती चाहे स्वयं यह चुनाव नहीं लड़ रहीं परन्तु उनकी बेटी इल्तिजाह इ़कबाल पूरे उत्साह से मैदान में उतरी हुई हैं। यहां तक कि भारत के विरुद्ध लगातार प्रचार कर रही अवामी इत्तेहाद पार्टी जिसका नेतृत्व शेख अब्दुल्ला रशीद कर रहा है, भी चुनाव मैदान में उतरी हुई है। रशीद को आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के आरोप में यू.ए.पी.ए. के तहत नज़रबंद भी किया गया था। अब उसे चुनाव प्रचार के लिए ज़मानत पर रिहा किया गया है। इसके साथ ही अल्त़ाफ बुखारी की ‘अपनी पार्टी’ एवं सज्जाद लोन की पार्टी ‘दि पीपुल्स कान्फ्रैंस’ भी मैदान में उतरी हुई हैं।
़गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस से अलग होकर डैमोक्रेटिक प्रोग्रैसिव आज़ाद पार्टी का गठन किया था परन्तु वह अब तक अपना दम दिखाने में असमर्थ रही है। पहले चरण के चुनाव 24 विधानसभा क्षेत्रों के लिए हो रहे हैं, जिनमें 8 जम्मू क्षेत्र में तथा 16 कश्मीर घाटी में हो रहे हैं। इनके लिए जिस तरह का उत्साह लोगों में देखा जा रहा है, उससे यह विश्वास और पुख्ता होता है कि यहां के बहुसंख्यक लोग अमन के इच्छुक हैं। पहले चरण में सायं 5 बजे तक 58 प्रतिशत से अधिक मतदान हो चुका था। अब आगामी समय में इसे राज्य का दर्जा मिलना ज्यादा दूर की बात नहीं प्रतीत होती और यह भी स्पष्ट है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर संबंधी अपने इरादों में पूरी तरह विफल हो जाएगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द